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Noida News: भू-माफिया नेगी से दो लाख रुपये महीना लेने वाला रावतपुर इंस्पेक्टर निलंबित
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कानपुर। रावतपुर थाना प्रभारी होकर भूमाफिया गजेंद्र सिंह नेगी से हर माह दो लाख रुपये लेकर उसके इशारों पर काम करने के आरोपी इंस्पेक्टर केके मिश्रा को निलंबित कर दिया गया है। डीसीपी वेस्ट दिनेश त्रिपाठी ने सोमवार को उसे निलंबित कर दिया। उसकी नेगी से बातचीत के कई ऑडियो उच्चाधिकारियों को मिले थे। इंस्पेक्टर की मिलीभगत के चलते ही भूमाफिया की गिरफ्तारी नहीं हो पा रही थी। क्राइम ब्रांच जब उसे पकड़ने के लिए गई तो केके मिश्रा ने उसकी पत्नी को दबिश की सूचना दे दी थी। हालांकि फिर भी क्राइम ब्रांच उसे गिरफ्तार करने में कामयाब हो गई थी।
केशवपुरम के आवास विकास-1 कैलाश विहार निवासी भूमाफिया गजेंद्र सिंह नेगी के खिलाफ ऑपरेशन महाकाल में लोगों ने एक के बाद एक 10 एफआईआर दर्ज करा दी थीं। पहले से ही उस पर गैंगस्टर समेत आठ मामले दर्ज थे। पीड़ितों का आरोप था कि नेगी ने खुद को बिल्डर बता उन लोगों को कई फ्लैट और दुकानें दिखाईं। करोड़ों रुपये हड़पने के बावजूद आरोपी ने उन्हें कब्जा नहीं दिया। एक-एक फ्लैट और दुकान को छह से आठ बार तक नेगी ने बेचा। पीड़ितों का आरोप यह भी था कि थाना पुलिस उनकी सुनवाई नहीं कर रही है। तत्कालीन पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार और डीसीपी वेस्ट के दबाव के चलते भूमाफिया के खिलाफ रिपाेर्ट तो थाना प्रभारी केके मिश्रा ने दर्ज कर ली लेकिन गिरफ्तारी के प्रयास नहीं किए।
उच्चाधिकारियों को आरोपी इंस्पेक्टर की गतिविधियां संदिग्ध लगीं तो उस पर नजर रखनी शुरू की गई। केके मिश्रा और नेगी के गठजोड़ की बात पुष्ट हो गई। इसके बाद उच्चाधिकारियों ने भूमाफिया की गिरफ्तारी का जिम्मा क्राइम ब्रांच को दे दिया। बावजूद इसके आरोपी इंस्पेक्टर ने नेगी को गिरफ्तारी से बचाने की पूरी कोशिश की। क्राइम ब्रांच ने 20 सितंबर को उसे गिरफ्तार कर लिया था।
सही साबित करने के चक्कर में देर से की कार्रवाई
भूमाफिया से दोस्ती की पोल खुल जाने पर आरोपी इंस्पेक्टर पर पहले ही कार्रवाई तय हो गई थी। हालांकि रावतपुर में आई लव मोहम्मद वाले मामले में एफआईआर दर्ज होने पर इस मामले ने पूरे प्रदेश में तूल पकड़ लिया था। ऐसे में पुलिस के उच्चाधिकारियों ने उस समय केके मिश्रा पर कार्रवाई टाल दी थी ताकि यह संदेश न जाए कि गलती होने के चलते इंस्पेक्टर को हटाया गया है।

केशवपुरम के आवास विकास-1 कैलाश विहार निवासी भूमाफिया गजेंद्र सिंह नेगी के खिलाफ ऑपरेशन महाकाल में लोगों ने एक के बाद एक 10 एफआईआर दर्ज करा दी थीं। पहले से ही उस पर गैंगस्टर समेत आठ मामले दर्ज थे। पीड़ितों का आरोप था कि नेगी ने खुद को बिल्डर बता उन लोगों को कई फ्लैट और दुकानें दिखाईं। करोड़ों रुपये हड़पने के बावजूद आरोपी ने उन्हें कब्जा नहीं दिया। एक-एक फ्लैट और दुकान को छह से आठ बार तक नेगी ने बेचा। पीड़ितों का आरोप यह भी था कि थाना पुलिस उनकी सुनवाई नहीं कर रही है। तत्कालीन पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार और डीसीपी वेस्ट के दबाव के चलते भूमाफिया के खिलाफ रिपाेर्ट तो थाना प्रभारी केके मिश्रा ने दर्ज कर ली लेकिन गिरफ्तारी के प्रयास नहीं किए।
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उच्चाधिकारियों को आरोपी इंस्पेक्टर की गतिविधियां संदिग्ध लगीं तो उस पर नजर रखनी शुरू की गई। केके मिश्रा और नेगी के गठजोड़ की बात पुष्ट हो गई। इसके बाद उच्चाधिकारियों ने भूमाफिया की गिरफ्तारी का जिम्मा क्राइम ब्रांच को दे दिया। बावजूद इसके आरोपी इंस्पेक्टर ने नेगी को गिरफ्तारी से बचाने की पूरी कोशिश की। क्राइम ब्रांच ने 20 सितंबर को उसे गिरफ्तार कर लिया था।
सही साबित करने के चक्कर में देर से की कार्रवाई
भूमाफिया से दोस्ती की पोल खुल जाने पर आरोपी इंस्पेक्टर पर पहले ही कार्रवाई तय हो गई थी। हालांकि रावतपुर में आई लव मोहम्मद वाले मामले में एफआईआर दर्ज होने पर इस मामले ने पूरे प्रदेश में तूल पकड़ लिया था। ऐसे में पुलिस के उच्चाधिकारियों ने उस समय केके मिश्रा पर कार्रवाई टाल दी थी ताकि यह संदेश न जाए कि गलती होने के चलते इंस्पेक्टर को हटाया गया है।