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विवेकानंद का दर्शन आज भी युवाओं को दिखा रहा रास्ता : धर्मेंद्र प्रधान
सार
नई दिल्ली स्थित डीयू के उत्तरी कैंपस में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने 'लिविंग द विवेकानंद वे' किताब का लोकार्पण किया। इस किताब में युवाओं को विवेकानंद के विचारों व प्रैक्टिकल वेदांत से जोड़ने का प्रयास किया गया है। कार्यक्रम में लेखकों को आगे भी भारतीय दर्शन पर लिखने की सलाह दी गई।
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विस्तार
केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने 'लिविंग द विवेकानंद वे' किताब का डीयू में किया लोकार्पण
किताब के लेखक अनन्या-निखिल की जोड़ी ने प्रैक्टिकल वेदांत को बनाया सहज
अमर उजाला ब्यूरो
नई दिल्ली। स्वामी विवेकानंद का दर्शन युवाओं को आज भी रास्ता दिखा रहा है। सनातन दर्शन, सभ्यता और विचारधारा आपस में जुड़े हैं। विवेकानंद इन सबका प्रकाशमान केंद्र हैं। ये बातें केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने 'लिविंग द विवेकानंद वे' किताब के लोकार्पण के मौके पर कही। डीयू के उत्तरी कैंपस में आयोजित हुए कार्यक्रम में उन्होंने युवाओं को विवेकानंद के विचारों से जोड़ा।
बृहस्पतिवार को शंकरलाल हॉल में रूपा पब्लिकेशन की नई किताब 'लिविंग द विवेकानंद वे' का लोकार्पण हुआ। इसे दो युवा लेखकों अनन्या अवस्थी और निखिल यादव ने लिखा है। शिक्षा मंत्री मेट्रो से कार्यक्रम में पहुंचे। उन्होंने विवेकानंद के दर्शन पर गहराई से बात की। उन्होंने कहा, सिर्फ 39 साल की उम्र में उन्होंने दुनिया में अपना दर्शन स्थापित किया। जटिल वेद-वेदांत को सहज तरीके से समझाया। प्रैक्टिकल वेदांत पर जोर दिया। प्रधान ने कहा, विवेकानंद ने बताया कि जो विचार जीवन में न उतरे, दर्शन नहीं बनता। मंत्री ने किताब का जिक्र करते हुए कहा कि इसमें एआई जैसे आधुनिक मुद्दों पर भी विवेकानंद के विचारों को जोड़ा गया है। दोनों लेखकों ने बड़े सहज तरीके से वेद-वेदांत को समझाया है।
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भारत का जेन-जी वेदांत की राह पर
शिक्षा मंत्री ने कहा कि दुनिया में गुटबंदी बढ़ रही है, भारत में भी कुछ लोग कहते हैं, जेन-जी मौजूदा व्यवस्था को तोड़ेगा। लेकिन भारत का जेन-जी आध्यात्मिकता और वेदांत की राह पर है। अनन्या-निखिल की किताब इसका जीवंत उदाहरण है। विवेकानंद के विचार युवाओं को दिशा दे रहे हैं। विवेकानंद ने छह मुख्य विषयों, आत्म शुद्धता, सभी धर्मों की एकता, मनुष्यता, नर सेवा, नेतृत्व, शिक्षा से भाईचारे के भाव पर खूब बोला है। मौजूदा सेवा पखवाड़ा इनके विचारों से प्रेरित है।
आगे भी दर्शन पर लिखते रहने की सलाह
धर्मेंद्र प्रधान ने किताब के लेखकों की तारीफ करते हुए कहा, निखिल ने आध्यात्मिक और बौद्धिक नजरिए से विवेकानंद को पेश किया है। अनन्या मजबूत इरादों वाली हैं। उन्हें पिता अवनीश अवस्थी और मां मालिनी अवस्थी से कला और कौशल दोनों विरासत में मिले हैं। दोनों को आगे भी भारत दर्शन पर लिखते रहने की सलाह दी।
विवेकानंद का मतलब धर्म, ज्ञान, त्याग
डीयू के वीसी प्रो. योगेश सिंह ने कहा, स्वामी विवेकानंद को बेहद कम समय में दुनियाभर में ख्याति मिली। इसपर बहुत सोचने पर जाना कि विवेकानंद का मतलब धर्म, ज्ञान, त्याग की साक्षात प्रतिमूर्ति है। रूपा पब्लिकेशन के निदेशक कपीश मेहरा ने कहा कि वे चाहते है कि ये किताब न सिर्फ लोग पढ़ें, बल्कि अकादमियों तक पहुंचे। डॉ. अनन्या हार्वर्ड से स्नातकोत्तर हैं, निखिल सामाजिक विज्ञान के जानकार और विवेकानंद अध्ययन केंद्र उत्तर के उप प्रमुख हैं।
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किताब के लेखक अनन्या-निखिल की जोड़ी ने प्रैक्टिकल वेदांत को बनाया सहज
अमर उजाला ब्यूरो
नई दिल्ली। स्वामी विवेकानंद का दर्शन युवाओं को आज भी रास्ता दिखा रहा है। सनातन दर्शन, सभ्यता और विचारधारा आपस में जुड़े हैं। विवेकानंद इन सबका प्रकाशमान केंद्र हैं। ये बातें केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने 'लिविंग द विवेकानंद वे' किताब के लोकार्पण के मौके पर कही। डीयू के उत्तरी कैंपस में आयोजित हुए कार्यक्रम में उन्होंने युवाओं को विवेकानंद के विचारों से जोड़ा।
बृहस्पतिवार को शंकरलाल हॉल में रूपा पब्लिकेशन की नई किताब 'लिविंग द विवेकानंद वे' का लोकार्पण हुआ। इसे दो युवा लेखकों अनन्या अवस्थी और निखिल यादव ने लिखा है। शिक्षा मंत्री मेट्रो से कार्यक्रम में पहुंचे। उन्होंने विवेकानंद के दर्शन पर गहराई से बात की। उन्होंने कहा, सिर्फ 39 साल की उम्र में उन्होंने दुनिया में अपना दर्शन स्थापित किया। जटिल वेद-वेदांत को सहज तरीके से समझाया। प्रैक्टिकल वेदांत पर जोर दिया। प्रधान ने कहा, विवेकानंद ने बताया कि जो विचार जीवन में न उतरे, दर्शन नहीं बनता। मंत्री ने किताब का जिक्र करते हुए कहा कि इसमें एआई जैसे आधुनिक मुद्दों पर भी विवेकानंद के विचारों को जोड़ा गया है। दोनों लेखकों ने बड़े सहज तरीके से वेद-वेदांत को समझाया है।
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भारत का जेन-जी वेदांत की राह पर
शिक्षा मंत्री ने कहा कि दुनिया में गुटबंदी बढ़ रही है, भारत में भी कुछ लोग कहते हैं, जेन-जी मौजूदा व्यवस्था को तोड़ेगा। लेकिन भारत का जेन-जी आध्यात्मिकता और वेदांत की राह पर है। अनन्या-निखिल की किताब इसका जीवंत उदाहरण है। विवेकानंद के विचार युवाओं को दिशा दे रहे हैं। विवेकानंद ने छह मुख्य विषयों, आत्म शुद्धता, सभी धर्मों की एकता, मनुष्यता, नर सेवा, नेतृत्व, शिक्षा से भाईचारे के भाव पर खूब बोला है। मौजूदा सेवा पखवाड़ा इनके विचारों से प्रेरित है।
आगे भी दर्शन पर लिखते रहने की सलाह
धर्मेंद्र प्रधान ने किताब के लेखकों की तारीफ करते हुए कहा, निखिल ने आध्यात्मिक और बौद्धिक नजरिए से विवेकानंद को पेश किया है। अनन्या मजबूत इरादों वाली हैं। उन्हें पिता अवनीश अवस्थी और मां मालिनी अवस्थी से कला और कौशल दोनों विरासत में मिले हैं। दोनों को आगे भी भारत दर्शन पर लिखते रहने की सलाह दी।
विवेकानंद का मतलब धर्म, ज्ञान, त्याग
डीयू के वीसी प्रो. योगेश सिंह ने कहा, स्वामी विवेकानंद को बेहद कम समय में दुनियाभर में ख्याति मिली। इसपर बहुत सोचने पर जाना कि विवेकानंद का मतलब धर्म, ज्ञान, त्याग की साक्षात प्रतिमूर्ति है। रूपा पब्लिकेशन के निदेशक कपीश मेहरा ने कहा कि वे चाहते है कि ये किताब न सिर्फ लोग पढ़ें, बल्कि अकादमियों तक पहुंचे। डॉ. अनन्या हार्वर्ड से स्नातकोत्तर हैं, निखिल सामाजिक विज्ञान के जानकार और विवेकानंद अध्ययन केंद्र उत्तर के उप प्रमुख हैं।