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'बिग बॉस 19' से बाहर आने के बाद कुनिका ने किए कई खुलासे, बताया- किसे देखती है विनर; तान्या पर कही बड़ी बात
सार
Kunicka Sadanand Exclusive Interview: 'बिग बॉस 19' के बाहर निकलने के बाद कुनिका सदानंद ने अमर उजाला से बातचीत करते हुए अपने एविक्शन, दूसरे कंटेस्टेंट्स की गेम पर खुलकर बात की है।
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कुनिका सदानंद
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
13 हफ्तों की जर्नी पूरी करने के बाद कुनिका सदानंद 'बिग बॉस 19' से बाहर हो गईं। अमर उजाला से बातचीत में उन्होंने हर सवाल का खुलकर जवाब दिया- ट्रॉफी किसे मिलनी चाहिए, कौन चालाक था, असली कुनिका कौन है.. सब कुछ उन्होंने बेबाकी से बताया। पढ़िए बातचीत के कुछ प्रमुख अंश-
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जब आपका नाम एविक्शन के लिए बुलाया गया, उस समय आपके मन में क्या चल रहा था?
उस पल मैंने ज्यादा नहीं सोचा। बस अपने गुरु मैत्रेय दादाश्रीजी को याद किया और दिल से धन्यवाद दिया। मेरी 13 हफ्तों की यात्रा पूरी हो चुकी थी, इसलिए मैंने अपने फैन्स को मन में ही शुक्रिया कहा। मैं नहीं चाहती थी कि कोई रोये, इसलिए मैं माहौल को हल्का रखने की कोशिश कर रही थी। सच कहूं तो मैं दूसरे हफ्ते से ही तैयार थी कि कभी भी बाहर जा सकती हूं। मुझे झटका नहीं लगा, लेकिन हां, मेरे फैन्स कह रहे थे कि मुझे नहीं बल्कि मालती या अशनूर को बाहर जाना चाहिए था।
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फिनाले इतना करीब था, लंबा सफर तय कर चुकी थीं। क्या उस समय दुख हुआ?
मुझे नहीं पता कि मेकर्स ने यह बात दिखाई या नहीं, लेकिन मैंने दूसरे या तीसरे हफ्ते में ही घरवालों से कह दिया था कि ट्रॉफी जीतकर मैं क्या करूंगी। मेरे पास अभी तेरह से पंद्रह साल हैं काम करने के लिए, लेकिन अगर कोई युवा खिलाड़ी जीतेगा तो उसके पास पूरी जिंदगी होगी इस मौके को इस्तेमाल करने की। मेरे लिए ट्रॉफी सबसे जरूरी नहीं थी। बिग बॉस में आना ही मेरे जीवन का बड़ा फैसला था। मैंने कभी अपना फोन बंद नहीं किया, बच्चों से संपर्क नहीं तोड़ा और मेरा एनजीओ चलता है। इस सबको छोड़कर मैं एक ऐसे माहौल में गई जहाँ किसी से बात नहीं की जा सकती थी। यह मेरे लिए बहुत बड़ी चुनौती थी।
कुनिका सदानंद
- फोटो : इंस्टाग्राम
घर में ऐसा कौन था जिसके साथ रहना मुश्किल लगा?
मैं किसी का नाम नहीं लेना चाहती, लेकिन कुछ लोग ऐसे थे जो ठीक से नहीं नहाते थे या वाशरूम का इस्तेमाल सही ढंग से नहीं करते थे। घर के अंदर ड्यूटी बटी हुई थी, इसलिए एक-दूसरे का ख्याल रखना पड़ता था। वाशरूम साफ करने वालों के लिए सतर्क रहना पड़ता था। कभी समय पर बर्तन नहीं धुलते थे, कभी सफाई नहीं होती थी। मैं बहुत साफ-सुथरे तरीके से जीती हूं। हाइजीन और सिस्टम मेरे लिए जरूरी है, इसलिए घर में कौन से लोग आएंगे और उनका रहन-सहन कैसा होगा, यह सोचकर ही मन में दबाव आता था।
क्या आपको लगा कि आपका एविक्शन अनफेयर था?
नहीं, मुझे ऐसा बिल्कुल नहीं लगा। जिन भी प्रतियोगियों को बाहर किया गया, वो वोटर्स के आधार पर हुआ। मेकर्स का इसमें कम हाथ होता है। लोग कहानियां जरूर बनाते हैं, लेकिन मुझे किसी तरह का अन्याय महसूस नहीं हुआ। हां, बसीर और नेहल जब बाहर हुए तब दुख हुआ क्योंकि उनमें क्षमता थी। अगर वो उलझते नहीं और गेम पर सीधा ध्यान देते, तो शायद और आगे जा सकते थे। लेकिन वोट कम मिलने के कारण उनका बाहर जाना तय था।
यह खबर भी पढ़ें: गुरुवार को मुंबई में होगी धर्मेंद्र की प्रार्थना सभा, कार्यक्रम का नाम होगा ‘जिंदगी का जश्न’; उमड़ेगा बाॅलीवुड
घर में कौन डबल गेम खेल रहा था?
कई लोगों ने कहा कि अमाल मलिक सामने कुछ कहते हैं और बाद में सबके सामने माफी मांग लेते हैं। मेरे साथ भी ऐसा हुआ। कई बार गुस्सा आया और फिर तुरंत माफी भी मिली। इस वजह से उन्हें दोहरा व्यवहार करने वाला कहा गया। लेकिन मैं मानती हूं कि हर इंसान की अपनी पर्सनैलिटी होती है। हो सकता है अमाल असल जिंदगी में ऐसे न हों। शायद वह गेम को सुरक्षित तरीके से खेलना चाहते हों ताकि किसी को नाराज़ न करना पड़े। मुझे लगता है यह दोगलापन नहीं बल्कि रणनीति थी।
मैं किसी का नाम नहीं लेना चाहती, लेकिन कुछ लोग ऐसे थे जो ठीक से नहीं नहाते थे या वाशरूम का इस्तेमाल सही ढंग से नहीं करते थे। घर के अंदर ड्यूटी बटी हुई थी, इसलिए एक-दूसरे का ख्याल रखना पड़ता था। वाशरूम साफ करने वालों के लिए सतर्क रहना पड़ता था। कभी समय पर बर्तन नहीं धुलते थे, कभी सफाई नहीं होती थी। मैं बहुत साफ-सुथरे तरीके से जीती हूं। हाइजीन और सिस्टम मेरे लिए जरूरी है, इसलिए घर में कौन से लोग आएंगे और उनका रहन-सहन कैसा होगा, यह सोचकर ही मन में दबाव आता था।
क्या आपको लगा कि आपका एविक्शन अनफेयर था?
नहीं, मुझे ऐसा बिल्कुल नहीं लगा। जिन भी प्रतियोगियों को बाहर किया गया, वो वोटर्स के आधार पर हुआ। मेकर्स का इसमें कम हाथ होता है। लोग कहानियां जरूर बनाते हैं, लेकिन मुझे किसी तरह का अन्याय महसूस नहीं हुआ। हां, बसीर और नेहल जब बाहर हुए तब दुख हुआ क्योंकि उनमें क्षमता थी। अगर वो उलझते नहीं और गेम पर सीधा ध्यान देते, तो शायद और आगे जा सकते थे। लेकिन वोट कम मिलने के कारण उनका बाहर जाना तय था।
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घर में कौन डबल गेम खेल रहा था?
कई लोगों ने कहा कि अमाल मलिक सामने कुछ कहते हैं और बाद में सबके सामने माफी मांग लेते हैं। मेरे साथ भी ऐसा हुआ। कई बार गुस्सा आया और फिर तुरंत माफी भी मिली। इस वजह से उन्हें दोहरा व्यवहार करने वाला कहा गया। लेकिन मैं मानती हूं कि हर इंसान की अपनी पर्सनैलिटी होती है। हो सकता है अमाल असल जिंदगी में ऐसे न हों। शायद वह गेम को सुरक्षित तरीके से खेलना चाहते हों ताकि किसी को नाराज़ न करना पड़े। मुझे लगता है यह दोगलापन नहीं बल्कि रणनीति थी।
कुनिका सदानंद
- फोटो : इंस्टाग्राम-@iam_kunickaasadanand
घर के अंदर किस हाउसमेट को आप सबसे स्मार्ट खिलाड़ी मानती हैं?
मेरे हिसाब से गौरव खन्ना सबसे स्मार्ट लगा। वह समझदारी से चलता है, चालाकी से खेलता है और कई बार चेहरे उतरते भी दिखे। तान्या के बारे में मुझे बाद में पता चला कि वो पीठ पीछे बातें करती थीं। हालांकि उनसे बहुत उम्मीद करने का सवाल भी नहीं था। वहीं फिजिकल टास्क में मुझे कई बार चिंता होती थी कि कहीं किसी को चोट न लग जाए, खासकर जब अभिषेक बहुत जोश में आ जाता था। मेरे हिसाब से ये तीनों अपने-अपने तरीके से स्मार्ट गेम खेल रहे थे।
घर में रिश्ते और लव–एंगल कितने असली थे?
मैं प्यार को बहुत गंभीरता से मानती हूं। मेरे लिए जिंदगी का सिर्फ एक सच है और वो है प्यार। बिग बॉस के घर में भी मुझे कई जगह रिश्तों की शुरुआत दिखाई दी। नेहल और बसीर के बीच मुझे एक सच्चा कनेक्शन महसूस हुआ, जैसे कोई नया रिश्ता धीरे-धीरे जन्म ले रहा हो। अशनूर और अभिषेक के बीच भी एक तरह की समझ और जुड़ाव लगा। जरूरी नहीं कि वे बॉयफ्रेंड या गर्लफ्रेंड हों, लेकिन एक भावनात्मक रिश्ता जरूर दिखाई दिया। फरहान और बशीर की दोस्ती काफी मजबूत लगी। उनका साथ देखकर लगा कि दोस्ती भी प्यार की एक मजबूत परिभाषा हो सकती है। मालती और अमाल का रिश्ता सबसे अलग लगा। मुझे लगा कि उनके बीच कोई पुरानी कहानी या अतीत जरूर रहा होगा। शायद कुछ गिले-शिकवे रहे हों और वह रिश्ता खत्म नहीं हुआ बल्कि एक जगह रुक गया हो।
सलमान खान ने कई बार राय रखी। आप कितना मानती थीं?
सलमान खान जो कहते थे उसका असर होता था, लेकिन एडिटिंग में क्या रखा जाता है और क्या काट दिया जाता है यह हम नहीं जान पाते। इससे बाहर की सोच कई बार अलग बन जाती है। उनसे पहले भी काम कर चुकी हूं इसलिए भरोसा था और कई बार खुलकर बात भी की।
लेकिन एक एपिसोड ऐसा आया जब उन्होंने कहा कि कुनिका का दिल किचन में अटका है और वो गेम नहीं खेल रही। यह सुनकर मैं हिल गई। मुझे लगा कि अगर मैं किचन में हूं तो गेम कैसे खेलूं? उस दिन मैं रोई भी। फिर सोचने लगी कि क्या मुझे खुद को बदलना पड़ेगा? लेकिन अंत में मैंने तय किया कि मैं जैसी हूं वैसी ही रहूंगी। अगर इंसान को अपना स्वभाव ही छोड़ना पड़े तो फिर गेम जीतकर क्या मिलेगा? सलमान खान ऑडियंस की नजर से देखते हैं, सुनना जरूरी है लेकिन अपनी पहचान खो देना सही नहीं।
आप किसे विजेता बनते देखना चाहेंगी?
मेरे दिल से एक ही बात निकली कि ट्रॉफी कश्मीर जानी चाहिए। मैं चाहती हूं कि फरहाना जीते। यह बिग बॉस के लिए भी अच्छा होगा और कश्मीर के लोगों के लिए भी। वो मेहनती और महत्वाकांक्षी हैं लेकिन मेरी नजर में ट्रॉफी के लिए सबसे सही नाम फरहाना है।
तान्या मित्तल पर आपकी राय क्या है?
वह कभी चालाक लगीं और कभी फिल्मी। उनके भाई की बातों से भी लगा कि वह खुद को ऊंचे दर्जे पर देखती हैं। एक दिन मैंने उनसे पूछा कि चीजों से हटकर अपने बारे में बताओ, तुम आगे क्या करना चाहती हो। तब मुझे महसूस हुआ कि उनकी जिंदगी में भावनात्मक आधार काफी कम है। तीस साल की उम्र तक अगर किसी का गहरा रिश्ता न हो तो वह बहुत कुछ भीतर ही भीतर झेल चुका होता है। लेकिन एक बात मैं मानती हूं कि वह महत्वाकांक्षी है और हर लड़की को उतना ही बड़ा सोचना चाहिए जितना वह सोचती है।
मेरे हिसाब से गौरव खन्ना सबसे स्मार्ट लगा। वह समझदारी से चलता है, चालाकी से खेलता है और कई बार चेहरे उतरते भी दिखे। तान्या के बारे में मुझे बाद में पता चला कि वो पीठ पीछे बातें करती थीं। हालांकि उनसे बहुत उम्मीद करने का सवाल भी नहीं था। वहीं फिजिकल टास्क में मुझे कई बार चिंता होती थी कि कहीं किसी को चोट न लग जाए, खासकर जब अभिषेक बहुत जोश में आ जाता था। मेरे हिसाब से ये तीनों अपने-अपने तरीके से स्मार्ट गेम खेल रहे थे।
घर में रिश्ते और लव–एंगल कितने असली थे?
मैं प्यार को बहुत गंभीरता से मानती हूं। मेरे लिए जिंदगी का सिर्फ एक सच है और वो है प्यार। बिग बॉस के घर में भी मुझे कई जगह रिश्तों की शुरुआत दिखाई दी। नेहल और बसीर के बीच मुझे एक सच्चा कनेक्शन महसूस हुआ, जैसे कोई नया रिश्ता धीरे-धीरे जन्म ले रहा हो। अशनूर और अभिषेक के बीच भी एक तरह की समझ और जुड़ाव लगा। जरूरी नहीं कि वे बॉयफ्रेंड या गर्लफ्रेंड हों, लेकिन एक भावनात्मक रिश्ता जरूर दिखाई दिया। फरहान और बशीर की दोस्ती काफी मजबूत लगी। उनका साथ देखकर लगा कि दोस्ती भी प्यार की एक मजबूत परिभाषा हो सकती है। मालती और अमाल का रिश्ता सबसे अलग लगा। मुझे लगा कि उनके बीच कोई पुरानी कहानी या अतीत जरूर रहा होगा। शायद कुछ गिले-शिकवे रहे हों और वह रिश्ता खत्म नहीं हुआ बल्कि एक जगह रुक गया हो।
सलमान खान ने कई बार राय रखी। आप कितना मानती थीं?
सलमान खान जो कहते थे उसका असर होता था, लेकिन एडिटिंग में क्या रखा जाता है और क्या काट दिया जाता है यह हम नहीं जान पाते। इससे बाहर की सोच कई बार अलग बन जाती है। उनसे पहले भी काम कर चुकी हूं इसलिए भरोसा था और कई बार खुलकर बात भी की।
लेकिन एक एपिसोड ऐसा आया जब उन्होंने कहा कि कुनिका का दिल किचन में अटका है और वो गेम नहीं खेल रही। यह सुनकर मैं हिल गई। मुझे लगा कि अगर मैं किचन में हूं तो गेम कैसे खेलूं? उस दिन मैं रोई भी। फिर सोचने लगी कि क्या मुझे खुद को बदलना पड़ेगा? लेकिन अंत में मैंने तय किया कि मैं जैसी हूं वैसी ही रहूंगी। अगर इंसान को अपना स्वभाव ही छोड़ना पड़े तो फिर गेम जीतकर क्या मिलेगा? सलमान खान ऑडियंस की नजर से देखते हैं, सुनना जरूरी है लेकिन अपनी पहचान खो देना सही नहीं।
आप किसे विजेता बनते देखना चाहेंगी?
मेरे दिल से एक ही बात निकली कि ट्रॉफी कश्मीर जानी चाहिए। मैं चाहती हूं कि फरहाना जीते। यह बिग बॉस के लिए भी अच्छा होगा और कश्मीर के लोगों के लिए भी। वो मेहनती और महत्वाकांक्षी हैं लेकिन मेरी नजर में ट्रॉफी के लिए सबसे सही नाम फरहाना है।
तान्या मित्तल पर आपकी राय क्या है?
वह कभी चालाक लगीं और कभी फिल्मी। उनके भाई की बातों से भी लगा कि वह खुद को ऊंचे दर्जे पर देखती हैं। एक दिन मैंने उनसे पूछा कि चीजों से हटकर अपने बारे में बताओ, तुम आगे क्या करना चाहती हो। तब मुझे महसूस हुआ कि उनकी जिंदगी में भावनात्मक आधार काफी कम है। तीस साल की उम्र तक अगर किसी का गहरा रिश्ता न हो तो वह बहुत कुछ भीतर ही भीतर झेल चुका होता है। लेकिन एक बात मैं मानती हूं कि वह महत्वाकांक्षी है और हर लड़की को उतना ही बड़ा सोचना चाहिए जितना वह सोचती है।
कुनिका सदानंद और सलमान खान
- फोटो : एक्स
क्या तान्या की बातें सच थीं या दिखावा?
सब कुछ सच नहीं था। कुछ दिखावा भी था। मैंने उसे कहा कि अगर फेक बातें करनी हैं तो करो लेकिन जवाब देने के लिए भी तैयार रहना पड़ेगा। मैं उससे नाराज़ नहीं हूं, लेकिन उसकी मटेरियलिस्टिक बातें बार-बार सुनना थकाने वाला था। भावनाओं की जगह चीज़ों पर ज्यादा ध्यान देना सही नहीं लगता।
क्या आपको लगता है कि आपकी छवि गलत दिखाई गई?
कभी-कभी हां। किचन वाली बात को इस तरह दिखाया गया जैसे मैं सबको कंट्रोल करना चाहती हूं जबकि मेरी नीयत जिम्मेदारी निभाने की थी। मुझे लगा मेरी पहचान सही रूप में सामने नहीं आ रही। फिर मैंने खुद से कहा कि जितना कहा जा रहा है बदलने के लिए उतना जरूरी है खुद को संभालकर रखना। अगर मैं खुद को ही खो दूं तो फिर जीत किस काम की? मैंने अपनी पहचान नहीं बदली और मुझे खुशी है कि असली कुनिका लोगों के सामने आई।
उम्र को लेकर अभिषेक द्वारा ‘दादी अम्मा’ कहने वाली बातें आपको कैसी लगीं?
अभिषेक कई बार मुझे ‘दादी अम्मा’ कहता था। मैंने कभी अपनी उम्र नहीं छुपाई, पर जिस तरीके से वह ये शब्द इस्तेमाल करता था, वो मुझे सही नहीं लगा। सिर्फ अभिषेक ही नहीं, कुछ और लोग भी ऐसे शब्दों का इस्तेमाल करते थे। तब मैंने साफ कहा था कि सीनियर सिटीजन का मज़ाक उड़ाना या उन पर तंज कसना घरेलू हिंसा जैसा असर डाल सकता है।
अगर टीवी पर इस तरह की बातें बार-बार दिखाई जाएंगी, तो लोग अपने घरों में भी यही बोलने लगेंगे और इसे सामान्य मान लेंगे। मैंने दो बार समझाया कि इस तरह की भाषा नहीं होनी चाहिए। कॉलेजों में भी यही सिखाया जाता है कि उम्र या सम्मान पर चोट नहीं पहुंचनी चाहिए। बिग बॉस के घर में भी यह समझना जरूरी था - ‘दादी अम्मा’ कहना सिर्फ मज़ाक नहीं हो सकता, कभी-कभी यह चोट भी बन जाता है।
सब कुछ सच नहीं था। कुछ दिखावा भी था। मैंने उसे कहा कि अगर फेक बातें करनी हैं तो करो लेकिन जवाब देने के लिए भी तैयार रहना पड़ेगा। मैं उससे नाराज़ नहीं हूं, लेकिन उसकी मटेरियलिस्टिक बातें बार-बार सुनना थकाने वाला था। भावनाओं की जगह चीज़ों पर ज्यादा ध्यान देना सही नहीं लगता।
क्या आपको लगता है कि आपकी छवि गलत दिखाई गई?
कभी-कभी हां। किचन वाली बात को इस तरह दिखाया गया जैसे मैं सबको कंट्रोल करना चाहती हूं जबकि मेरी नीयत जिम्मेदारी निभाने की थी। मुझे लगा मेरी पहचान सही रूप में सामने नहीं आ रही। फिर मैंने खुद से कहा कि जितना कहा जा रहा है बदलने के लिए उतना जरूरी है खुद को संभालकर रखना। अगर मैं खुद को ही खो दूं तो फिर जीत किस काम की? मैंने अपनी पहचान नहीं बदली और मुझे खुशी है कि असली कुनिका लोगों के सामने आई।
उम्र को लेकर अभिषेक द्वारा ‘दादी अम्मा’ कहने वाली बातें आपको कैसी लगीं?
अभिषेक कई बार मुझे ‘दादी अम्मा’ कहता था। मैंने कभी अपनी उम्र नहीं छुपाई, पर जिस तरीके से वह ये शब्द इस्तेमाल करता था, वो मुझे सही नहीं लगा। सिर्फ अभिषेक ही नहीं, कुछ और लोग भी ऐसे शब्दों का इस्तेमाल करते थे। तब मैंने साफ कहा था कि सीनियर सिटीजन का मज़ाक उड़ाना या उन पर तंज कसना घरेलू हिंसा जैसा असर डाल सकता है।
अगर टीवी पर इस तरह की बातें बार-बार दिखाई जाएंगी, तो लोग अपने घरों में भी यही बोलने लगेंगे और इसे सामान्य मान लेंगे। मैंने दो बार समझाया कि इस तरह की भाषा नहीं होनी चाहिए। कॉलेजों में भी यही सिखाया जाता है कि उम्र या सम्मान पर चोट नहीं पहुंचनी चाहिए। बिग बॉस के घर में भी यह समझना जरूरी था - ‘दादी अम्मा’ कहना सिर्फ मज़ाक नहीं हो सकता, कभी-कभी यह चोट भी बन जाता है।