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Alert: ओजोन प्रदूषण से फेफड़ों पर संकट, 65 निगरानी केंद्रों ने बजाई खतरे की घंटी; विशेषज्ञों ने दी यह चेतावनी
नितिन राजपूत, नई दिल्ली
Published by: दुष्यंत शर्मा
Updated Mon, 24 Nov 2025 03:06 AM IST
सार
शहरी क्षेत्रों में बढ़ते ओजोन प्रदूषण पर सीपीसीबी की तरफ से एनजीटी को सौंपी रिपोर्ट में आगाह किया गया कि यदि तुरंत कदम न उठाए गए तो फेफड़ों की बीमारी, अस्थमा के मामले तेजी से बढ़ेंगे।
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सांकेतिक तस्वीर
- फोटो : एएनआई
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विस्तार
शहरी क्षेत्रों में बढ़ते ओजोन प्रदूषण पर सीपीसीबी की तरफ से एनजीटी को सौंपी रिपोर्ट में आगाह किया गया कि यदि तुरंत कदम न उठाए गए तो फेफड़ों की बीमारी, अस्थमा के मामले तेजी से बढ़ेंगे। इसके साथ ही फसलों को भारी नुकसान हो सकता है। बोर्ड ने सलाह दी है कि वाहनों के धुएं को कम करें, फैक्टरियों में फिल्टर लगाएं और शहरों में ज्यादा पेड़ लगाएं।
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एनजीटी ने 20 अगस्त 2024 को इस मुद्दे पर सुनवाई करने के साथ सीपीसीबी को डाटा विश्लेषण का आदेश दिया था। न्याधिकरण ने एक मामले में सीएसई की रिपोर्ट पर आधारित एक मीडिया रिपोर्ट का स्वत: संज्ञान लिया था। रिपोर्ट में ग्राउंड-लेवल ओजोन में खतरनाक वृद्धि की बात कही गई थी। विशेषज्ञों का कहना है कि गर्मी और सूरज की रोशनी ओजोन निर्माण को तेज करती है, जिससे शहरी क्षेत्रों में हॉटस्पॉट बन रहे हैं। एनजीटी ने इस मुद्दे पर गंभीरता दिखाते हुए पर्यावरण मंत्रालय और सीपीसीबी से ओजोन नियंत्रण के लिए विशेषज्ञ समिति गठन का प्रस्ताव स्वीकार किया है।
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बोर्ड के साइंटिस्ट ई आदित्य शर्मा ने 25 सितंबर 2025 को दाखिल रिपोर्ट में बताया कि ओजोन जमीनी स्तर पर वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों (वीओसी), नाइट्रोजन ऑक्साइड्स (एनओएक्स), कार्बन मोनोऑक्साइड (सीओ) और मीथेन (सीएच4) से बनता है। गर्मी और धूप में यह तेजी से बढ़ता है। बोर्ड ने 2 फीसदी से ज्यादा उल्लंघन मानदंड पर आधारित आंकड़े दिए, जो एनएएक्यूएस (8-घंटे औसत 100 माइक्रोग्राम/घन मीटर, 1-घंटा 180 माइक्रोग्राम/घन मीटर) से मेल खाते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर अभी कदम न उठाए गए, तो 2025 में यह समस्या दोगुनी हो सकती है।
गर्मियों में गंभीर होती है स्थिति
रिपोर्ट के अनुसार, गर्मियों में ओजोन प्रदूषण और अधिक गंभीर हो जाता है। अप्रैल-जुलाई 2023 के दौरान 1-घंटे के उल्लंघन 10 निगरानी स्टेशनों पर दर्ज किए गए, जिनमें दिल्ली में 6 और मुंबई में 3 स्टेशन शामिल थे। यह संख्या 2024 में तेजी से बढ़कर 24 स्टेशनों तक पहुंच गई, जिसमें दिल्ली के 21, चेन्नई के 2 और हैदराबाद का 1 स्टेशन शामिल है। रात के समय भी खतरा कम नहीं होता है। 2023 में रात के दौरान 8 स्टेशनों पर ओजोन स्तर मानक से ऊपर पाया गया, जिनमें दिल्ली के 6, मुंबई का 1 व पुणे का 1 स्टेशन शामिल था। सीपीसीबी के अनुसार, प्राकृतिक स्रोत जैसे जंगल की आग और मिट्टी से निकलने वाली गैसें भी ओजोन निर्माण में योगदान दे रही हैं। वहीं, पर्यावरण मंत्रालय भी विशेषज्ञ समिति गठित करने की तैयारी कर रहा है, जिसकी शर्तें जल्द तय की जाएंगी।
क्या है ओजोन प्रदूषण?
ओजोन एक गैस है जो तीन ऑक्सीजन अणुओं से बनती है। ऊंचे आसमान में यह हमें सूरज की हानिकारक किरणों से बचाती है लेकिन जमीन के पास यह प्रदूषण बन जाता है। यह सीधे किसी स्रोत से नहीं निकलता, बल्कि वाहनों, उद्योगों और बिजलीघरों से निकलने वाली नाइट्रोजन, वाष्पशील कार्बनिक यौगिक और कार्बन मोनोआक्साइड के सूरज की रोशनी में रासायनिक प्रतिक्रिया से बनता है।
ओजोन प्रदूषण की वजह
- ओजोन में वृद्धि मौसम,प्रदूषण स्रोतों पर निर्भर है।
- गर्मी और सूरज की रोशनी इसकी रासायनिक प्रतिक्रिया को बढ़ाती है।
- वाहन, उद्योग, कचरा जलाना और ठोस ईंधन का इस्तेमाल इसकी वजह हैं।