हिमाचल: शिक्षकों को बड़ी राहत, सरकार ने टीचर डायरी की अनिवार्यता को किया खत्म
सरकार ने यह निर्णय शिक्षा व्यवस्था में आए व्यापक बदलावों, डिजिटल प्लेटफॉर्म के बढ़ते उपयोग और नई शिक्षा नीति-2020 के प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए लिया है। शिक्षा सचिव राकेश कंवर की ओर से सोमवार को इस बाबत अधिसूचना जारी की गई।
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शिक्षा सचिव की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि बीते वर्षों में स्कूल शिक्षा का पूरा इको सिस्टम बदल चुका है। अब शिक्षण-अधिगम गतिविधियां ऑनलाइन लेसन प्लान, अकादमिक पोर्टल, लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम और अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से दर्ज और मॉनीटर की जा रही हैं। ऐसे में भौतिक रूप में टीचर डायरी रखना अब आवश्यक नहीं रह गया है। शिक्षा विभाग के अनुसार छात्रों की प्रगति और कक्षा शिक्षण की प्रक्रिया को सतत एवं समग्र मूल्यांकन, समय-समय पर होने वाले आकलन, निरीक्षण और डाटा आधारित अकादमिक समीक्षा के जरिये प्रभावी ढंग से देखा जा रहा है। मौजूदा समय में फोकस कागजी कार्यवाही से अधिक सीखने के परिणाम, कक्षा में सहभागिता और शिक्षण गुणवत्ता पर है।
आदेश में स्पष्ट किया गया है कि वर्तमान पाठ्यपुस्तकों को इस तरह से तैयार किया गया है कि हर अध्याय लर्निंग आउटकम से जुड़ा हुआ है। शिक्षक प्रतिदिन के आधार पर पाठ्यक्रम का शिक्षण इन्हीं तय लर्निंग आउटकम को ध्यान में रखकर कर रहे हैं, जिससे अलग से डायरी में विवरण दर्ज करने की जरूरत नहीं रह जाती। अब सरकार की ओर से शुरू किए गए विद्या समीक्षा केंद्र के माध्यम से स्कूलों की शैक्षणिक और गैर-शैक्षणिक गतिविधियों की रियल टाइम निगरानी की जा रही है। केंद्र में शिक्षकों के लिए कई मॉड्यूल उपलब्ध हैं, जिनमें उपस्थिति, शैक्षणिक प्रगति और अन्य सूचनाएं दर्ज होती हैं। इससे टीचर डायरी पूरी तरह अप्रासंगिक हो गई है। उधर, प्रदेश के विभिन्न शिक्षक संगठनों ने इस फैसले के लिए सरकार का आभार जताया है।
हिमाचल प्रदेश स्कूल प्रवक्ता संघ और प्रदेश शिक्षक महासंघ ने शिक्षक डायरी अनिवार्य रूप से रखने का नियम खत्म करने पर सरकार का आभार जताया है। प्रदेश शिक्षक महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष विनोद सूद ने निर्णय का स्वागत करते हुए इसे सकारात्मक और व्यावहारिक कदम बताया। प्रांत मीडिया प्रमुख शशि शर्मा ने मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री एवं शिक्षा सचिव आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इस महत्वपूर्ण निर्णय से शिक्षक का छात्रों के साथ संवाद, सह शैक्षिक गतिविधियों, प्रायोगिक शिक्षा एवं मनोवैज्ञानिक तरीके से बुद्धि से विवेक की तरफ ले जाने वाली प्रणाली का मुख्य कलाकार के रूप में अपना मुख्य रोल अदा करने में मदद मिलेगी। प्रदेश स्कूल प्रवक्ता संघ के पूर्व अध्यक्ष डॉ. अश्विनी कुमार, पूर्व अध्यक्ष ठाकुर केसर सिंह, वर्तमान राज्य अध्यक्ष अजय नेगी, महासचिव इंद्र सिंह ठाकुर, मुख्य संरक्षक लोकेंद्र नेगी, मुख्य मार्गदर्शक राजेश सैनी, राज्य चेयरमैन सुरेंद्र पुंडीर, कार्यकारी अध्यक्ष दीप सिंह खन्ना, वाइस चेयरमैन राकेश भारद्वाज, वरिष्ठ उपाध्यक्ष ओम प्रकाश, संजय शर्मा, शौकत अली, विकास रत्न, राजेंद्र मैठा, सूरज वाली, अजय ठाकुर, जगमोहन एवं राजेश शर्मा, मुख्य सलाहकार चंद्र देव ठाकुर, संगठन सचिव रंगीला ठाकुर, वित्त सचिव सुरजीत सिसोदिया, प्रेस सचिव जयराम शर्मा, मीडिया सचिव राजन शर्मा तथा मुख्य वेब सचिव भूपेश नेगी व विजय आर्य ने कहा कि शिक्षक डायरी को अनिवार्य बनाए जाने से शिक्षकों पर अतिरिक्त प्रशासनिक बोझ बढ़ रहा था।
अध्यापकों को स्कूल पहुंचने पर चेक इन के साथ चेक आउट करना भी जरूरी
हिमाचल प्रदेश के अध्यापकों को स्कूल पहुंचने पर स्विफ्ट चैट पोर्टल चेक इन करने के साथ अब छुट्टी के दौरान चेक आउट करना भी अनिवार्य होगा। चेक आउट न करने पर उन्हें गैर हाजिर माना जाएगा। वहीं पोर्टल पर हाजिरी लगाने के बाद शिक्षकों के पास उनके द्वारा किए गए चेक इन और चेक आउट का भी पूरा रिकार्ड रहेगा। जानकारी के अनुसार हिमाचल प्रदेश शिक्षा विभाग ने सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की उपस्थिति को लेकर सख्ती बरती है। विभाग ने सभी जिला उपनिदेशकों, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों के प्रिंसिपलों, हाई स्कूलों के हेडमास्टरों, बीईईओ और सीएचटी को निर्देश जारी कर उन्हें स्विफ्ट चैट पोर्टल पर सुबह स्कूल पहुंचने पर चेक इन करने को कहा गया था, वहीं अब शिक्षकों को स्कूल से छुट्टी करने के दौरान अब चेक आउट भी करना होगा। पोर्टल पर बिना चेक आउट किए उनकी स्कूल में उपस्थिति को गैरहाजिरी माना जाएगा। उल्लेखनीय है कि शिक्षा विभाग ने शिक्षकों की हाजिरी अब अनिवार्य रूप से स्विफ्ट चैट पोर्टल पर शुरू किया है। इसके लिए ग्रीष्म और शीत कालीन स्कूलों के लिए अलग समय भी तय किया गया है। सूत्रों की मानें तो इससे पहले शिक्षक सुबह के समय स्कूल में चेक इन कर स्कूल से गैरहाजिर हो रहे थे। ऐसे में शिक्षकों को पूरा दिन स्कूल में रोके रखने के लिए अब शिक्षा विभाग ने चेक इन के साथ चेक आउट करना भी अनिवार्य कर दिया है।
शिक्षा बोर्ड के टॉपरों को स्कूल प्रिंसिपलों के माध्यम से मिलेंगे वाउचर
स्कूल शिक्षा बोर्ड के टॉपरों को स्कूल प्रिंसिपलों के माध्यम से वाउचर दिए जाएंगे। दसवीं और बारहवीं कक्षा के मेधावी वाउचर से अपनी पसंद के इलेक्ट्रानिक गैजेट खरीद सकेंगे। वाउचर की कीमत 16 हजार रुपये होगी। पोर्टल पर ऑनलाइन माध्यम से मेधावी खरीद कर सकेंगे। 11 दिसंबर को मंडी से मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने वाउचर देकर मेधावियों के लिए इस योजना की शुरुआत की है। राज्य सरकार की इस पहल के तहत प्रत्येक चयनित मेधावी छात्र को 16 हजार रुपये मूल्य का वाउचर प्रदान किया जाएगा। इस वाउचर का उपयोग छात्र लैपटॉप, टैबलेट, स्मार्ट डिवाइस जैसे शैक्षणिक उपयोग के इलेक्ट्रॉनिक गैजेट खरीदने के लिए कर सकेंगे। खरीद प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन होगी, जिससे पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सकेगी। शिक्षा विभाग के अनुसार वाउचर वितरण की जिम्मेदारी संबंधित स्कूलों के प्रिंसिपलों को सौंपी गई है। बोर्ड से सूची प्राप्त होने के बाद पात्र छात्रों को सूचना दी जाएगी और निर्धारित प्रक्रिया के तहत वाउचर सौंपे जाएंगे। इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सहायता सही लाभार्थी तक पहुंचे। शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने कहा कि डिजिटल उपकरणों की उपलब्धता से छात्र ऑनलाइन अध्ययन सामग्री, ई-लर्निंग प्लेटफॉर्म और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी बेहतर ढंग से कर सकेंगे। यह योजना ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों के मेधावी छात्रों के लिए विशेष रूप से लाभकारी साबित होगी। योजना का उद्देश्य केवल प्रोत्साहन देना नहीं, बल्कि छात्रों को आधुनिक शिक्षा प्रणाली से जोड़ना और तकनीक के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को बढ़ावा देना है।