CSIR: सिकल सेल एनीमिया की पहचान के लिए सीएसआईआर ने बनाई किट, स्वदेशी तकनीक से चुनौतियों का समाधान करने पर जोर
CSIR: सीएसआईआर महानिदेशक एन कलैसेल्वी ने बताया कि खाद्य, जल, ऊर्जा, स्वास्थ्य व सुरक्षा क्षेत्र की चुनौतियों के समाधान के लिए स्वदेशी तकनीक पर जोर दिया जा रहा है। सीएसआईआर ने सिकल सेल एनीमिया की पहचान हेतु 20 मिनट में जांच करने वाली किट विकसित की है और 25 लाख लोगों की स्क्रीनिंग कर चुकी है।
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CSIR: काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (CSIR) देश में खाद्य, जल, ऊर्जा, स्वास्थ्य और रणनीतिक सुरक्षा से जुड़ी चुनौतियों को दूर करने की दिशा में लगातार काम कर रहा है। सीएसआईआर की महानिदेशक एन. कलैसेल्वी ने जानकारी दी कि भारत को विकसित राष्ट्र बनने के लिए तकनीकों का स्वदेशीकरण (indigenisation) जरूरी है।
जमशेदपुर में सीएसआईआर–नेशनल मेटलर्जिकल लेबोरेटरी की प्लैटिनम जयंती समारोह के दौरान मीडिया से बातचीत में उन्होंने बताया, "सीएसआईआर के दो मुख्य लक्ष्य हैं – जो भी शोध हम लैब में करें, वह भारतीय उद्योगों में उपयोगी हो और आम लोगों के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव डाले।"
सिकल सेल एनीमिया के लिए किट विकसित
कलैसेल्वी ने बताया कि सीएसआईआर ने सिकल सेल एनीमिया की पहचान के लिए एक छोटा किट विकसित किया है, जो केवल सूखे खून की एक बूंद से 20 मिनट में जांच कर सकता है कि रोगी को यह बीमारी है या नहीं।
यह किट पूरी तरह स्वदेशी तकनीक से विकसित की गई है। सीएसआईआर स्क्रीनिंग, उपचार और उपचारात्मक हस्तक्षेप, तीनों क्षेत्रों में काम कर रहा है। अब तक देश भर में 25 लाख से अधिक मरीजों की स्क्रीनिंग पूरी हो चुकी है।
कार्बन कैप्चर पर भी काम जारी
महानिदेशक ने बताया कि सीएसआईआर कार्बन कैप्चर, यूटिलाइजेशन और स्टोरेज (CCUS) तकनीक पर भी काम कर रहा है, जिसके माध्यम से उद्योगों से निकलने वाले कार्बन डाइऑक्साइड को कैप्चर कर या तो सुरक्षित रूप से भंडारित किया जा सकता है या फिर प्रोडक्ट्स में दोबारा उपयोग किया जा सकता है।
तकनीकी आत्मनिर्भरता की ओर कदम
उन्होंने कहा कि सीएसआईआर का उद्देश्य प्रयोगशाला से उद्योगों तक तकनीक पहुंचाना और आम जनता तक उसके लाभ पहुंचाना है, ताकि भारत आत्मनिर्भर बन सके और विकासशील से विकसित राष्ट्र की ओर बढ़ सके।