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Cyber Frauds : जामताड़ा के जालसाजों ने ठगे 10.95 लाख, KYC अपडेट कराने के नाम पर किया धोखा; तीन गिरफ्तार

अमर उजाला नेटवर्क, दिल्ली Published by: दुष्यंत शर्मा Updated Thu, 03 Jul 2025 06:16 AM IST
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सार

दक्षिण-पश्चिमी जिले की साइबर थाना पुलिस ने एसबीआई क्रेडिट कार्ड साइबर धोखाधड़ी गिरोह का पर्दाफाश करते हुए जामताड़ा, झारखंड के तीन साइबर जालसाजों मुजफ्फर जिलानी, आफताब अंसारी और मोहम्मद इकबाल रजा को गिरफ्तार किया है। 

Fraudsters from Jamtara duped of Rs 10.95 lakh
demo - फोटो : ANI
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दक्षिण-पश्चिमी जिले की साइबर थाना पुलिस ने एसबीआई क्रेडिट कार्ड साइबर धोखाधड़ी गिरोह का पर्दाफाश करते हुए जामताड़ा, झारखंड के तीन साइबर जालसाजों मुजफ्फर जिलानी, आफताब अंसारी और मोहम्मद इकबाल रजा को गिरफ्तार किया है। 

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आरोपी पीड़ितों से एसबीआई क्रेडिट कार्ड के केवाईसी अपडेट के नाम पर ठगी करते थे। आरोपियों ने फिशिंग, सोशल इंजीनियरिंग और रिमोट एक्सेस टूल का इस्तेमाल करके दिल्ली निवासी से 10.95 लाख से अधिक की ठगी की थी। इनके पास से 5 स्मार्ट फोन और 6 सिम कार्ड और एक डेबिट कार्ड बरामद किया गया है। 
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दक्षिण-पश्चिमी जिला पुलिस उपायुक्त अमित गोयल ने बताया कि पालम, दिल्ली निवासी केसी बर्थवाल (49) की शिकायत पर साइबर पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया था। उन्होंने शिकायत में कहा था कि उन्हें अनजान नंबर से 5 अप्रैल, 2025 को फोन आया।

कॉल करने वाले ने खुद को एसबीआई क्रेडिट कार्ड शाखा, मुंबई मुख्यालय का अधिकारी बताया और शिकायतकर्ता को उसके एसबीआई क्रेडिट कार्ड से 588.82 रुपये डेबिट होने की झूठी सूचना दी। दिए गए लिंक के माध्यम से केवाईसी विवरण अपडेट करके कार्ड को सक्रिय या ब्लॉक करने का दबाव बनाया। एक अन्य नंबर से 6 अप्रैल को कॉल आया। बहाने के तहत अतिरिक्त विवरण निकाले गए। इस तरह खाते से 10.95 लाख रुपये निकाल लिए गए।

ठगी के मामले में भगोड़ा आरोपी गिरफ्तार
नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने ठगी करने के मामले में भगोड़ा अपराधी  63 वर्षीय राजेश राजपूत को गिरफ्तार किया है। आरोपी पिछले 20 वर्षों से फरार था। इस गिरोह के सदस्य प्रतिष्ठित मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश दिलाने के नाम पर पैसे ऐंठते थे। इन्होंने पीड़ित को उड़ीसा के डॉक्टर को एमबीबीएस में प्रवेश दिलाने के नाम पर ठगा था।

अपराध शाखा के पुलिस उपायुक्त हर्ष इंदौरा ने बताया कि शिकायतकर्ता डॉ. आरसी मोहर ने शिकायत दी थी कि उनके बेटे को किसी प्रतिष्ठित मेडिकल कॉलेज में दाखिला दिलाने के लिए उनसे 4 लाख रुपए ठग लिए गए हैं। आरोपी कुछ एनजीओ चलाते थे और अखबार में विज्ञापन देते थे। वह विज्ञापन देखकर आरोपियों के झांसे में आ गए और एमबीबीएस में मैनेजमेंट कोटा शीट खरीदने के लिए पैसे देने को तैयार हो गए थे। शुरू में राजेश राजपूत को गिरफ्तार कर लिया गया था, लेकिन जमानत मिलने के तुरंत बाद वह फरार हो गया। फरवरी 2006 में अदालत ने उसे उद्घोषित अपराधी घोषित कर दिया था।


 

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