S.Jaishankar: विदेश मंत्री जयशंकर को मिला श्री चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती पुरस्कार; जानिए क्यों मिलता है ये सम्मान
S. Jaishankar: विदेश मंत्री एस जयशंकर को सार्वजनिक नेतृत्व के लिए साउथ इंडियन एजुकेशन सोसाइटी की ओर से श्री चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती राष्ट्रीय उत्कृष्टता पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। इस अवसर पर विदेश मंत्री ने अपने संबोधन में एसआईईएस का आभार व्यक्त किया।
विस्तार
भारत स्वतंत्र शक्ति के रूप में स्थापित हुआ
अपने भाषण में उन्होंने महा-पेरियावर की वैश्विक मंच पर योगदान की सराहना की। उन्होंने 'मैत्रीम भजतम' जैसे संगीत रचनाओं का उल्लेख किया, जो सार्वभौमिक भाईचारे और करुणा को बढ़ावा देते हैं। जयशंकर ने कहा, "वैश्विक मंच पर हमने खुद को एक स्वतंत्र शक्ति के रूप में स्थापित किया है, जो वैश्विक भलाई, विशेष रूप से वैश्विक दक्षिण के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है।" उन्होंने यह भी कहा कि हमें अपने राष्ट्रीय क्षमताओं पर विश्वास करना चाहिए और आलोचनात्मक आवाजों से प्रभावित नहीं होना चाहिए।विदेश नीति में आत्मनिर्भरता पर बल
जयशंकर ने विदेश नीति का उदाहरण देते हुए कहा कि हमारी स्वतंत्रता की भावना का मतलब यह नहीं है कि हम दिन की प्रमुख सोच से अलग हट रहे हैं, बल्कि यह समस्याओं को समझने और समाधान खोजने की हमारी क्षमता को दर्शाता है। इस मानसिकता का उदाहरण देते हुए जयशंकर ने कहा, "विदेश नीति में यह संघर्ष के दौरान कूटनीति और संवाद की वकालत है, जब दुनिया के अधिकांश लोग इससे मुंह मोड़ चुके हैं।"Honoured to be awarded the Sri Chandrasekarendra Saraswathi National Eminence Award for Public Leadership by the South Indian Education Society.
https://t.co/kXjCOxxjKf— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) December 22, 2024
आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रुख अपनाना, कोविड महामारी के दौरान वैश्विक दक्षिण के लिए खड़े होना और अफ्रीकी संघ का समर्थन करना उनके बताए उदाहरणों में शामिल थे। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता को कभी भी तटस्थता के रूप में नहीं समझा जाना चाहिए। भारत जो भी करेगा, वह राष्ट्रीय हित और वैश्विक भलाई के लिए होगा। भारत कभी भी दूसरों को अपने विकल्पों पर वीटो करने की अनुमति नहीं दे सकता।