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Safalta Talks : आने वाले समय में बिना एआई के नहीं चलेगा काम : विकास यादव
Media Solution Initiative
Published by: Pushpendra Mishra
Updated Fri, 16 Feb 2024 05:23 PM IST
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सार
Master Class Session Topic: AI Impact On SEO, Guest: Vikas Yadav, Director Digital Marketing, Hyatt

AI Impact on SEO
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
सफलता.कॉम द्वारा एआई का एसईओ पर प्रभाव विषय पर आयोजित मास्टर क्लास सेशन में विकास यादव डायरेक्टर डिजिटल मार्केटिंग हयात होटल कॉरपोरेशन्स ने कहा कि एआई के आने से बहुत सारे बदलाव आए हैं। उन्होंने कहा कि सर्च इंजन एल्गोरिद्म की बात करें तो इसमें सन् 1995 से 2000-2003 तक का जमाना ऐसा था जिसमें एक मेटा की-वर्ड होता था। जिसे डालने के बाद वेबसाइट रैंक करनी चालू कर देती थी। सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन इसी तरह कई साल चलता रहा। गूगल ने जो पहला एसईओ एल्गोरिद्म को लेकर अपडेट जारी किया था वह 2007 के आसपास किया। इसके बाद वर्ष दर वर्ष गूगल खुद को और अपडेट करता गया।
उन्होंने कहा कि आज के परिदृश्य की बात करें तो एआई ने कंटेंट बनाना बहुत आसान कर दिया है। लेकिन जितना ज्यादा कंटेंट बनाना आसान हो गया है उतना ज्यादा गूगल एसईओ के लिए स्ट्रिक्ट हो गया है। विकास ने कहा कि एआई कंटेंट के जरिये आने वाले समय में कंटेंट की बाढ़ आने वाली है। जिससे डुप्लीकेसी की बहुत प्रॉब्लम आने वाली है। उन्होंने कहा कि जो भी छात्र डिजिटल मार्केटिंग से जुड़े हैं औऱ वेबसाइट्स को फॉलो कर रहे हैं तो एआई के एसईओ पर प्रभाव के बारे में बहुत सारे आर्टिकल्स आजकल वेबसाइट्स ने लिखे हैं उन्हें देख सकते हैं। जिनमें कंटेंट की डुप्लीसिटी के लिए नहीं अलावा कंटेंट की खराब क्वालिटी पर लिखा गया है।
उन्होंने कहा कि आजकल गूगल पर नया कंटेंट तो बहुत आ रहा है लेकिन अच्छा कंटेंट नहीं आ रहा है। क्योंकि गूगल हमेशा ये अपनी पॉलिसी में ये रखता है कि अगर आपका कंटेंट ह्यूमन फ्रेंडली है। जबकि एआई वाला सारा ऑटो जनरेटेड कंटेंट है जोकि बहुत बड़ी चुनौती है। गूगल भी इस मामले में बहुत स्मार्ट है उसे साफ पता चल जाता है कि कौन सा कंटेंट एआई जनरेटेड है। क्योंकि एआई पर जब आप कंटेंट लिखना शुरू करेंगे तो आपको पता चलेगा कि एक जैसा ही कंटेंट आपको एआई द्वारा बार बार मिलेगा। इसीलिए उस कंटेंट को ह्यूमन एंगल कंटेंट बनाने के लिए एक और एआई आ गया। सामान्यत: जो आदमी कंटेंट बनाता है उसके लिए वह मोरल, एथिकल नुआंसेस का ध्यान रखते हैं। लेकिन एआई का कंटेंट साफ पकड़ा जाता है। जिसे गूगल स्पैम करार देता है और इस तरह के कंटेंट पर ट्रैफिक भी नहीं आता।
आज के समय में हम एआई का यूज कैसे कर सकते हैं कि हम सर्च इंजन के फ्रेंडली कंटेंट, यूजर फ्रेंडली कंटेंट तैयार कर सकते हैं। आने वाले समय में बिना एआई के आपका काम नहीं बनेगा। तो आपको ये सीखना होगा कि इसका यूज कैसे करते हैं। AI से जनरेट हर कंटेंट खराब नहीं हो सकता। जैसे एआई फोटो को यूज करके एक वीडियो बनाया गया हो जो प्रेरक हो, या वृंदावन के प्रेमानंद महाराज का कोई वीडियो है जो एआई ने तैयार किया हो। तो इसमें इंस्टाग्राम का एल्गोरिद्म ऐसी इंफोर्मेटिव वीडियो को प्रमोट करता है। तो हमें ऐसा कंटेंट तैयार करना हो जो पाठकों द्वारा आसानी से स्वीकार किया जा सके। जैसे एआई से आपने बनाया हाऊ टू लूज वेट। आजकल सबको अपना वजन कम करने के तरीके खोजने होते हैं। तो एआई से उसपर वीडियो बनाया जा सकता है।
वैसे बनाने को आप मोटापा कम करने पर हजार वीडियो बना सकते हैं लेकिन उनमें यूनीकनेस नहीं होगी। क्योंकि आज जब सोशल मीडिया पर सब लोग आ चुके हैं तो सबको पता है कि वजन कम कैसे किया जा सकता है। सबको ये भी पता है कि प्रोटीन का आपके मसल्स पर क्या प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने कहा कि आज गूगल सर्च क्वेरीज में 34 प्रतिशत वो कीवर्ड सर्च होते हैं जिनमें 4 शब्द होते हैं। साथ ही गूगल पर आज के समय में टॉप रैंक कर रहे कंटेंट के 25 प्रतिशत में मेटा डिस्क्रिप्शन लिखा ही नहीं है। विकास ने कहा कि विश्वभर में 4.72 अरब लोग इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं। हरेक इंटरनेट यूजर दिन में एक से 4 बार कुछ न कुछ सर्च करता है। 75 प्रतिशत लोग गूगल सर्च इंजन पर सर्च के बाद पहला पेज छोड़कर अगले पेज पर नहीं जाते।

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आने वाले समय में बढ़ेगा एआई कंटेंट
उन्होंने कहा कि आज के परिदृश्य की बात करें तो एआई ने कंटेंट बनाना बहुत आसान कर दिया है। लेकिन जितना ज्यादा कंटेंट बनाना आसान हो गया है उतना ज्यादा गूगल एसईओ के लिए स्ट्रिक्ट हो गया है। विकास ने कहा कि एआई कंटेंट के जरिये आने वाले समय में कंटेंट की बाढ़ आने वाली है। जिससे डुप्लीकेसी की बहुत प्रॉब्लम आने वाली है। उन्होंने कहा कि जो भी छात्र डिजिटल मार्केटिंग से जुड़े हैं औऱ वेबसाइट्स को फॉलो कर रहे हैं तो एआई के एसईओ पर प्रभाव के बारे में बहुत सारे आर्टिकल्स आजकल वेबसाइट्स ने लिखे हैं उन्हें देख सकते हैं। जिनमें कंटेंट की डुप्लीसिटी के लिए नहीं अलावा कंटेंट की खराब क्वालिटी पर लिखा गया है।
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ह्यूमन फ्रेंडली और यूजर फ्रेंडली कंटेंट होगा बेहतर
उन्होंने कहा कि आजकल गूगल पर नया कंटेंट तो बहुत आ रहा है लेकिन अच्छा कंटेंट नहीं आ रहा है। क्योंकि गूगल हमेशा ये अपनी पॉलिसी में ये रखता है कि अगर आपका कंटेंट ह्यूमन फ्रेंडली है। जबकि एआई वाला सारा ऑटो जनरेटेड कंटेंट है जोकि बहुत बड़ी चुनौती है। गूगल भी इस मामले में बहुत स्मार्ट है उसे साफ पता चल जाता है कि कौन सा कंटेंट एआई जनरेटेड है। क्योंकि एआई पर जब आप कंटेंट लिखना शुरू करेंगे तो आपको पता चलेगा कि एक जैसा ही कंटेंट आपको एआई द्वारा बार बार मिलेगा। इसीलिए उस कंटेंट को ह्यूमन एंगल कंटेंट बनाने के लिए एक और एआई आ गया। सामान्यत: जो आदमी कंटेंट बनाता है उसके लिए वह मोरल, एथिकल नुआंसेस का ध्यान रखते हैं। लेकिन एआई का कंटेंट साफ पकड़ा जाता है। जिसे गूगल स्पैम करार देता है और इस तरह के कंटेंट पर ट्रैफिक भी नहीं आता।
आने वाले समय में बिना एआई के नहीं चलेगा काम
आज के समय में हम एआई का यूज कैसे कर सकते हैं कि हम सर्च इंजन के फ्रेंडली कंटेंट, यूजर फ्रेंडली कंटेंट तैयार कर सकते हैं। आने वाले समय में बिना एआई के आपका काम नहीं बनेगा। तो आपको ये सीखना होगा कि इसका यूज कैसे करते हैं। AI से जनरेट हर कंटेंट खराब नहीं हो सकता। जैसे एआई फोटो को यूज करके एक वीडियो बनाया गया हो जो प्रेरक हो, या वृंदावन के प्रेमानंद महाराज का कोई वीडियो है जो एआई ने तैयार किया हो। तो इसमें इंस्टाग्राम का एल्गोरिद्म ऐसी इंफोर्मेटिव वीडियो को प्रमोट करता है। तो हमें ऐसा कंटेंट तैयार करना हो जो पाठकों द्वारा आसानी से स्वीकार किया जा सके। जैसे एआई से आपने बनाया हाऊ टू लूज वेट। आजकल सबको अपना वजन कम करने के तरीके खोजने होते हैं। तो एआई से उसपर वीडियो बनाया जा सकता है।
पूरी दुनिया में 4.72 अरब लोग करते हैं इंटरनेट का इस्तेमाल
वैसे बनाने को आप मोटापा कम करने पर हजार वीडियो बना सकते हैं लेकिन उनमें यूनीकनेस नहीं होगी। क्योंकि आज जब सोशल मीडिया पर सब लोग आ चुके हैं तो सबको पता है कि वजन कम कैसे किया जा सकता है। सबको ये भी पता है कि प्रोटीन का आपके मसल्स पर क्या प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने कहा कि आज गूगल सर्च क्वेरीज में 34 प्रतिशत वो कीवर्ड सर्च होते हैं जिनमें 4 शब्द होते हैं। साथ ही गूगल पर आज के समय में टॉप रैंक कर रहे कंटेंट के 25 प्रतिशत में मेटा डिस्क्रिप्शन लिखा ही नहीं है। विकास ने कहा कि विश्वभर में 4.72 अरब लोग इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं। हरेक इंटरनेट यूजर दिन में एक से 4 बार कुछ न कुछ सर्च करता है। 75 प्रतिशत लोग गूगल सर्च इंजन पर सर्च के बाद पहला पेज छोड़कर अगले पेज पर नहीं जाते।