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Delhi: जनता की मांग सुननी एमसीडी ने की बंद, विशेष बजट मद बना दिखावा, पिछले वर्ष एक रुपया भी नहीं हुआ खर्च
विनोद डबास, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: Digvijay Singh
Updated Tue, 30 Dec 2025 05:16 AM IST
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सार
जनता की मांग पर विकास कार्य कराने एमसीडी ने लगता है बंद कर दिए हैं तभी तो ऐसे कार्यों पर खर्च बेहद सीमित हो गया है। एमसीडी हर साल बजट में 82 लाख रुपये आम नागरिकों की समस्याओं के जल्द समाधान के लिए बनाए गए अलग मद में रखता है।
एमसीडी मुख्यालय
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
जनता की मांग पर विकास कार्य कराने एमसीडी ने लगता है बंद कर दिए हैं तभी तो ऐसे कार्यों पर खर्च बेहद सीमित हो गया है। एमसीडी हर साल बजट में 82 लाख रुपये आम नागरिकों की समस्याओं के जल्द समाधान के लिए बनाए गए अलग मद में रखता है। इस रकम के खर्च नहीं होने पर इसके औचित्य पर सवाल उठने लगे हैं। जनता की नजर में यह मद औपचारिकता बनकर रह गया है।
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एमसीडी ने कई वर्ष पहले स्वीकार किया था कि स्थानीय स्तर पर नागरिकों की छोटी-छोटी समस्याएं गालियों की मरम्मत, नालियों की सफाई, स्ट्रीट लाइट, सार्वजनिक शौचालय, पार्कों की मरम्मत और अन्य बुनियादी सुविधाएं अक्सर बड़े प्रोजेक्ट्स की भीड़ में दब जाती हैं। इसके लिए बजट में एक अलग मद बनाया गया था, ताकि जनता की मांग पर सीधे विकास कार्य कराए जा सकें।
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इस मद का उद्देश्य जितना स्पष्ट था, उसका क्रियान्वयन उतना ही कमजोर साबित हुआ। वित्तीय वर्ष 2023-24 में करीब चार लाख रुपये खर्च किए गए। वित्तीय वर्ष 2024-25 में तो इस मद से एक रुपया खर्च नहीं किया गया। यह स्थिति तब है, जब दिल्ली के अलग-अलग इलाकों से नागरिक लगातार स्थानीय समस्याओं को लेकर शिकायतें करते रहे हैं। सवाल यह है कि जब पिछले दो वर्षों में इस मद का उपयोग लगभग शून्य रहा, तो फिर हर साल उसी राशि का प्रावधान क्यों किया जा रहा है।
हमारी सरकार ने जनता की भागीदारी बढ़ाने के लिए इस संबंध की शुरुआत की थी, लेकिन अधिकारियों ने इस मद से खर्च करने में रुचि लेना मुनासिफ नहीं समझा। -अंकुश नारंग, नेता प्रतिपक्ष
यह गंभीर मामला है और वह इस संबंध में संज्ञान ले रही हैं। अगले महीने बजट पास करने के दौरान इस बारे में उचित कदम उठाए जाएंगे। इस मद में राशि भी बढ़ाई जाएगी और गाइडलाइन भी तय की जाएगी।- सत्या शर्मा, अध्यक्ष स्थायी समिति