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Amar Ujala Samvaad 2023: छोटे शहरों में आज भी नहीं बदली सड़क और सोच, मीनाक्षी दीक्षित ने यूं बयां किया दर्द
एंटरटेनमेंट डेस्क, अमर उजाला
Published by: दीक्षा पाठक
Updated Mon, 19 Jun 2023 03:30 PM IST
सार
भारत की जानी मानी अभिनेत्री मीनाक्षी दीक्षित अमर उजाला संवाद 2023 का हिस्सा बनीं और अपने शहर राय बरेली की खूबसूरती के बारे बात की। उन्होंने राय बरेली के लोगों कि सोच के विषय में अपनी बात रखी। अभिनत्री का कहना है कि राय बरेली के लोग आज भी अपने बच्चों को डॉक्टर इंजीनियर बनते देखना चाहते हैं।
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मीनाक्षी दीक्षित
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
भारत की जानी मानी अभिनेत्री मीनाक्षी दीक्षित अमर उजाला संवाद 2023 का हिस्सा बनीं और अपने शहर राय बरेली की खूबसूरती के बारे बात की। उन्होंने राय बरेली के लोगों कि सोच के विषय में अपनी बात रखी। अभिनत्री का कहना है कि राय बरेली के लोग आज भी अपने बच्चों को डॉक्टर इंजीनियर बनते देखना चाहते हैं।
मीनाक्षी दीक्षित ने अभिनेत्री बनने के अपने सफर को याद करते हुए कहा कि राय बरेली जैसे छोटे शहर में जब हम कुछ अलग करने का सपना देखते हैं तो हमारी सबसे पहली लड़ाई अपने ही परिवार वालों से होती है और अभिनेत्री ने यह लड़ाई कई वर्षों तक लड़ी है। उन्हें कई साल अपने मां बाप और समाज को समझाने में लग गए। जो अभी भी इन चीजों को स्वीकारने के लिए तैयार नहीं होते हैं। इंटरनेट के इस नए दौर को देखकर अभिनेत्री का मानना है कि आने वाला समाज हर प्रोफेशन को इज्जत की नजरों से देखेगा। तो चलिए जानते हैं कि अभिनेत्री ने क्या कहा है
सुमित अवस्थी: जब हिंदुस्तान 75 से 100 वर्ष के बीच जा रहा है तो अगर आप ढाई मिनट में यह समझा सकें कि हिंदुस्तान में आप क्या चीजें देखना चाहते हैं।
मीनाक्षी दीक्षित: मेरा यह मानना है कि मैं बहुत ही प्यारे से शहर रायबरेली से हूं। दुनिया कहां से कहां पहुंच गई है, जब से मैं वहां से निकलकर मुंबई आई। मुझे अब भी लगता है कि रायबरेली जैसे छोटे शहर हैं, वहां अब भी सड़कें नहीं बदली हैं और लोगों की सोच भी नहीं बदली है। वहां के लोग अब भी अपने बच्चों को सबसे पहले डॉक्टर और इंजीनियर ही देखते हैं। मैंने खुद इससे कई साल तक लड़ाई लड़ी। मैं पढ़ने में काफी अच्छी थी, लेकिन कुछ अलग करने के लिए काफी लड़ाई करनी पड़ी। मुझे भातखंडे में जाकर कथक सीखना था, जो मैं अब पिछले कुछ साल से सीख रही हूं। मुझे काफी ज्यादा वक्त लगा इस लड़ाई को लड़ने में। मुझे अपने माता-पिता को समझाने में काफी साल लग गए। अब इंटरनेट की दुनिया है, जहां हर प्लेटफॉर्म पर काफी जानकारी मौजूद है। मुझे उम्मीद है कि इससे काफी कुछ बदलेगा। हर प्रोफेशन काफी महत्वपूर्ण और बड़ा है।
सुमित अवस्थी: अब दक्षिण का सिनेमा घर-घर में लोकप्रिय है। दक्षिण सिनेमा तो बॉलीवुड पर भी भारी नजर आता है।
मीनाक्षी दीक्षित: मुंबई मेरी जान है। दक्षिण में फिल्में तीस दिन में बनकर खत्म हो जाती हैं। वहां फिल्में बहुत बनती हैं। नए लोगों को वहां मौका मिलता है। निगेटिव रोल में वहां अभिनेता कम होते हैं, लेकिन लड़कियों को बहुत मौके मिलते हैं। ओटीटी की वजह से काफी बदलाव आया है। दर्शकों तक रीच वैश्विक हो गई है।
सुमित अवस्थी: मीनाक्षी, आप अच्छा गा लेती हैं। कुछ सुनाइए।
मीनाक्षी दीक्षित-: मैं स्कूल के समय से गाती आ रही थी। मुझे लगता है कि सारी चिंताएं संगीत से दूर हो जाती हैं। ...बाजी इश्के दी जित्त लवूगी, मैं रब्ब तो दुआ मँग के, बूहे बारिया।
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सुमित अवस्थी: जब हिंदुस्तान 75 से 100 वर्ष के बीच जा रहा है तो अगर आप ढाई मिनट में यह समझा सकें कि हिंदुस्तान में आप क्या चीजें देखना चाहते हैं।
मीनाक्षी दीक्षित: मेरा यह मानना है कि मैं बहुत ही प्यारे से शहर रायबरेली से हूं। दुनिया कहां से कहां पहुंच गई है, जब से मैं वहां से निकलकर मुंबई आई। मुझे अब भी लगता है कि रायबरेली जैसे छोटे शहर हैं, वहां अब भी सड़कें नहीं बदली हैं और लोगों की सोच भी नहीं बदली है। वहां के लोग अब भी अपने बच्चों को सबसे पहले डॉक्टर और इंजीनियर ही देखते हैं। मैंने खुद इससे कई साल तक लड़ाई लड़ी। मैं पढ़ने में काफी अच्छी थी, लेकिन कुछ अलग करने के लिए काफी लड़ाई करनी पड़ी। मुझे भातखंडे में जाकर कथक सीखना था, जो मैं अब पिछले कुछ साल से सीख रही हूं। मुझे काफी ज्यादा वक्त लगा इस लड़ाई को लड़ने में। मुझे अपने माता-पिता को समझाने में काफी साल लग गए। अब इंटरनेट की दुनिया है, जहां हर प्लेटफॉर्म पर काफी जानकारी मौजूद है। मुझे उम्मीद है कि इससे काफी कुछ बदलेगा। हर प्रोफेशन काफी महत्वपूर्ण और बड़ा है।
सुमित अवस्थी: अब दक्षिण का सिनेमा घर-घर में लोकप्रिय है। दक्षिण सिनेमा तो बॉलीवुड पर भी भारी नजर आता है।
मीनाक्षी दीक्षित: मुंबई मेरी जान है। दक्षिण में फिल्में तीस दिन में बनकर खत्म हो जाती हैं। वहां फिल्में बहुत बनती हैं। नए लोगों को वहां मौका मिलता है। निगेटिव रोल में वहां अभिनेता कम होते हैं, लेकिन लड़कियों को बहुत मौके मिलते हैं। ओटीटी की वजह से काफी बदलाव आया है। दर्शकों तक रीच वैश्विक हो गई है।
सुमित अवस्थी: मीनाक्षी, आप अच्छा गा लेती हैं। कुछ सुनाइए।
मीनाक्षी दीक्षित-: मैं स्कूल के समय से गाती आ रही थी। मुझे लगता है कि सारी चिंताएं संगीत से दूर हो जाती हैं। ...बाजी इश्के दी जित्त लवूगी, मैं रब्ब तो दुआ मँग के, बूहे बारिया।
भारत की जानी मानी अभिनेत्री मीनाक्षी दीक्षित अमर उजाला संवाद 2023 का हिस्सा बनीं और अपने शहर राय बरेली की खूबसूरती के बारे बात की। उन्होंने राय बरेली के लोगों कि सोच के विषय में अपनी बात रखी। अभिनत्री का कहना है कि राय बरेली के लोग आज भी अपने बच्चों को डॉक्टर इंजीनियर बनते देखना चाहते हैं।