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No Fuel Policy : पुराने वाहन मालिक बेबस, राजनीतिक दलों में छींटाकशी; बड़ा सवाल- फिटनेस जांच क्यों नजरअंदाज
धनंजय मिश्रा, नई दिल्ली
Published by: दुष्यंत शर्मा
Updated Thu, 03 Jul 2025 06:46 AM IST
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सार
लोगों के जेहन में सवाल खड़े हो रहे हैं कि देश एक लेकिन अन्य राज्यों में वाहन फिटनेस को दिल्ली से इतर नियम कैसे हैं। दूसरे राज्यों में पुराने वाहनों को ऑटोमेटिक फिटनेस केंद्र में जांच करवाकर उम्र बढ़ा दी जाती है जबकि राजधानी में वाहन स्क्रैप किया जा रहा है

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विस्तार
राष्ट्रीय राजधानी में पुराने वाहनों के मालिक मौजूदा समय अपने वाहन को बचाने के लिए खुद को बेबस पा रहे हैं। इससे निपटने के उपाय खोजने के बजाय राजनीतिक दल एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं। ऐसे में लोगों के जेहन में सवाल खड़े हो रहे हैं कि देश एक लेकिन अन्य राज्यों में वाहन फिटनेस को दिल्ली से इतर नियम कैसे हैं।
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दूसरे राज्यों में पुराने वाहनों को ऑटोमेटिक फिटनेस केंद्र में जांच करवाकर उम्र बढ़ा दी जाती है जबकि राजधानी में वाहन स्क्रैप किया जा रहा है। इस मामले में लोगों में सरकार के खिलाफ काफी गुस्सा है। परिवहन विशेषज्ञों का कहना है कि उम्र के बजाय वाहनों की फिटनेस और उत्सर्जन स्तर के आधार पर प्रतिबंध लगाना अधिक तर्कसंगत है।
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देश के अन्य शहरों में ऑटोमैटिक फिटनेस केंद्र पर जांच करवाने के बाद वाहन पांच साल के लिए फिर से पंजीकरण कराया जा सकता है। हालांकि इस प्रक्रिया में वाहन की फिटनेस और उत्सर्जन पर विशेष ध्यान दिया जाता है। साथ ही जुर्माना और पंजीकरण शुल्क अधिक लिया जाता है। यह नियम दिल्ली में भी लागू किया जा सकता था। 2021 में केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय ने दिल्ली सरकार से इस व्यवस्था को लागू करने का आग्रह किया गया था लेकिन इसे नजर अंदाज कर दिया गया।
-डाॅ. अनिल छिकारा, परिवहन विशेषज्ञ व पूर्व उपायुक्त परिवहन विभाग (दिल्ली सरकार)
केवल व्यावसायिक वाहनों की ही होती है ऑटोमैटिक फिटनेस जांच
राजधानी में मौजूदा समय सिर्फ व्यावसायिक वाहनों का ही ऑटोमेटिक फिटनेस केंद्र में जांच होती है। डाॅ. अनिल छिकारा का कहना है कि निजी वाहनों का दिल्ली में ऑटोमेटिक फिटनेस केंद्र में जांच नहीं होती है। उनका कहना है कि यदि पुराना वाहन अच्छी स्थिति में हैं तो उसकी ऑटोमेटिक फिटनेस केंद्र में जांच हो और जांच रिपोर्ट के आधार पर देश के अन्य शहरों की तरह उम्र बढ़ाने की सुविधा दी जाए।