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Kerala University: केरल विश्वविद्यालय में रजिस्ट्रार की वापसी पर विवाद, सिंडिकेट बनाम कुलपति टकराव गहराया

एजुकेशन डेस्क, अमर उजाला Published by: आकाश कुमार Updated Mon, 07 Jul 2025 08:46 PM IST
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सार

Kerala: केरल विश्वविद्यालय में निलंबित रजिस्ट्रार की वापसी पर विवाद खड़ा हो गया। सिंडिकेट ने निलंबन रद्द किया, लेकिन कुलपति के नियुक्त रजिस्ट्रार पहले से पद पर थे। सरकार-राजभवन की खींचतान और भगवाकरण के आरोपों से विश्वविद्यालय में तनाव बढ़ा।
 

Kerala University Turmoil: Suspended Registrar Returns, Sparks Clash Between VC and Syndicate
केरल विश्वविद्यालय - फोटो : Official Website - keralauniversity.ac.in.

विस्तार
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Kerala: केरल विश्वविद्यालय परिसर सोमवार को तब तनावपूर्ण और नाटकीय दृश्य का गवाह बना, जब निलंबित रजिस्ट्रार के. एस. अनिल कुमार, जिनका निलंबन विश्वविद्यालय सिंडिकेट ने एक दिन पहले ही रद्द किया था, अपनी ड्यूटी पर लौट आए।

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उन्हें कुलपति मोहनन कुन्नुम्मल ने 2 जुलाई को उस कार्यक्रम को रद्द करने का नोटिस जारी करने के आरोप में सस्पेंड किया था, जिसमें राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर ने भाग लिया था। यह कार्यक्रम सीनेट हॉल में हुआ था, जहां भारत माता की भगवा ध्वज लिए एक तस्वीर लगाई गई थी।
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अनिल कुमार ने कुलपति के निलंबन आदेश को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट का रुख किया था, लेकिन सिंडिकेट के निर्णय के बाद उन्होंने अपनी याचिका वापस ले ली।

अनिल कुमार फिर संभाला कार्यभार

सिंडिकेट के फैसले के आधार पर अनिल कुमार ने विश्वविद्यालय के प्रशासनिक प्रमुख के रूप में कार्यभार फिर से संभाल लिया, हालांकि इस बीच कुलपति द्वारा नियुक्त नए रजिस्ट्रार पहले से कार्यालय में मौजूद थे।

एलडीएफ से जुड़े सिंडिकेट सदस्य शिजू खान ने कहा कि केरल विश्वविद्यालय अधिनियम के तहत रजिस्ट्रार की नियुक्ति या निलंबन केवल सिंडिकेट के अधिकार क्षेत्र में आता है। उन्होंने कहा, “कुलपति का यह कदम अधिनियम का उल्लंघन है और हमने पूरी प्रक्रिया सिंडिकेट के अधिकारों के तहत पूरी की है। माननीय उच्च न्यायालय ने भी हमारे निर्णय पर कोई आपत्ति नहीं जताई है।”

अंतरिम कुलपति ने निर्णय मानने से किया इनकार

इससे पहले अंतरिम कुलपति सिजा थॉमस, जो कुन्नुम्मल के विदेश दौरे के कारण कार्यभार संभाल रही हैं, सिंडिकेट बैठक से बाहर चली गईं और उन्होंने इसके निर्णय को मानने से इनकार कर दिया।

विश्वविद्यालय परिसर में सत्ताधारी पार्टी CPI(M) की छात्र और युवा इकाइयों एसएफआई और डीवाईएफआई के कार्यकर्ताओं ने राज्यपाल और कुलपति के खिलाफ बैनर और पोस्टर लगाए, जिनमें कुलपति को आरएसएस की पोशाक में दिखाया गया।

शिजू खान का आरोप

शिजू खान ने आरोप लगाया कि "अस्थायी कुलपति आकर विश्वविद्यालय अधिनियम की धाराओं का उल्लंघन कर रहे हैं।" उन्होंने कहा कि धारा 10(13) के अनुसार कुलपति केवल आपात स्थिति में ही कार्रवाई कर सकते हैं और उन्हें तुरंत सिंडिकेट को रिपोर्ट करना होता है।

उन्होंने कहा कि कुलपति का यह निर्णय न केवल नियमों के खिलाफ था, बल्कि रजिस्ट्रार को अपना पक्ष रखने का कानूनी अवसर भी नहीं दिया गया।

खान ने यह भी स्पष्ट किया कि कुलाधिपति (राज्यपाल) को रजिस्ट्रार के विरुद्ध कोई कार्रवाई करने का अधिकार नहीं है क्योंकि यह शक्ति केवल अधीनस्थ अधिकारियों पर लागू होती है।

विपक्ष नेता ने सरकार पर लगाया व्यवस्था बर्बाद करने का आरोप

इस बीच विधानसभा में विपक्ष के नेता वी. डी. सतीशन ने राज्य सरकार पर केरल की उच्च शिक्षा व्यवस्था को “बर्बाद” करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सरकार और राजभवन के बीच जारी राजनीतिक खींचतान ने विश्वविद्यालयों में अस्थिरता और अनिश्चितता पैदा कर दी है।

सतीशन ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह अकादमिक सुधारों के बजाय संस्थानों को राजनीतिक मोर्चा बना रही है, जबकि संघ परिवार शिक्षा व्यवस्था के भगवाकरण में जुटा है। उन्होंने चेतावनी दी कि शिक्षा की गिरती गुणवत्ता छात्रों को राज्य और देश से बाहर अवसर तलाशने को मजबूर कर रही है।

सतीशन ने सरकार और राजभवन दोनों से अपील की कि वे शिक्षा को राजनीति से अलग रखें और कहा कि इतिहास उन्हें माफ नहीं करेगा जो केरल के युवाओं के भविष्य की अनदेखी कर रहे हैं।

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