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NGT की रिपोर्ट में खुलासा: यमुना नदी के बाढ़ क्षेत्र की सीमा तय करने में देरी, अब अगस्त 2026 तक टली प्रक्रिया

नितिन राजपूत, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: अनुज कुमार Updated Mon, 29 Dec 2025 08:52 AM IST
सार

एनजीटी के सख्त आदेशों के बावजूद दिल्ली में यमुना नदी के फ्लडप्लेन को चिन्हित करने और अवैध कब्जे हटाने की प्रक्रिया तकनीकी दिक्कतों के कारण अब अगस्त 2026 तक टल गई है। दिल्ली सरकार ने एनजीटी को सौंपी ताजा रिपोर्ट में खुलासा किया कि पुराने डेटा पर आधारित मैप अपर्याप्त है, जबकि सीडब्ल्यूपीआरएस की स्टडी और नया डेटा प्राप्त करने में देरी हो रही है।

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study to demarcate Yamuna floodplain boundaries delayed and will now extend until August 2026
दिल्ली के बाढ़ प्रभावित इलाके (फाइल फोटो) - फोटो : भूपिंदर सिंह
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विस्तार
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राजधानी में यमुना नदी के बाढ़ क्षेत्र (फ्लडप्लेन) को चिन्हित करने और अवैध कब्जे हटाने का काम राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के सख्त आदेशों के बावजूद रेंग रहा है। तकनीकी दिक्कतों की वजह से यह प्रक्रिया अब अगस्त 2026 तक टल गई है। यह खुलासा दिल्ली सरकार ने एनजीटी को सौंपी अपनी ताजा रिपोर्ट में किया है।

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रिपोर्ट के अनुसार, जियोस्पेशियल दिल्ली लिमिटेड (जीएसडीएल) ने 2007-2008 के पुराने डेटा से एक पीडीएफ मैप तैयार किया, जिसमें 1 मीटर ऊंचाई वाली कंटूर लाइनों को 1:100 साल की बाढ़ सीमा पर लगाया गया। शुरुआती जांच में पाया गया कि यह सीमा ज्यादातर 209-210 मीटर ऊंचाई से मैच करती है, लेकिन जमीन पर वास्तविक जांच (ग्राउंड ट्रूथिंग) नहीं हुई। सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग (आईएंडएफसी) को इसकी जांच करनी है।
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यह मामला 2023 में एक मीड़िया रिपोर्ट से शुरू हुआ, जिसमें बताया गया था कि यमुना के 22 किलोमीटर हिस्से (वजीराबाद से पल्ला तक) में अवैध निर्माणों की वजह से बाढ़ आई थी। ऐसे में दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) को अपना मास्टर प्लान बदलना पड़ा। एनजीटी ने खुद ही इस पर     संज्ञान लिया और हाई-लेवल कमेटी बनाई।

अब तक कई स्टेटस रिपोर्ट दाखिल हो चुकी हैं, लेकिन प्रगति नाममात्र की है। रिपोर्ट के मुताबिक, पुणे की सेंट्रल वाटर एंड पावर रिसर्च स्टेशन (सीडब्ल्यूपीआरएस) को सौंपी गई स्टडी पहले 31 अगस्त 2025 तक पूरी होनी थी, लेकिन सर्वे ऑफ इंडिया (एसओआई) से मिला डेटा अपर्याप्त निकला। वहीं, बुराड़ी गार्डन से ओखला बर्ड सैंक्चुअरी तक 28.3 किलोमीटर का हिस्सा गायब है। अब आईएंडएफसी एयरबस कंपनी से नया डेटा खरीदेगा, जो 45 दिन में आएगा। उसके बाद सीडब्ल्यूपीआरएस को अंतिम मैप बनाने में 5 महीने लगेंगे।

बाढ़ क्षेत्र की भौतिक सीमा का टेंडर निकाला
रिपोर्ट में बताया गया है कि डीडीए ने बाढ़ क्षेत्र की भौतिक सीमा बोलार्ड लगाकर तय करने का टेंडर निकाल दिया है, लेकिन यह तभी शुरू होगा जब आईएंडएफसी और जीएसडीएल से फाइनल मैप मिलेगा। अवैध कब्जों का डेटा पुराना ही है, कोई नया अपडेट नहीं। इसके अलावा, 24 अक्तूबर और 1 दिसंबर 2025 को हुई मीटिंग्स में इन मुद्दों पर चर्चा हुई।

एनजीटी की अगली सुनवाई 8 दिसंबर 2025 को थी, जहां नई रिपोर्ट दाखिल हुई। 2023 की बाढ़ में यमुना का जल स्तर 208.66 मीटर तक पहुंच गया, जो रिकॉर्ड था। अवैध निर्माणों की वजह से नदी का प्राकृतिक बहाव रुकता है, जिससे बाढ़ का पानी शहर में घुस जाता है। पर्यावरण विशेषज्ञों का दावा है कि बिना सही सरहदबंदी के दिल्ली हर साल बाढ़ की चपेट में रहेगी। सिविल सोसाइटी मैगजीन की रिपोर्ट में कहा गया है कि एनजीटी के आदेशों के बावजूद मैपिंग नहीं हुई, जो नदी के पुनरुद्धार को बाधित कर रहा है।
 

परियोजनाओं को 10 भाग में विभाजित किया
डीडीए ने अप्रैल में एनजीटी को बताया था कि उसने वजीराबाद बैराज और आईएसबीटी कश्मीरी गेट के बीच यमुना वनस्थली परियोजना के तहत 24 एकड़ भूमि को अतिक्रमण से मुक्त कर दिया है। हालांकि, अधिकारियों ने माना कि अतिक्रमण विरोधी अभियान को अक्सर लोगों के विरोध का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा डूब क्षेत्र के उचित सीमांकन की कमी के कारण इसमें बाधा आती है। पिछले साल डीडीए के एक सर्वेक्षण में दावा किया गया था कि हाल के वर्षों में दिल्ली में यमुना बाढ़ क्षेत्र की दो-तिहाई भूमि पर अतिक्रमण किया गया है। कार्य योजना में एजेंसियों को यमुना में बहने वाले नालों से सभी प्रकार के अतिक्रमण को हटाने के निर्देश भी शामिल हैं। यमुना पुनरुद्धार से संबंधित चल रही परियोजनाओं को 10 भागों में बांटा गया है।
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