Supreme Court: वकील की डिग्री की जांच करेगी CBI, सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख; मगध विश्वविद्यालय ने बताई थी नकली
SC: सुप्रीम कोर्ट ने एक वकील की डिग्री पर गंभीर सवाल उठाते हुए इसकी जांच सीबीआई को सौंपी है। अदालत ने यह कदम तब उठाया जब मगध विश्वविद्यालय ने दावा किया कि संबंधित वकील की बी.कॉम डिग्री और अंकपत्र नकली हैं और विश्वविद्यालय से जारी नहीं हुए।

विस्तार
Magadh University Degree Fraud: सुप्रीम कोर्ट ने एक वकील की शैक्षणिक डिग्री की असलियत जानने के लिए केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को जांच के आदेश दिए हैं। यह मामला तब सामने आया जब मगध विश्वविद्यालय, बोधगया ने कोर्ट को बताया कि संबंधित वकील के शैक्षणिक प्रमाणपत्र फर्जी हैं और विश्वविद्यालय से जारी नहीं किए गए।

मामले की सुनवाई जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच कर रही थी। यह अपील बार काउंसिल ऑफ इंडिया की अनुशासन समिति के फैसले के खिलाफ दायर की गई थी।
कैसे हुआ खुलासा?
सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक का पत्र नोट किया था, जिसमें साफ लिखा था कि वकील की मार्कशीट और बी.कॉम की डिग्री नकली है। इसके बाद कोर्ट ने वकील को निर्देश दिया कि वह अपनी डिग्रियों की फोटोकॉपी कोर्ट में पेश करे।
वकील ने दावा किया कि उसने अगस्त 1991 में मगध यूनिवर्सिटी से बी.कॉम ऑनर्स पास किया है। लेकिन उसने यह भी कहा कि विश्वविद्यालय के रिकॉर्ड फटे हुए हैं और शायद उसकी डिग्री की पुष्टि उपलब्ध दस्तावेजों से नहीं हो पाएगी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा "हम उचित समझते हैं कि CBI इस मामले की जांच करे और यह पता लगाए कि याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत बी.कॉम डिग्री असली है या फर्जी।" बेंच ने CBI को आदेश दिया कि वह इस मामले में एक अधिकारी नियुक्त करे और 3 नवंबर से पहले जांच रिपोर्ट अदालत में जमा करे।
क्यों है यह मामला अहम?
यह मामला सिर्फ एक वकील की डिग्री तक सीमित नहीं है, बल्कि इससे न्याय व्यवस्था की साख और वकालत पेशे की गरिमा जुड़ी हुई है। यदि कोई वकील नकली डिग्री के आधार पर पेशे में आ जाता है, तो यह न सिर्फ कानूनी व्यवस्था बल्कि आम जनता के विश्वास को भी चोट पहुंचाता है।