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Noida News: डीजे और देर तक हेडफोन लगाने से कान के पर्दे हो रहे खराब
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-फोटो
- कान में हेडफोन लगाकर सो जाने से सुनने की क्षमता हो रही कम
-शादी में डीजे के सामने थिरकने से भी कान के पर्दे पर पड़ रहा प्रभाव
काव्यांश मिश्रा
यमुना सिटी।
यदि आप भी डीजे के आगे थिरकने के शौकीन हैं तो सावधान हो जाएं। इससे आपके सुनने की क्षमता कम हो सकती है। 80 डेसिबल से ज्यादा ध्वनि निकालने वाले डीजे के पास ज्यादा देर रहने से सुनने की क्षमता कम हो रही है। इसी तरह अपने पसंदीदा गाने हेडफोन में सुनते हुए सोने से भी कान का पर्दा प्रभावित हो रहा है।
शादियों का सीजन चल रहा है। आलम ऐसा है कि गली-मोहल्ले में बने हुए बैंक्वेट हॉल भी बुक हैं। भारत में शादी बगैर डीजे के अधूरी मानी जाती है। शादी में जब तक जोरदार डीजे न बजे तो बरातियों का उत्साह कम दिखता है। जोरदार आवाज वाले डीजे के सामने रातभर बराती थिरक तो रहे हैं, लेकिन यह उनके लिए नुकसानदायक साबित हो रहा है। कॉन्सर्ट में तो 140 डेसिबल से भी ज्यादा शोर उत्पन्न होता है। लगातार इस शोर में रहने से मनुष्यों के कान को नुकसान पहुंचा रहे हैं। इसी तरह ज्यादा देर हेडफोन लगाकर गाने सुनने से भी कान के पर्दे को नुकसान पहुंच रहा हैं।
युवाओं को ज्यादा हो रही परेशानी
सुनने की क्षमता कम होने के मरीज चिकित्सकों के पास लगातार पहुंच रहे हैं। 2019 से इनकी संख्या में 36 प्रतिशत से ज्यादा इजाफा हुआ है। 15 से 34 वर्ष की आयु वाले मरीज की संख्या इसमें सबसे ज्यादा है। चिकित्सकों का कहना है कि इस आयु के व्यक्ति संगीत को ज्यादा तेज आवाज में सुन रहे हैं। डीजे, कॉन्सर्ट और हेडफोन से यह दिक्कतें हो रही हैं। पसंद के गीत को हेडफोन में चलाकर सोने के केस से भी ऐसी समस्या हो रही हैं। बास ज्यादा होने से ईयर ड्रम प्रभावित हो रहा है। 90 डेसिबल बास कान को नुकसान पहुंंचाने में सक्षम है।
क्या करें उपाय
तेज आवाज के पास ज्यादा देर रहने के कारण कानों में बजिंग साउंड आने लगती है। कान को सुरक्षित रखने के लिए अधिक समय तेज आवाज के पास नहीं रहना चाहिए। यदि हेडफोन लगा रहे हैं तो तीस मिनट बाद कुछ देर हटा दें, ताकि आराम मिल सके। साथ ही चिकित्सक से परामर्श भी लें।
तेज ध्वनि के बीच ज्यादा देर बिताने से सुनने की क्षमता कम हो सकती है। हालांकि 90 प्रतिशत केस में उपचार है, लेकिन 10 प्रतिशत में सुधार नहीं हो पाता।
-डॉ. आशीष भूषण ईएनटी विशेषज्ञ, यथार्थ सुपर स्पेशिलिटी अस्पताल ग्रेटर नोएडा।
85 डेसिबल से ज्यादा की ध्वनि के बीच ज्यादा देर रहने से हियरिंग लॉस हो सकता है। इससे अल्जाइमर जैसी समस्या भी बन सकती है।
-डॉ. विवेक पाठक, ईएनटी विशेषज्ञ, कैलाश अस्पताल जेवर।
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-शादी में डीजे के सामने थिरकने से भी कान के पर्दे पर पड़ रहा प्रभाव
काव्यांश मिश्रा
यमुना सिटी।
यदि आप भी डीजे के आगे थिरकने के शौकीन हैं तो सावधान हो जाएं। इससे आपके सुनने की क्षमता कम हो सकती है। 80 डेसिबल से ज्यादा ध्वनि निकालने वाले डीजे के पास ज्यादा देर रहने से सुनने की क्षमता कम हो रही है। इसी तरह अपने पसंदीदा गाने हेडफोन में सुनते हुए सोने से भी कान का पर्दा प्रभावित हो रहा है।
शादियों का सीजन चल रहा है। आलम ऐसा है कि गली-मोहल्ले में बने हुए बैंक्वेट हॉल भी बुक हैं। भारत में शादी बगैर डीजे के अधूरी मानी जाती है। शादी में जब तक जोरदार डीजे न बजे तो बरातियों का उत्साह कम दिखता है। जोरदार आवाज वाले डीजे के सामने रातभर बराती थिरक तो रहे हैं, लेकिन यह उनके लिए नुकसानदायक साबित हो रहा है। कॉन्सर्ट में तो 140 डेसिबल से भी ज्यादा शोर उत्पन्न होता है। लगातार इस शोर में रहने से मनुष्यों के कान को नुकसान पहुंचा रहे हैं। इसी तरह ज्यादा देर हेडफोन लगाकर गाने सुनने से भी कान के पर्दे को नुकसान पहुंच रहा हैं।
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युवाओं को ज्यादा हो रही परेशानी
सुनने की क्षमता कम होने के मरीज चिकित्सकों के पास लगातार पहुंच रहे हैं। 2019 से इनकी संख्या में 36 प्रतिशत से ज्यादा इजाफा हुआ है। 15 से 34 वर्ष की आयु वाले मरीज की संख्या इसमें सबसे ज्यादा है। चिकित्सकों का कहना है कि इस आयु के व्यक्ति संगीत को ज्यादा तेज आवाज में सुन रहे हैं। डीजे, कॉन्सर्ट और हेडफोन से यह दिक्कतें हो रही हैं। पसंद के गीत को हेडफोन में चलाकर सोने के केस से भी ऐसी समस्या हो रही हैं। बास ज्यादा होने से ईयर ड्रम प्रभावित हो रहा है। 90 डेसिबल बास कान को नुकसान पहुंंचाने में सक्षम है।
क्या करें उपाय
तेज आवाज के पास ज्यादा देर रहने के कारण कानों में बजिंग साउंड आने लगती है। कान को सुरक्षित रखने के लिए अधिक समय तेज आवाज के पास नहीं रहना चाहिए। यदि हेडफोन लगा रहे हैं तो तीस मिनट बाद कुछ देर हटा दें, ताकि आराम मिल सके। साथ ही चिकित्सक से परामर्श भी लें।
तेज ध्वनि के बीच ज्यादा देर बिताने से सुनने की क्षमता कम हो सकती है। हालांकि 90 प्रतिशत केस में उपचार है, लेकिन 10 प्रतिशत में सुधार नहीं हो पाता।
-डॉ. आशीष भूषण ईएनटी विशेषज्ञ, यथार्थ सुपर स्पेशिलिटी अस्पताल ग्रेटर नोएडा।
85 डेसिबल से ज्यादा की ध्वनि के बीच ज्यादा देर रहने से हियरिंग लॉस हो सकता है। इससे अल्जाइमर जैसी समस्या भी बन सकती है।
-डॉ. विवेक पाठक, ईएनटी विशेषज्ञ, कैलाश अस्पताल जेवर।