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Delhi MCD Budget: एमसीडी ने बजट को बताया शहर के विकास का रोडमैप, स्थायी समिति की हुई बैठक... प्रक्रिया शुरू

अमर उजाला ब्यूरो, नई दिल्ली Published by: अनुज कुमार Updated Tue, 30 Dec 2025 09:51 AM IST
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सार

एमसीडी की स्थायी समिति की विशेष बैठक में सभी 12 जोनों के अध्यक्षों ने अपने बजट प्रस्ताव पेश किए, सुझावों पर विस्तृत चर्चा हुई। अध्यक्ष सत्या शर्मा ने कहा कि सभी जोनल सुझावों को शामिल कर जनहितकारी और व्यावहारिक बजट तैयार किया जाएगा, जो शहर के विकास का रोडमैप बनेगा।

MCD described the budget as roadmap for the city development
एमसीडी मुख्यालय - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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एमसीडी ने वित्त वर्ष 2025-26 के संशोधित बजट अनुमान और 2026-27 के बजट अनुमानों को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया शुरू की है। इसी क्रम में स्थायी समिति की एक विशेष बैठक हुई, जिसमें निगम के विभिन्न जोनल समितियों के अध्यक्षों ने अपने-अपने जोन के बजट प्रस्ताव प्रस्तुत किए।

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बैठक में सिटी-सदर पहाड़गंज, वेस्ट, सेंट्रल, केशवपुरम, सिविल लाइंस, रोहिणी, करोल बाग, साउथ, नजफगढ़, शाहदरा नॉर्थ, शाहदरा साउथ और नरेला जोन के बजट प्रस्ताव पेश किए गए। सभी जोन के अध्यक्षों ने सुझावों और प्राथमिकताओं पर विस्तृत चर्चा की। 
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स्थायी समिति की अध्यक्ष सत्या शर्मा ने कहा कि सभी जोनल समितियों से आए सुझावों को सम्मिलित करते हुए एक ऐसा बजट तैयार किया जाएगा, जो जनहितकारी होने के साथ-साथ व्यावहारिक भी हो। उन्होंने कहा कि बजट केवल आय-व्यय का दस्तावेज नहीं है, बल्कि यह शहर, कॉलोनियों और नागरिकों की अपेक्षाओं, आवश्यकताओं और विकास की दिशा तय करने वाला एक महत्वपूर्ण रोडमैप है।

सत्या शर्मा ने स्पष्ट किया कि निगम की वित्तीय स्थिति को सुदृढ़ करने के लिए आय और व्यय के असंतुलन को दूर करना आवश्यक है। इसके लिए वित्तीय घाटे को कम करते हुए नए और वैकल्पिक राजस्व स्रोतों की तलाश की जाएगी, ताकि विकास परियोजनाओं के लिए पर्याप्त बजट प्रावधान हो सके और निगम पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ न पड़े। जोनल समितियों के अध्यक्षों ने विशेष रूप से दो प्रमुख बिंदुओं पर जोर दिया। 

उन्होंने अतिरिक्त राजस्व संसाधनों की खोज और उनका विस्तार और व्यय में अनुशासन और पारदर्शिता सुनिश्चित करने की वकालत की। उन्होंने सुझाव दिया कि निगम की आय बढ़ाने के लिए सामुदायिक भवनों का अधिकतम और बेहतर उपयोग किया जाए, साथ ही नई आवासीय और व्यावसायिक संपत्तियों की पहचान कर उन्हें कर दायरे में लाया जाए। इसके अलावा संपत्ति कर, विज्ञापन शुल्क, पार्किंग शुल्क और लाइसेंस शुल्क जैसे पारंपरिक राजस्व स्रोतों को सरल, पारदर्शी और सुव्यवस्थित बनाने पर भी जोर दिया गया।

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