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S.Jaishankar: विदेश मंत्री जयशंकर को मिला श्री चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती पुरस्कार; जानिए क्यों मिलता है ये सम्मान

एजुकेशन डेस्क, अमर उजाला Published by: शिवम गर्ग Updated Sun, 22 Dec 2024 03:45 PM IST
सार

S. Jaishankar: विदेश मंत्री एस जयशंकर को सार्वजनिक नेतृत्व के लिए साउथ इंडियन एजुकेशन सोसाइटी की ओर से श्री चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती राष्ट्रीय उत्कृष्टता पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। इस अवसर पर विदेश मंत्री ने अपने संबोधन में एसआईईएस का आभार व्यक्त किया।

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Foreign Minister S. Jaishankar received Shri Chandrashekharendra Saraswati Award; Know why this award is given
एस जयशंकर - फोटो : एक्स/जयशंकर
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विस्तार
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S. Jaishankar: विदेश मंत्री एस. जयशंकर को दक्षिण भारतीय शिक्षा सोसायटी (SIES) द्वारा सार्वजनिक नेतृत्व के लिए श्री चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती राष्ट्रीय उत्कृष्टता सम्मान (Shri Chandrasekharendra Saraswati Samman) प्रदान किया गया। इस अवसर पर विदेश मंत्री ने अपने संबोधन में देश के सबसे पुराने शैक्षणिक समाजों में से एक की ओर से सम्मान दिए जाने पर एसआईईएस का आभार व्यक्त किया। उनके भाषण को एक्स पर स्ट्रीम किया गया।
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भारत स्वतंत्र शक्ति के रूप में स्थापित हुआ

अपने भाषण में उन्होंने महा-पेरियावर की वैश्विक मंच पर योगदान की सराहना की। उन्होंने 'मैत्रीम भजतम' जैसे संगीत रचनाओं का उल्लेख किया, जो सार्वभौमिक भाईचारे और करुणा को बढ़ावा देते हैं। जयशंकर ने कहा, "वैश्विक मंच पर हमने खुद को एक स्वतंत्र शक्ति के रूप में स्थापित किया है, जो वैश्विक भलाई, विशेष रूप से वैश्विक दक्षिण के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है।" उन्होंने यह भी कहा कि हमें अपने राष्ट्रीय क्षमताओं पर विश्वास करना चाहिए और आलोचनात्मक आवाजों से प्रभावित नहीं होना चाहिए।
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विदेश नीति में आत्मनिर्भरता पर बल

जयशंकर ने विदेश नीति का उदाहरण देते हुए कहा कि हमारी स्वतंत्रता की भावना का मतलब यह नहीं है कि हम दिन की प्रमुख सोच से अलग हट रहे हैं, बल्कि यह समस्याओं को समझने और समाधान खोजने की हमारी क्षमता को दर्शाता है। इस मानसिकता का उदाहरण देते हुए जयशंकर ने कहा, "विदेश नीति में यह संघर्ष के दौरान कूटनीति और संवाद की वकालत है, जब दुनिया के अधिकांश लोग इससे मुंह मोड़ चुके हैं।"



आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रुख अपनाना, कोविड महामारी के दौरान वैश्विक दक्षिण के लिए खड़े होना और अफ्रीकी संघ का समर्थन करना उनके बताए उदाहरणों में शामिल थे। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता को कभी भी तटस्थता के रूप में नहीं समझा जाना चाहिए। भारत जो भी करेगा, वह राष्ट्रीय हित और वैश्विक भलाई के लिए होगा। भारत कभी भी दूसरों को अपने विकल्पों पर वीटो करने की अनुमति नहीं दे सकता।

भारत की सांस्कृतिक पहचान का महत्व

जयशंकर ने भारत के पारंपरिक खाद्य (श्री अन्ना), योग और सांस्कृतिक धरोहर को पुनर्जीवित करने के प्रयासों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि जब भारत की पहचान वैश्विक चेतना में गहराई से दर्ज होगी, तो इसके परिणाम गहन होंगे। उन्होंने कहा कि "महा-पेरियावर के विचार और शिक्षाएं हमें इस दिशा में मार्गदर्शन करती हैं। हमारी क्षमताओं में विश्वास और हमारी परंपराओं की पहचान भारत के समृद्ध भविष्य की नींव है।"  

क्यों मिलता हैं श्री चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती राष्ट्रीय उत्कृष्टता पुरस्कार

बता दें कि, विदेश मंत्री जयशंकर को सार्वजनिक नेतृत्व के लिए 27वें SIES श्री चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती राष्ट्रीय उत्कृष्टता पुरस्कार से सम्मानित किया गया। ये पुरस्कार चार क्षेत्रों में दिया जाता हैं- सार्वजनिक नेतृत्व, सामुदायिक नेतृत्व, मानव प्रयास, विज्ञान और प्रौद्योगिकी तथा सामाजिक नेतृत्व, जिसमें आध्यात्मिकता को प्राथमिकता दी जाती है। पुरस्कार का नाम कांची कामकोटि पीठम के 68वें द्रष्टा स्वर्गीय श्री चन्द्रशेखरेन्द्र सरस्वती के नाम पर रखा गया है।
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