Bihar Election: पिछले तीन चुनावों में किसे मिला मुंगेर प्रमंडल का साथ? यहां दोनों डिप्टी CM की साख दांव पर
Bihar Election 2025: बिहार में कुल 243 सीटों में से 22 विधानसभा सीटें कोसी प्रमंडल के अंदर आती हैं। इसमें तीन जिले मधेपुरा, सहरसा और सुपौल आते हैं।
विस्तार
बिहार में पहले चरण का प्रचार मंगलवार को खत्म हो गया। गुरुवार को इस चरण की 121 सीटों पर वोट डाले जाएंगे। इस चरण में कुल 18 जिलों के मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। इनमें पहले मधेपुरा, सहरसा, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, गोपालगंज, सिवान, सारण, वैशाली, समस्तीपुर, बेगूसराय, खगड़िया, मुंगेर, लखीसराय, शेखपुरा, नालंदा, पटना, भोजपुर, बक्सर जिले शामिल हैं।
इस चुनावी हलचल के बीच हम आपको बिहार के हर प्रमंडल का हाल बता रहे हैं। पिछले तीन विधानसभा चुनाव में किस प्रमंडल में किस पार्टी का प्रदर्शन कैसा रहा था? किसे कितनी सीटें मिलीं थीं? इस बार कौन सीटों की सबसे ज्यादा चर्चा है? इन सीटों पर कौन से बड़े चेहरे उतरे हैं? इस कड़ी में आज मुंगेर प्रमंडल की बात करते हैं। इस प्रमंडल में छह जिलों की कुल 22 सीटें आती हैं। इसमें खगड़िया, जमुई, मुंगेर, लखीसराय, शेखपुरा, बेगूसराय जिले शामिल हैं।
मुंगेर क्षेत्र का सियासी समीकरण क्या है?
मुंगेर में कुल छह जिले- मुंगेर, बेगूसराय, जमुई, खगड़िया, शेखपुरा और लखीसराय हैं। इन छह जिलों में कुल 22 सीटें हैं। सबसे ज्यादा सात सीटें बेगूसराय में हैं। इसके बाद चार-चार सीटें खगड़िया और जमुई में, तीन सीटें मुंगेर में, दो-दो सीटें लखीसराय और शेखपुरा जिले में हैं।
2020 में कैसे रहे थे नतीजे?
2020 के विधानसभा चुनाव में मुख्य मुकाबला एनडीए और महागठबंधन के बीच में था। 243 सदस्यीय विधानसभा में एनडीए ने 125 सीटें जीतीं थीं। इनमें सबसे ज्यादा 74 सीटें भाजपा के खाते में गई थीं। जदयू को 43, वीआईपी और हम को 4-4 सीट पर सफलता मिली थी। राज्य की 110 सीटें महागठबंधन के खाते में गई थीं। 75 सीटें जीतकर राजद राज्य की सबसे बड़ा दल बना था। इसके साथ ही कांग्रेस को 19, वामदलों को 16 सीट पर जीत मिली थी। इनमें 12 सीटें भाकपा (माले) और दो-दो सीटें भाकपा और माकपा के खाते में गईं थी। अन्य दलों की बात करें तो एआईएमआईएम ने पांच, बसपा, लोजपा और निर्दलीय को एक-एक सीट पर जीत मिली थी।
2020 में मुंगेर प्रमंडल में किसे मिली बढ़त?
मुंगेर प्रमंडल में 2020 का विधानसभा चुनाव काफी दिलचस्प रहा था। इस प्रखंड में भाजपा, जदयू और राजद तीनों ही प्रमुख दलों को 5-5 सीटें मिली थीं। वहीं, कांग्रेस और भाकपा को दो-दो सीटें मिलीं थीं। वहीं, एक-एक सीट पर लोजपा, हम और निर्दलीय के खाते में गई थी। गठबंधनों की बात करें तो एनडीए ने मुंगेर प्रमंडल की11 सीटें जीती थीं। इस गठबंधन से सीट जीते वाले दलों में जदयू, भाजपा और हम शामिल थे। दूसरी तरफ महागठबंधन नौ सीटें जीतने में सफल रहा था। इस गठबंधन में राजद, कांग्रेस और भाकपा शामिल थे। जमुई जिले की चकाई सीट से जीतने वाले निर्दलीय सुमित कुमार सिंह ने एनडीए सरकार का समर्थन किया था। सुमित इस चुनाव में चकाई से जदयू उम्मीदवार के तौर पर मैदान में हैं। वहीं, लोजपा से जीतने वाले राज कुमार सिंह ने भी बाद में जदयू का दामन थाम लिया था। इस चुनाव में राजकुमार सिंह भी जदयू उम्मीदवार के तौर पर मैदान में हैं।

2015 के विधानसभा चुनाव में कैसे थे नतीजे?
प्रदेश में 2015 में हुए विधानसभा चुनाव में एनडीए और महागठबंधन के बीच में मुकाबला हुआ। इस चुनाव में महागठबंधन में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी भी शामिल थी। जदयू के अलावा राजद और कांग्रेस ने साथ मिलकर यह चुनाव लड़ा। वहीं, एनडीए में भाजपा के साथ लोजपा, जीतन राम मांझी की हम और उपेंद्र कुशवाहा की रालोसपा शामिल थे।
इस चुनाव में महागठबंधन ने 178 सीटों पर जीत दर्ज की थी। वहीं, एनडीए को 58 सीटों से संतोष करना पड़ा था। वाम दलों के खाते में तीन सीटें गईं थी। दलवार आंकडे़ की बात करें तो राजद को सबसे ज्यादा 80 सीटें मिली थीं। जदयू के खाते में 71 और कांग्रेस को 27 सीटों पर सफलता मिली थी। एनडीए में सबसे ज्यादा 53 सीटों पर भाजपा को जीत मिली थी। लोजपा और रालोसपा को दो-दो और हम को एक सीट जीतने में सफलता मिली थी। वाम दलों में तीनों सीटें भाकपा (माले) ने जीती थीं। बाकी चार सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवार जीतने में सफल रहे थे।
2015 में मुंगेर प्रमंडल में रहा किसका बोलबाला?
2015 में पूरे बिहार के साथ-साथ महागठबंधन का मुंगेर में भी बोलबाला रहा। यहां राजद-जदयू ने आठ-आठ सीटें हासिल कीं, वहीं गठबंधन की तीसरी साथी कांग्रेस को भी चार सीटें मिलीं। इस तरह महागठबंधन ने 22 में से 20 सीटों पर कब्जा जमाया। इसके अलावा भाजपा के खाते में सिर्फ दो सीटें ही आईं। इनमें से एक लखीसराय और एक जमुई जिले की झाझा सीट शमिल थी।

2010 के विधानसभा चुनाव में कैसे थे नतीजे?
2008 में परिसीमन के बाद यहां 2010 में पहली बार चुनाव हुए थे। इस चुनाव में एकतरफा एनडीए को जीत मिली थी। एनडीए में जदयू और भाजपा ने एक साथ चुनाव लड़ा था। वहीं राजद और लोजपा साथ थे। वहीं, कांग्रेस ने सभी 243 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। इस चुनाव में एनडीए को 243 में से 206 सीटों पर एकतरफा जीत मिली।
राजद-लोजपा गठबंधन को महज 25 तो कांग्रेस को चार सीटों से संतोष करना पड़ा। बाकी सात सीटों में से छह निर्दलियों के खाते में गई। वहीं, चकाई सीट पर झामुमो के सुमित कुमार सिंह जीते थे। दलवार आंकड़ों की बात की जाए तो एनडीए की 206 सीटों में से 115 जदयू और 91 सीटें भाजपा के खाते में गई थीं। वहीं, राजद को 22 और लोजपा को 3 सीटों पर जीत मिली थी।
2010 में कैसा था मुंगेर का हाल?
जदयू को मुंगेर प्रमंडल में 14 सीटें मिलीं, वहीं भाजपा को 5 सीटें हासिल हुईं। दूसरी तरफ राजद, झारखंड मुक्ति मोर्चा और भाकपा यहां एक-एक सीट ही जीतने में सफल हुईं। इनमें जमुई जिले की चकाई विधानसभा सीट पर सुमित कुमार सिंह झामुमो के टिकट पर जीते थे। वहीं, खगड़िया जिले की परबत्ता सीट से राजद के सम्राट चौधरी को जीत मिली। सम्राट चौधरी इस बार मुंगेर जिले की तारापुर सीट से भाजपा के उम्मीदवार हैं। चौधरी मौजूदा सरकार में उपमुख्यमंत्री भी हैं। वहीं, बेगूसराय जिले की बछवाड़ा सीट पर भाकपा के अवधेश कुमार राय जीते थे।

2025 में मुंगेर प्रमंडल की किन सीटों की चर्चा सबसे ज्यादा?
इस बार के विधानसभा चुनाव में मुंगेर प्रमंडल की जिस सीट की सबसे ज्यादा चर्चा है वो मुंगेर जिले की तारापुर सीट है। यहां से राज्य के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी भाजपा उम्मीदवार हैं। इसके साथ ही राज्य के दूसरे उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा की सीट लखीसारय भी मुंगेर प्रमंडल में आती है। इन दोनों अलावा मुंगेर प्रमंडल की जमुई, चकाई, परबत्ता, मुंगेर (कुमार प्रणय-सबसे अमीर), सिकंदरा सीट भी चर्चा में हैं। आइये इन सभी सीटों के बारे में जानते हैं…
तारापुर: बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी इस बार तारापुर से टिकट दिया गया है। इससे पहले वह परबत्ता सीट से राजद के टिकट पर चुनाव जीत चुके हैं। 2014 में वह राजद ने अलग हो गए। 2020 में वह एमएलसी चुने गए। अब वह भाजपा के टिकट पर तारापुर सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। उनका मुकाबला राजद के अरुण कुमार से है।
लखीसराय: लखीसराय से भाजपा के टिकट पर लगातार तीन बार जीतने वाले विजय कुमार सिन्हा एक बार फिर यहां से मैदान में हैं। बिहार के उपमुख्मंत्री सिन्हा फरवरी 2005 में हुए चुनाव में पहली बार लखीसराय से जीते थे। 2005 अक्तूबर में हुए चुनाव में उन्हें राजद के फुलेना सिंह से हार का सामना करना पड़ा था। लेकिन 2010 में उन्होंने अपनी सीट वापस ले ली। उनका मुकाबला कांग्रेस के अमरेष कुमार से है।
चकाई: सुमित कुमार सिंह 2010 में पहली बार यहां से झामुमो के टिकट पर जीते थे। इसके बाद बाद वह 2020 में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर जीते। 2025 के लिए उन्हें जदयू से उम्मीदवार बनाया गया है। सुमित के दादा श्री कृष्ण दो बार और पिता नरेंद्र सिंह इस सीट से तीन बार विधायक रह चुके थे। सुमित के भाई अभय फरवरी 2005 में यहां से जीते थे। इस बार सुमित का मुकाबला राजद की सावित्री देवी है। सावित्री 2015 में सुमित को हरा चुकी हैं।
जमुई: भाजपा ने इस सीट ओलंपियन श्रेयसी सिंह को टिकट दिया है। वह 2020 में यहां से चुनाव जीती थीं। भारतीय शूटर, दिवंगत पूर्व केंद्रीय मंत्री दिग्विजय सिंह और बांका की पूर्व सांसद पुतुल कुमारी की पुत्री हैं। श्रेयसी ने 2014 के ग्लासगो कॉमनवेल्थ गेम्स के डबल ट्रैप इवेंट में भारत के लिए सिल्वर मेडल अपने नाम किया था। इसके अलावा 2018 कॉमनवेल्थ गेम्स में उन्होंने गोल्ड पर निशाना लगाकर देश का नाम ऊंचा किया था। इसके साथ ही उन्हें 2018 में अर्जुन पुरस्कार से नवाजा किया गया। इस बार श्रेयसी का मुकाबला राजद के मोहम्मद शमसाद आलम से है।
परबत्ता: 1969 में सतीश प्रसाद सिंह परबत्ता सीट से ही चुनाव जीतकर राज्य के मुख्यमंत्री बने थे। सम्राट चौधरी इसी सीट से राजद के टिकट पर जीतकर पहली बार 2000 और फिर 2010 में विधानसभा पहुंचे थे। 2004 से 2015 के बीच जदयू के रामानंद प्रसाद यादव यहां से चार बार विधायक रहे। 2020 में उनके बेटे संजीव कुमार को जदयू के टिकट पर सीट पर जीत मिली। इस चुनाव से ऐन पहले संजीव कुमार ने जदयू का साथ छोड़ राजद का दामन थाम लिया। इस बार संजीव कुमार यहां से राजद उम्मीदवार हैं। वहीं, जदयू ने अपना गढ़ रही इस सीट को लोजपा के लिए छोड़ दिया है। लोजपा से बाबू लाल शौर्य को टिकट मिला है।
मुंगेर: यहां से भाजपा ने कुमार प्रणय को टिकट दिया है। पहले चरण में किस्मत आजमा रहे 1314 उम्मीदवारों में प्रणय सबसे अमीर हैं। कुमार प्रणय ने अपने शपथ पत्र में कुल 170 करोड़ रुपये की संपत्ति घोषित की है। राजद ने यहां से अविनाश विद्यार्थी को और जनसुराज ने संजय कुमार सिंह को मैदान में उतारा है। 2020 में यहां से प्रणव को जीत मिली थी।
सिकंदरा: महागठबंधन में शामिल राजद और कांग्रेस यहां आमने-सामने हैं। राजद ने यहां से उदय नारायण चौधरी और कांग्रेस ने विनोद चौधरी को टिकट दिया है। 2005 से 2015 तक विधानसभा अध्यक्ष रहे उदय नारायण चौधरी 2018 में जदयू छोड़कर राजद में आ गए थे। यहां से एनडीए की तरफ से हम के प्रफुल्ल कुमार मांझी उम्मीदवार हैं।
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