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लेजर थेरेपी से दुरुस्त होगी जुड़वां बच्चों की सेहत
New Delhi
Updated Mon, 13 May 2013 05:30 AM IST
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नई दिल्ली। गर्भ में पल रहे जुड़वा बच्चों की बीमारी दूर करने के लिए एम्स के गायनोकोलॉजी विभाग ने एक नई तकनीक ईजाद की है। इस तकनीक से बच्चों की जिंदगी बचाई जा सकती है। एम्स में अभी तक ऐसे तीन सफल ऑपरेशन किए जा चुके हैं। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में ट्विंस ट्रांसफ्यूजन सिंड्रोम के इलाज के लिए लेजर थेरेपी तकनीक विकसित की गई है। इस तकनीक से गर्भ में पल रहे बच्चे की बीमारी पता लगने के बाद लेजर थेरेपी से दोनों बच्चों को अलग किया जा सकता है। इसके लिए मां का एक ऑपरेशन करना पड़ता है, जिसमें बहुत खतरा नहीं रहता। एम्स गायनोकोलॉजी विभाग की प्रोफेसर और फीटल मेडिसिन की प्रमुख डॉक्टर दीपिका डेका ने बताया कि कई बार ऐसा होता है कि गर्भ में पल रहे जुड़वा बच्चों के अंग एक-दूसरे जुड़े होते हैं। ऐसे में एक बच्चे की बीमारी दूसरे बच्चे में जाने का खतरा रहता है। ऐसे भी मामले देखने में आते हैं कि एक बच्चे के शरीर से खून दूसरे बच्चे में जाने लगता है। ऐसा होने से एक बच्चे के शरीर में खून की कमी हो जाती है और दूसरे बच्चे में बढ़ जाता है। खून का बढ़ना और घटना दोनों जानलेवा हैं। डॉक्टर डेका ने बताया कि ऐसी स्थिति में लेजर थेरेपी से दोनों बच्चों को अलग किया जाता है। थेरेपी के बाद गर्भ में पल रहे बच्चे के बचने की संभावना 70 से 80 प्रतिशत तक बढ़ जाती है। इस ऑपरेशन से मां की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ता। डॉक्टर डेका ने बताया कि देश में एम्स में ही ऐसी सुविधा है और अभी तक इस तरह की तीन सफल सर्जरी की जा चुकी है।
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