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देवोत्थान एकादशी दो नवंबर को गूंजेंगी शहनाइयां : आचार्य
संवाद न्यूज एजेंसी, नोएडा
Updated Thu, 30 Oct 2025 12:52 AM IST
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ढिगांवमंडी। विवाह और अन्य शुभ कार्यों के लिए लंबे समय से प्रतीक्षा कर रहे लोगों का इंतजार अब समाप्त होने जा रहा है। आचार्य रविंद्र शास्त्री ने बताया कि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि, यानी दो नवंबर (रविवार) को देवोत्थान एकादशी रहेगी। इस दिन देवशयन काल का समापन होगा और चातुर्मास की समाप्ति के साथ ही मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाएगी।
आचार्य शास्त्री ने बताया कि देवउठनी एकादशी को अबूझ सावा मुहूर्त माना जाता है यानी इस दिन बिना किसी विशेष मुहूर्त के विवाह, गृहप्रवेश, मुंडन जैसे शुभ कार्य किए जा सकते हैं। इस दिन से चार माह से थमी शहनाइयां फिर से गूंजने लगेंगी। उन्होंने कहा कि यह एकादशी भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की उपासना का पर्व है जिसे प्रबोधिनी या देवोत्थान एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। श्रद्धालु इस दिन व्रत रखते हैं और भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करते हैं।
आचार्य शास्त्री ने बताया कि इस दिन तुलसी विवाह का विशेष महत्व होता है। तुलसी को देवी वृंदा और शालग्राम को भगवान विष्णु का स्वरूप मानकर विवाह किया जाता है। यह हिंदू धर्म के सर्वाधिक शुभ पर्वों में से एक है। उन्होंने बताया कि विवाह के लिए नवंबर माह में 22, 23, 25, 27, 29 और 30 तारीख को शुभ मुहूर्त हैं जबकि दिसंबर में केवल एक ही शुभ मुहूर्त पांच दिसंबर को रहेगा।
आचार्य शास्त्री ने बताया कि देवउठनी एकादशी को अबूझ सावा मुहूर्त माना जाता है यानी इस दिन बिना किसी विशेष मुहूर्त के विवाह, गृहप्रवेश, मुंडन जैसे शुभ कार्य किए जा सकते हैं। इस दिन से चार माह से थमी शहनाइयां फिर से गूंजने लगेंगी। उन्होंने कहा कि यह एकादशी भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की उपासना का पर्व है जिसे प्रबोधिनी या देवोत्थान एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। श्रद्धालु इस दिन व्रत रखते हैं और भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करते हैं।
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आचार्य शास्त्री ने बताया कि इस दिन तुलसी विवाह का विशेष महत्व होता है। तुलसी को देवी वृंदा और शालग्राम को भगवान विष्णु का स्वरूप मानकर विवाह किया जाता है। यह हिंदू धर्म के सर्वाधिक शुभ पर्वों में से एक है। उन्होंने बताया कि विवाह के लिए नवंबर माह में 22, 23, 25, 27, 29 और 30 तारीख को शुभ मुहूर्त हैं जबकि दिसंबर में केवल एक ही शुभ मुहूर्त पांच दिसंबर को रहेगा।