{"_id":"661ba3577c5efa1c30002d2f","slug":"bjp-sankalp-patra-economist-said-manifesto-signals-next-five-years-budget-2024-04-14","type":"story","status":"publish","title_hn":"BJP Sankalp Patra: 'ये घोषणा पत्र नहीं, अगले पांच वर्षों के बजट का संकेत है', अर्थशास्त्रियों ने कही ये बात","category":{"title":"Business Diary","title_hn":"बिज़नेस डायरी","slug":"business-diary"}}
BJP Sankalp Patra: 'ये घोषणा पत्र नहीं, अगले पांच वर्षों के बजट का संकेत है', अर्थशास्त्रियों ने कही ये बात
सार
आर्थिक मामलों के जानकार डॉ. नागेंद्र कुमार शर्मा ने अमर उजाला से कहा कि यदि भाजपा को इस लोकसभा चुनाव में जीत मिलती है, तो पार्टी का यह संकल्प पत्र केंद्र सरकार के अगले पांच वर्षों के बजट का संकेत पत्र बन सकता है।
विज्ञापन
युवा उद्यमियों के लिए भाजपा के बड़े एलान
- फोटो : अमर उजाला
विज्ञापन
विस्तार
भाजपा ने लोकसभा चुनाव 2024 के लिए अपना घोषणा पत्र जारी कर दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के अन्य नेताओं ने इसे भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने का 'संकल्प पत्र' कहा है। इस संकल्प पत्र में गरीब, युवा, महिला, किसान और मध्यम वर्ग के लिए कई बड़े वादे किए गए हैं। मूलभूत ढांचे के विकास के साथ-साथ कृषि और रोजगार क्षेत्र को मजबूत करने का संकल्प भी दोहराया गया है। प्रमुख अर्थशास्त्रियों ने इसे मोदी सरकार के अगले पांच सालों के बजट का संकेत पत्र करार दिया है। हालांकि, कुछ अर्थशास्त्रियों की राय है कि भाजपा अपनी पुरानी नीति को जारी रखते हुए बड़े संगठित क्षेत्र को मजबूत करने की कोशिश करेगी, जबकि छोटे-मझोले उद्योगों को नुकसान उठाना पड़ेगा।
आर्थिक मामलों के जानकार डॉ. नागेंद्र कुमार शर्मा ने अमर उजाला से कहा कि यदि भाजपा को इस लोकसभा चुनाव में जीत मिलती है, तो पार्टी का यह संकल्प पत्र केंद्र सरकार के अगले पांच सालों के बजट का संकेत पत्र बन सकता है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने पिछले 10 सालों में अर्थव्यवस्था की गति को बनाए रखने के लिए मूलभूत ढांचे में तेज निवेश को अपना मूल मंत्र बना रखा है। रेल, सड़क, हवाई क्षेत्र, स्वास्थ्य और शिक्षा पर खर्च के माध्यम से केंद्र सरकार ने न केवल इन क्षेत्रों की तस्वीर बदली, बल्कि निवेश के कारण दूसरे क्षेत्रों को गति मिली। मोदी सरकार की इसी नीति का परिणाम है कि जिस समय पूरी दुनिया की आर्थिक गति ठहरती सी दिखाई पड़ी, उसी समय में भारत तेजी से आगे बढ़ता रहा है। चूंकि भाजपा ने अपने संकल्प पत्र में एक बार फिर रेल, सड़क, वायु सेवाओं, पर्यटन और कृषि को विस्तार देने का वादा किया है, माना जा सकता है कि यदि भाजपा चुनाव जीती, तो इन सेक्टर में निवेश जारी रहेगा और इसका सकारात्मक असर अर्थव्यवस्था पर दिखाई पड़ेगा।
डॉ. नागेंद्र कुमार शर्मा ने कहा कि केंद्र सरकार ने जिस तरह पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा देने को अपनी नीति बना रखी है, उसी के अंतर्गत अयोध्या, काशी, मथुरा और अन्य धार्मिक केंद्रों का विकास किया गया है। पर्यटन क्षेत्र को सबसे कम लागत में सबसे अधिक रोजगार उपलब्ध कराने वाला क्षेत्र माना जाता है। यानी इसके माध्यम से रोजगार के सबसे अहम मोर्चे पर काम करने की सोच दिखाई गई है। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में यह भारत को दिशा दिखाने वाला संकेतक बन सकता है।
निचले उद्योगों को दिशा नहीं दिखाई- अरुण कुमार
वहीं, प्रसिद्ध अर्थशास्त्री अरुण कुमार की राय इससे अलग है। उन्होंने अमर उजाला से कहा कि केंद्र सरकार के पिछले दस साल का ट्रैक रिकॉर्ड बताता है कि वह संगठित क्षेत्र को मजबूत करने पर ज्यादा जोर देती है, जबकि असंगठित क्षेत्र को मजबूत बनाने की दिशा में वह कोई काम नहीं करती। इसी का परिणाम हुआ है कि पिछले दस सालों में संगठित क्षेत्र तो मजबूत हुआ है, लेकिन गरीब वर्ग कमजोर हुआ है। भाजपा के संकल्प पत्र में इन्हें मजबूत करने पर जोर दिया जाता, तो ज्यादा बेहतर होता।
अरुण कुमार ने कहा कि देश का 97.5 फीसदी श्रमिक वर्ग असंगठित क्षेत्र में काम करता है। कुल श्रमिक वर्ग का लगभग 46 फीसदी कृषि क्षेत्र में काम करता है। ऐसे में यदि सरकार को गरीबों को आर्थिक तौर पर समृद्ध करना है, उसके हाथों में नकद पैसा पहुंचाना है, जिससे वह सामान खरीद सके और आवश्यक वस्तुओं के मांग क्षेत्र में मजबूती बनी रहे तो उसे असंगठित, कमजोर और श्रमिक वर्ग के कल्याण के लिए काम करना होगा।
उन्होंने कहा कि एक असंगठित क्षेत्र के कामकाज में औसतन 1.7 लोगों को रोजगार मिलता है। यानी एक व्यक्ति कोई उद्यम करता है और एक-दो व्यक्ति उसकी सहायता के लिए काम करते हैं। यदि माइक्रो सेक्टर को मजबूत करने पर जोर दिया जाए तो यह रोजगार उपलब्ध कराने का काम कर सकता है। लेकिन उनका मानना है कि भाजपा के संकल्प पत्र में इस सेक्टर के लिए कोई उपाय नहीं दिखाया गया है।
छोटे सेक्टर के लिए भी उपाय
हालांकि, डॉ. नागेंद्र कुमार शर्मा की राय इससे अलग है। उन्होंने कहा कि भाजपा के संकल्प पत्र में मुद्रा लोन की सीमा 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 20 लाख रुपये करने की बात कही गई है। इससे माइक्रो सेक्टर, युवा उद्यमियों और मझोले स्तर के उद्योगों को बढ़ावा मिल सकता है। इसी प्रकार लखपति दीदी, ड्रोन दीदी योजनाओं के जरिए ग्रामीण भारत की महिलाओं को सशक्त करने की योजना आगे बढ़ाने की बात कही गई है। इससे भी कमजोर वर्ग को मजबूती मिलेगी।
उन्होंने कहा कि जिस तरह प्रधानमंत्री आवास योजना को बड़ी संख्या में जारी रखने का वादा किया गया है, इससे ग्रामीण क्षेत्र में भी रोजगार सृजन होता रहेगा। इससे भी अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। जिस तरह भाजपा ने वादा किया है, यदि श्रीअन्न, दलहन-तिलहन फसलों को उत्पादन करने वाले किसानों को बढ़ावा मिलता है, तो इसका लाभ भी निचले वर्गों को होगा।
Trending Videos
आर्थिक मामलों के जानकार डॉ. नागेंद्र कुमार शर्मा ने अमर उजाला से कहा कि यदि भाजपा को इस लोकसभा चुनाव में जीत मिलती है, तो पार्टी का यह संकल्प पत्र केंद्र सरकार के अगले पांच सालों के बजट का संकेत पत्र बन सकता है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने पिछले 10 सालों में अर्थव्यवस्था की गति को बनाए रखने के लिए मूलभूत ढांचे में तेज निवेश को अपना मूल मंत्र बना रखा है। रेल, सड़क, हवाई क्षेत्र, स्वास्थ्य और शिक्षा पर खर्च के माध्यम से केंद्र सरकार ने न केवल इन क्षेत्रों की तस्वीर बदली, बल्कि निवेश के कारण दूसरे क्षेत्रों को गति मिली। मोदी सरकार की इसी नीति का परिणाम है कि जिस समय पूरी दुनिया की आर्थिक गति ठहरती सी दिखाई पड़ी, उसी समय में भारत तेजी से आगे बढ़ता रहा है। चूंकि भाजपा ने अपने संकल्प पत्र में एक बार फिर रेल, सड़क, वायु सेवाओं, पर्यटन और कृषि को विस्तार देने का वादा किया है, माना जा सकता है कि यदि भाजपा चुनाव जीती, तो इन सेक्टर में निवेश जारी रहेगा और इसका सकारात्मक असर अर्थव्यवस्था पर दिखाई पड़ेगा।
विज्ञापन
विज्ञापन
डॉ. नागेंद्र कुमार शर्मा ने कहा कि केंद्र सरकार ने जिस तरह पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा देने को अपनी नीति बना रखी है, उसी के अंतर्गत अयोध्या, काशी, मथुरा और अन्य धार्मिक केंद्रों का विकास किया गया है। पर्यटन क्षेत्र को सबसे कम लागत में सबसे अधिक रोजगार उपलब्ध कराने वाला क्षेत्र माना जाता है। यानी इसके माध्यम से रोजगार के सबसे अहम मोर्चे पर काम करने की सोच दिखाई गई है। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में यह भारत को दिशा दिखाने वाला संकेतक बन सकता है।
निचले उद्योगों को दिशा नहीं दिखाई- अरुण कुमार
वहीं, प्रसिद्ध अर्थशास्त्री अरुण कुमार की राय इससे अलग है। उन्होंने अमर उजाला से कहा कि केंद्र सरकार के पिछले दस साल का ट्रैक रिकॉर्ड बताता है कि वह संगठित क्षेत्र को मजबूत करने पर ज्यादा जोर देती है, जबकि असंगठित क्षेत्र को मजबूत बनाने की दिशा में वह कोई काम नहीं करती। इसी का परिणाम हुआ है कि पिछले दस सालों में संगठित क्षेत्र तो मजबूत हुआ है, लेकिन गरीब वर्ग कमजोर हुआ है। भाजपा के संकल्प पत्र में इन्हें मजबूत करने पर जोर दिया जाता, तो ज्यादा बेहतर होता।
अरुण कुमार ने कहा कि देश का 97.5 फीसदी श्रमिक वर्ग असंगठित क्षेत्र में काम करता है। कुल श्रमिक वर्ग का लगभग 46 फीसदी कृषि क्षेत्र में काम करता है। ऐसे में यदि सरकार को गरीबों को आर्थिक तौर पर समृद्ध करना है, उसके हाथों में नकद पैसा पहुंचाना है, जिससे वह सामान खरीद सके और आवश्यक वस्तुओं के मांग क्षेत्र में मजबूती बनी रहे तो उसे असंगठित, कमजोर और श्रमिक वर्ग के कल्याण के लिए काम करना होगा।
उन्होंने कहा कि एक असंगठित क्षेत्र के कामकाज में औसतन 1.7 लोगों को रोजगार मिलता है। यानी एक व्यक्ति कोई उद्यम करता है और एक-दो व्यक्ति उसकी सहायता के लिए काम करते हैं। यदि माइक्रो सेक्टर को मजबूत करने पर जोर दिया जाए तो यह रोजगार उपलब्ध कराने का काम कर सकता है। लेकिन उनका मानना है कि भाजपा के संकल्प पत्र में इस सेक्टर के लिए कोई उपाय नहीं दिखाया गया है।
छोटे सेक्टर के लिए भी उपाय
हालांकि, डॉ. नागेंद्र कुमार शर्मा की राय इससे अलग है। उन्होंने कहा कि भाजपा के संकल्प पत्र में मुद्रा लोन की सीमा 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 20 लाख रुपये करने की बात कही गई है। इससे माइक्रो सेक्टर, युवा उद्यमियों और मझोले स्तर के उद्योगों को बढ़ावा मिल सकता है। इसी प्रकार लखपति दीदी, ड्रोन दीदी योजनाओं के जरिए ग्रामीण भारत की महिलाओं को सशक्त करने की योजना आगे बढ़ाने की बात कही गई है। इससे भी कमजोर वर्ग को मजबूती मिलेगी।
उन्होंने कहा कि जिस तरह प्रधानमंत्री आवास योजना को बड़ी संख्या में जारी रखने का वादा किया गया है, इससे ग्रामीण क्षेत्र में भी रोजगार सृजन होता रहेगा। इससे भी अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। जिस तरह भाजपा ने वादा किया है, यदि श्रीअन्न, दलहन-तिलहन फसलों को उत्पादन करने वाले किसानों को बढ़ावा मिलता है, तो इसका लाभ भी निचले वर्गों को होगा।