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Carrer Tips: पढ़ना और सुनना एक-दूसरे के पूरक हैं, जानिए कैसे किताबें और ऑडियो मिलकर बढ़ाते हैं ज्ञान और समझ

स्टेफनी एन. डेल टुफो, असिस्टेंट प्रोफेसर, यूनिवर्सिटी ऑफ डेलावेयर, यूएस Published by: शिवम गर्ग Updated Thu, 18 Sep 2025 12:21 PM IST
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सार

Importance of Books: आज की डिजिटल दुनिया में सुनना और पढ़ना दोनों ही सीखने और ज्ञान प्राप्त करने के महत्वपूर्ण माध्यम बन गए हैं। जहां किताबें पढ़ना कल्पनाशक्ति, गहराई और विचारों का विकास करता है, वहीं सुनना किसी जानकारी को समझने और उसे तुरंत ग्रहण करने में मदद करता है।

Career Tips: Reading and Listening Go Hand-in-Hand; How Books and Audio Boost Knowledge and Understanding
Carrer Tips (सांकेतिक तस्वीर) - फोटो : Adobe Stock
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विस्तार
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Carrer Tips: अपनी आंखें बंद कीजिए और सोचिए कि कुछ सौ वर्षों बाद दुनिया कैसी होगी? शायद तब तक इन्सान आकाशगंगाओं के यात्री बन चुके होंगे? हम स्पेसशिप्स या ग्रहों पर रहते हों अथवा समुद्र की गहराइयों में बसे शहरों में जीवन बिता रहे होंगे। अब कल्पना करें कि उस भविष्य के एक युवा का कमरा कैसा होगा? दीवार पर बड़ी-सी स्क्रीन, खिड़की से बाहर दिखते शनि के छल्ले, ग्रहों की रोशनी या महासागर का दृश्य, लेकिन क्या उस युवा के कमरे में कोई किताब होगी? शायद नहीं। 

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अब आंखें खोलिए और देखिए, आप पाएंगे कि आपके आसपास कोई न कोई किताब जरूर होगी। जरा सोचिए कि आज की डिजिटल दुनिया में, जहां आप सुनकर सब कुछ जान सकते हैं, तो फिर किताबों की अहमियत क्या है? शोध के अनुसार दिमाग बोली व लिखी भाषा को अलग-अलग तरीके से प्रोसेस करता है। किताब पढ़ना ज्ञान को गहराई, कल्पनाशक्ति व विचारों का विस्तार करता है, जबकि सुनना जानकारी की समझ बढ़ाता है।

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दिमाग को जानना जरूरी

दिमाग की सुनने और पढ़ने की प्रक्रियाएं अलग-अलग होती हैं। पढ़ते समय मस्तिष्क अक्षरों के आकार पहचानता है, उन्हें ध्वनियों और अर्थों से जोड़ता है, वाक्यों व पूरे पाठ में अर्थ को पिरोता है। विराम चिह्न और अनुच्छेद जैसी दृश्य संरचनाएं समझ को आसान बनाती हैं और आप अपनी गति से पढ़ सकते हैं। सुनते समय, मस्तिष्क को बोलने वाले की गति के साथ चलना पड़ता है। चूंकि, बोली ध्वनियों की धारा होती है, इसलिए दिमाग को तुरंत शब्दों की सीमाएं पहचानकर अर्थ, स्वर, पहचान और संदर्भ से जोड़ना पड़ता है।

कौन-सा जरिया सही?

कई छात्रों को लगता है कि सुनकर पढ़ाई करना किताबों से पढ़ने की तुलना में आसान है, लेकिन असलियत कुछ और है। शोध बताते हैं कि जब विषय कठिन या नया हो, तो उसे सुनना पढ़ने से ज्यादा कठिन होता है। साधारण कहानियां या फिक्शन के मामले में सुनना व पढ़ना लगभग समान हैं, लेकिन तथ्य, विचार और कॉन्सेप्ट आधारित पाठ दिमाग के अलग-अलग हिस्सों को सक्रिय करते हैं। पढ़ाई का सबसे बड़ा लाभ यह है कि आप किसी भी हिस्से को दोबारा पढ़ सकते हैं, हाइलाइट कर सकते हैं और नोट्स बना सकते हैं, जबकि सुनते समय यह सब करना थोड़ा कठिन होता है। छात्रों के लिए बेहतर है कि पढ़ाई में किताबों को प्राथमिकता दें और ऑडियो का उपयोग केवल सपोर्टिंग टूल की तरह करें।

सीखने का खास तरीका

सुनते वक्त लोग अक्सर मल्टीटास्किंग करते हैं-जैसे व्यायाम करना, खाना बनाना या इंटरनेट चलाना आदि, जो पढ़ते समय संभव नहीं है। शोध में पाया गया कि जो छात्र पॉडकास्ट सुनते हुए अन्य काम करते हैं, आम तौर पर उनकी समझ और क्विज स्कोर पढ़ने वालों से कम होती है। दरअसल, सुनते वक्त ध्यान की जरूरत पढ़ने से कहीं अधिक होती है। सीखने का सही तरीका यही है कि दोनों को समझदारी से मिलाकर उपयोग किया जाए।- द कन्वर्सेशन

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