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दिव्यांगों की राह होगी आसान, जीवन साथी ढूंढने में मदद करेगी ये ऐप

शंकर श्रीनिवासन Updated Tue, 14 Nov 2017 11:10 AM IST
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This app will help physically challenged people to find life partner
Kalyani Khona, Co-Founder, Inclov app
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बताने की जरूरत नहीं है कि शारीरिक रूप से अक्षम लोगों के साथ समाज में किस तरह व्यवहार किया जाता है! उनके प्रति परिजनों का व्यवहार भी उनकी सीमाओं की याद दिलाता रहता है और बहुत जल्द ही ऐसे लोगों पर नकारात्मक रूप से 'विशिष्ट' का ठप्पा लग जाता है। मैं ये बातें इसलिए कर रहा हूं, क्योंकि मेरा स्टार्ट अप इन्हीं विशिष्ट लोगों के लिए था।

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मेरा ताल्लुक मुंबई से है। एकाउंटेंट की पढ़ाई करने के बाद मैंने एक ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट में दाखिला ले लिया। उसी दौरान ट्रेन के एक सफर में मेरी मुलाकात कल्याणी से हुई, जो मेरे साथ आगरा जा रही थी। भले ही हम ट्रेन में पहली बार मिले हों, पर वह भी मेरे इंस्टीट्यूट में प्रशिक्षण ले रही थी और हम दोनों एक ही वजह से आगरा जा रहे थे। कल्याणी ने ही पहली बार दिव्यागों के लिए एक ऐसा मंच बनाने की पहल की थी, जहां ऐसे अक्षम लोग अपना जीवन साथी तलाश सकें।

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दरअसल मैं भी हमेशा से ही दोस्तों की जोड़ियां बनाने में रुचि लेता था। हमने सोचा, क्यों न हम भी कुछ ऐसा ही बनाएं, पर हमारा मंच कुछ अलग हो और जिसकी जरूरत समाज को ज्यादा हो। पर मैं तब तक मुंबई छोड़ने की स्थिति में नहीं था। मगर मेरी दोस्त कल्याणी ने इस पर काम करना शुरू कर दिया और तीन साल पहले गुरुग्राम में वांटेड अंब्रेला नाम से ऑफलाइन मंच शुरू भी कर दिया।

इस दौरान मेरे साथ एक और घटना घटी। मैं अक्सर फुटबॉल खेलता रहता हूं। ऐसे ही खेलते वक्त एक दिन मुझे चोट लग गई और तीन महीनों के लिए मुझे बिस्तर पर ही रहना पड़ा। शायद यही वह वक्त था, जब मैंने खुद को दिव्यागों के बेहद करीब पाया। भले ही अल्प समय के लिए, पर जब खुद बैसाखी के सहारे चलना पड़ा, तब मैंने कल्याणी के साथ काम करने का निश्चय कर लिया। फैसले के घरेलू विरोध के बावजूद अक्तूबर, 2015 में मैं मुंबई छोड़कर गुरुग्राम आ गया।

कुछ वक्त के बाद हमने सोचा कि काम को व्यापक और प्रभावी बनाने के लिए हमें और आधुनिक तरीका अपनाना पड़ेगा। यही सोचकर मैंने एक ऐसा ऑनलाइन ऐप विकसित करने का फैसला किया, जो सिर्फ दिव्यांगों को उनका जीवन साथी ढूंढने में मदद करेगा। पर इस काम के लिए जरूरी था कि मैं दुनिया भर के करोड़ों ऐसे विशेष लोगों की सभी सामाजिक, मानसिक और शारीरिक पीड़ा को हर संभव सीमा तक समझ सकूं। इसीलिए हम दोनों ने दिव्यांगों की जिंदगी को करीब से समझने के लिए पर्याप्त शोध कार्य किया।

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वैवाहिक ऐप शुरू करने के लिए हमें पैसों की भी जरूरत थी, जिसे हमने एक दान मंच के जरिये इकट्ठा कर लिया। हम भाग्यशाली रहे कि हमें इस काम के लिए तमाम अच्छे लोगों की बहुमूल्य सलाह भी मिलती रही, जिनसे हमने समय-समय पर संपर्क साधा। जनवरी, 2016 में हमने इन्क्लव नाम से अपना ऐप लॉन्च कर दिया। हर तरह के दिव्यांगों के लिए प्रयोग-सुलभ इस ऐप पर अब तक करीब पच्चीस हजार दिव्यांग रजिस्ट्रेशन कर चुके हैं।

​बिल्कुल निःशुल्क उपलब्ध इस सेवा में कोई भी दिव्यांग व्यक्ति अपनी पसंद और मिलान के मुताबिक बातचीत कर सकता है। इसके अलावा हम समय-समय पर विभिन्न शहरों में परिचय सम्मेलन भी आयोजित करते हैं, जिसके जरिये हजारों दिव्यागों का एक-दूसरे से परिचय हुआ। मेरा अगला लक्ष्य इस मंच को अंतरराष्ट्रीय स्तर तक ले जाना है, जिससे कि करोड़ों दिव्यांगों को अपना साथी चुनने में सहायता मिले।

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