Kartik-Ananya: क्या ‘तू मेरी मैं तेरा..’ के लिए वरदान साबित होगा क्रिसमस? जानिए क्या कहता है 15 साल का रिकॉर्ड
TMMTMTTM Box Office Analysis: 25 दिसंबर को कार्तिक आर्यन और अनन्या पांडे स्टारर ‘तू मेरी मैं तेरा मैं तेरा तू मेरी’ रिलीज हो रही है। इसकी रिलीज से पहले जानिए, बीते 15 साल में क्रिसमस पर रिलीज हुई फिल्मों का कैसा रहा हाल?
विस्तार
क्रिसमस और न्यू ईयर का हफ्ता बॉलीवुड के लिए हमेशा से एक कड़ी परीक्षा रहा है। यह वह समय होता है, जब किसी फिल्म की किस्मत सिर्फ पहले दिन के कलेक्शन से तय नहीं होती। इस दौर में रिलीज होने वाली फिल्म पूरे साल की चर्चा और भरोसे का बोझ अपने साथ लेकर आती है। यह साल का आखिरी बड़ा मौका होता है, जहां एक फिल्म इतिहास भी रच सकती है और बुरी तरह फ्लॉप भी हो सकती है।
बड़ी फिल्मों की टक्कर
इस साल यह चुनौती और भी बड़ी हो गई है। वजह है बड़ी फिल्मों की टक्कर। कार्तिक आर्यन और अनन्या पांडे की ‘तू मेरी मैं तेरा, मैं तेरा तू मेरी’ (25 दिसंबर 2025) को क्रिसमस पर न सिर्फ ऑडियंस की उम्मीदों, बल्कि ‘धुरंधर’ और ‘अवतार’ जैसी मजबूत फिल्मों से भी मुकाबला करना है। ऐसे में यह रिलीज सिर्फ एक नई फिल्म नहीं, बल्कि पूरे क्रिसमस स्लॉट की परीक्षा बन जाती है। बहरहाल, इस खबर में हम आपको पिछले डेढ़ दशक के रिकॉर्ड के जरिए बताएंगे कि क्रिसमस का त्योहार फिल्म रिलीज के लिए सफलता की गारंटी है या मुसीबत की घंटी? साथ ही ट्रेड एक्सपर्ट के नजरिए से भी इसे बेहतर समझेंगे।
पहला दौर (2010–2014): जब ‘ब्लॉकबस्टर गारंटी’ जैसा था क्रिसमस
साल 2010 से 2014 के बीच क्रिसमस रिलीज को लेकर इंडस्ट्री में धीरे-धीरे भरोसा बनना शुरू हुआ। हालांकि इसकी शुरुआत उतनी अच्छी नहीं थी। भारी प्रचार और बड़े सितारों के बावजूद फिल्म ‘तीस मार खान’ (2010) उतनी बड़ी हिट साबित नहीं हुई। इससे साफ हुआ की तारीख बड़ी हो सकती है पर फिल्म का दमदार हाेना भी जरूरी है। इसके बाद ‘डॉन 2’ (2011) ने स्टाइल और एक्शन के दम पर इस स्लॉट की साख संभाली। अगले साल ‘दबंग 2’ (2012) ने साबित किया कि क्रिसमस पर ऑडियंस बड़े पैमाने का मनोरंजन देखने आती है। असल मोड़ तब आया, जब ‘धूम 3’ (2013) रिलीज हुई। फिल्म ने रिकॉर्ड तोड़े और क्रिसमस को एक इवेंट रिलीज में बदल दिया। इस सिलसिले को ‘पीके’ (2014) ने आगे बढ़ाया और दिखाया कि इस तारीख पर दमदार कहानी भी उतनी ही असरदार हो सकती है
दूसरा दौर (2015–2019): जब क्रिसमस बना बड़ा युद्धक्षेत्र
2015 से क्रिसमस स्लॉट को सबसे ज्यादा जोखिम भरा माना जाने लगा। एक ही दिन ‘बाजीराव मस्तानी’ (2015) और ‘दिलवाले’ (2015) की रिलीज ने साफ कर दिया कि अब यह सिर्फ तारीख की नहीं, बल्कि कंटेंट की लड़ाई है। इसके बाद ‘दंगल’ (2016) ने यह साबित किया कि क्रिसमस रिलीज की असली परीक्षा छुट्टियों के बाद होती है। महीनों तक चले इसके रन ने स्लॉट की परिभाषा ही बदल दी। मास एंटरटेनमेंट की वापसी ‘टाइगर जिंदा है’ (2017) के साथ हुई। वहीं ‘जीरो’ (2018) ने यह याद दिलाया कि बड़े प्रयोग हर बार ऑडियंस से नहीं जुड़ते। 2019 में तस्वीर मिली-जुली रही। ‘गुड न्यूज’ (2019) ने हल्के-फुल्के कंटेंट से ऑडियंस को जोड़े रखा। दूसरी तरफ ‘दबंग 3’ (2019) यह साबित नहीं कर पाई कि एक फ्रेंचाइजी हर बार जादू चला सके।
तीसरा दौर (2020–2024): जब हालात बदले और क्रिसमस भी
2020 में लॉकडाउन के चलते सिनेमाघर बंद रहे। पहली बार क्रिसमस का सबसे बड़ा स्लॉट खाली रह गया। इसके बाद वापसी आसान नहीं रही। ‘83’ (2021) और ‘सर्कस’ (2022) से उम्मीदें थीं, लेकिन बदली हुई ऑडियंस आदतों ने असर दिखाया। इसके उलट ‘डंकी’ (2023) ने दिखाया कि अगर फिल्म धीरे-धीरे ऑडियंस का दिल जीत ले, तो क्रिसमस स्लॉट आज भी लंबा रन दे सकता है। वहीं ‘बेबी जॉन’ (2024) ने संकेत दिया कि बदले दौर में यह तारीख अब पहले जितनी आसान नहीं रही।
अब तक हमने क्रिसमस पर रिलीज हुई फिल्मों का इतिहास जाना। अब जानते हैं कि मौजूदा हालात को लेकर इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स क्या सोचते हैं?
स्लॉट तो सबसे बड़ा है, लेकिन इस साल खेल अलग है: गिरीश वानखेड़े, ट्रेड एक्सपर्ट
25 दिसंबर फिल्म रिलीज के लिए बहुत बड़ा समय होता है। इतिहास देखें तो ज्यादातर सफल फिल्में इसी स्लॉट पर आई हैं, हालांकि ‘जीरो’ जैसी कुछ फिल्में भी इस दौर में चल नहीं पाईं। 25 दिसंबर से 31 दिसंबर तक एक्सटेंडेड हॉलीडे होता है, यह बेहद प्राइम टाइम माना जाता है। लेकिन इस साल मामला थोड़ा अलग है। अगर ‘धुरंधर’ नहीं होती, तो ‘तू मेरी मैं तेरा, मैं तेरा तू मेरी’ बड़ी फिल्म लगती। फिलहाल जो माहौल बना है, वह ‘धुरंधर’ ने बनाया है। जब एक फिल्म बहुत मजबूती से चलती है, तो बाकी फिल्में अपने आप छोटी लगने लगती हैं। उसका असर नई रिलीज पर साफ दिखता है।

खुशियां लेकर आएगी कार्तिक-अनन्या की फिल्म: अक्षय राठी, डिस्ट्रिब्यूटर
‘तू मेरी मैं तेरा..’ को लेकर हमें पूरा भरोसा है। यह फिल्म अपने आप में वैल्यू रखती है। कार्तिक और अनन्या जैसी हस्तियां हैं, जिनकी अपनी ऑडियंस है। ऊपर से क्रिसमस और न्यू ईयर का फेस्टिव सीजन है, जब लोग ऐसी एंटरटेनिंग और स्ट्रेस-फ्री फिल्में देखना पसंद करते हैं। यह फिल्म उसी कैटेगरी में आती है। गांधी जयंती, दिवाली और फिर क्रिसमस व न्यू ईयर के दौरान बड़ी फिल्में रिलीज होती हैं और देश में सबसे ज्यादा कंजम्पशन होता है। मौसम अच्छा होता है, लोग बाहर निकलना चाहते हैं और भारत में एंटरटेनमेंट के सीमित विकल्पों में सिनेमा सबसे बड़ा साधन है। फिलहाल जो मोमेंटम बना है, वह तेज रफ्तार से आगे बढ़ रहा है। हम सब, खासकर एग्जिबिटर्स, पॉजिटिव उम्मीद के साथ इसका इंतजार कर रहे हैं कि यह फिल्म ऑडियंस के लिए खुशी लेकर आए।
इस साल सबसे बड़ी लड़ाई स्क्रीन को लेकर: संजय घई, डिस्ट्रिब्यूटर
इस हफ्ते सबसे बड़ी लड़ाई स्क्रीन को लेकर है। अगर पिछले 10–15 साल का डेटा देखें, तो साल के आखिर में रिलीज हुई ज्यादातर फिल्में हिट रही हैं, हालांकि कुछ अपवाद भी रहे हैं। लेकिन इस बार हालात अलग हैं। इस वक्त ‘धुरंधर’ और ‘अवतार’ जैसी बड़ी फिल्मों ने थिएटर पर मजबूत पकड़ बना रखी है। 25 तारीख को बाकी फिल्मों के लिए स्क्रीन मिलना सबसे बड़ी चुनौती बन गया है। आज के दौर में क्रिसमस सिर्फ फायदा देने वाला स्लॉट नहीं रह गया है। अगर फिल्म पूरी तरह तैयार नहीं है, तो यही तारीख उसके लिए ट्रैप भी बन सकती है। ओटीटी के आने के त्योहारों पर पब्लिक का सिनेमाघर आना मजबूरी नहीं रहा। सबसे बड़ा फैक्टर आज स्क्रीन काउंट है। इस वक्त स्टार पावर से ज्यादा मायने यह रखता है कि फिल्म को कितनी स्क्रीन मिल रही हैं। जब एक-दो बड़ी फिल्में मजबूती से चल रही होती हैं, तो बाकी फिल्मों के लिए जगह अपने आप खत्म हो जाती है। ऐसे में कंटेंट अच्छा होने के बावजूद टिक पाना मुश्किल हो जाता है।