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Noida News: तुलसी, मेथी व नींबू घास का तेल हर बीमारी में रामबाण
संवाद न्यूज एजेंसी, नोएडा
Updated Tue, 16 Sep 2025 02:54 AM IST
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एनबीआरआई परिसर में अपने नवाचारों के साथ स्टॉलधारक।
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लखनऊ। सिल-बट्टे व अन्य घरेलू तकनीक से तुलसी, मेथी और नींबू घास जैसी जड़ी-बूटियों से बना प्राकृतिक तेल किसी भी बीमारी को ठीक करने में रामबाण साबित हो सकता है। यह दावा लखनऊ निवासी हर्ष चंद्र वर्मा ने किया है। उन्होंने यह शोध और उपकरण एनबीआरआई की मदद से तैयार किया। एनबीआरआई परिसर में आयोजित दो दिवसीय सीएसआईआर स्टार्टअप कॉन्क्लेव का सोमवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने समापन किया। इस दौरान उन्होंने स्वास्थ्य, कृषि और घरेलू परंपराओं पर आधारित 20 से अधिक स्टॉलों का अवलोकन कर स्टार्टअप पहल की सराहना की।
महिला स्व-सहायता समूह की पहल
बाराबंकी की बिट्टू देवी ने महिला स्वयं सहायता समूह के सहयोग से हाथ से बने बेना, पंखा, गमला और मिट्टी के बर्तनों को नया रूप देकर बाजार में उतारा। उन्होंने बताया कि महिलाएं घर बैठे भी अपने काम को पहचान दिला सकती हैं और ‘’एक जिला एक उत्पाद’’ योजना से जुड़कर दूसरों को रोजगार उपलब्ध करा सकती हैं।
सहजन से बनी आयुर्वेदिक औषधियां
लखनऊ की कामिनी सिंह ने सहजन के फल से निर्मित आयुर्वेदिक औषधियां प्रदर्शित कीं। उन्होंने बताया कि सहजन आमतौर पर हर जगह मिल जाता है, लेकिन इसकी औषधीय उपयोगिता से बहुत कम लोग परिचित हैं।
जलकुंभी से बनी चप्पल
एनबीआरआई से जुड़े शोधकर्ता अर्पित आचार्य ने जलकुंभी से तैयार चप्पल प्रदर्शित की। उनका दावा है कि इसे नियमित पहनने से रक्तचाप सामान्य रहता है। इसके अलावा, पराली जलाने और प्रदूषण से बचाव के लिए भी उन्होंने एक देसी दवा विकसित की है, जो दस दिन के भीतर खेत की पराली को नष्ट कर सकती है।
घास से बने उत्पाद
तमिलनाडु निवासी पांडियन ने घास से बने गमले, माला और पंखे प्रदर्शित किए। उन्होंने बताया कि कम खर्च में उनके स्टार्टअप को नई पहचान मिली है।

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बाराबंकी की बिट्टू देवी ने महिला स्वयं सहायता समूह के सहयोग से हाथ से बने बेना, पंखा, गमला और मिट्टी के बर्तनों को नया रूप देकर बाजार में उतारा। उन्होंने बताया कि महिलाएं घर बैठे भी अपने काम को पहचान दिला सकती हैं और ‘’एक जिला एक उत्पाद’’ योजना से जुड़कर दूसरों को रोजगार उपलब्ध करा सकती हैं।
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सहजन से बनी आयुर्वेदिक औषधियां
लखनऊ की कामिनी सिंह ने सहजन के फल से निर्मित आयुर्वेदिक औषधियां प्रदर्शित कीं। उन्होंने बताया कि सहजन आमतौर पर हर जगह मिल जाता है, लेकिन इसकी औषधीय उपयोगिता से बहुत कम लोग परिचित हैं।
जलकुंभी से बनी चप्पल
एनबीआरआई से जुड़े शोधकर्ता अर्पित आचार्य ने जलकुंभी से तैयार चप्पल प्रदर्शित की। उनका दावा है कि इसे नियमित पहनने से रक्तचाप सामान्य रहता है। इसके अलावा, पराली जलाने और प्रदूषण से बचाव के लिए भी उन्होंने एक देसी दवा विकसित की है, जो दस दिन के भीतर खेत की पराली को नष्ट कर सकती है।
घास से बने उत्पाद
तमिलनाडु निवासी पांडियन ने घास से बने गमले, माला और पंखे प्रदर्शित किए। उन्होंने बताया कि कम खर्च में उनके स्टार्टअप को नई पहचान मिली है।
एनबीआरआई परिसर में अपने नवाचारों के साथ स्टॉलधारक।
एनबीआरआई परिसर में अपने नवाचारों के साथ स्टॉलधारक।
एनबीआरआई परिसर में अपने नवाचारों के साथ स्टॉलधारक।
एनबीआरआई परिसर में अपने नवाचारों के साथ स्टॉलधारक।