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Tu Meri Main Tera Movie Review: वही घिसा-पिटा फार्मूला, कार्तिक-अनन्या की फिल्म में कहानी और अभिनय दोनों गायब
सार
Tu Meri Main Tera Main Tera Tu Meri Review: कार्तिक आर्यन और अनन्या पांडे की फिल्म 'तू मेरी मैं तेरा मैं तेरा तू मेरी' सिनेमाघरों में आज रिलीज हुई है। क्रिसमस पर देखने जाने से पहले पढ़िए फिल्म का रिव्यू और जानिए कैसी है यह फिल्म...
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'तू मेरी मैं तेरा मैं तेरा तू मेरी' फिल्म रिव्यू
- फोटो : अमर उजाला
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Movie Review
तू मेरी मैं तेरा, मैं तेरा तू मेरी
कलाकार
कार्तिक आर्यन
,
अनन्या पांडे
,
जैकी श्रॉफ
और
नीना गुप्ता
लेखक
करण श्रीकांत शर्मा
निर्देशक
समीर विद्वांस
निर्माता
करण जौहर
,
अदार पूनावाला
,
अपूर्व मेहता
,
शरीन मंत्री केडिया
,
किशोर अरोड़ा
और
और भूमि तेवारी
रिलीज
25 दिसंबर 2025
रेटिंग
2/5
विस्तार
‘तू मेरी मैं तेरा, मैं तेरा तू मेरी’ एक ऐसी रोमांटिक ड्रामा फिल्म है, जो पूरी तरह पुराने और जाने-पहचाने ढांचे पर आगे बढ़ती है। फिल्म देखते समय बार-बार यही महसूस होता है कि कहानी, रिश्तों की उलझन और उनका समाधान पहले कई फिल्मों में देखा जा चुका है। यहां न कहानी में कोई ताजगी है और न ही किरदारों में वह गहराई, जो ऑडियंस को अंत तक भावनात्मक रूप से जोड़ सके।
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'तू मेरी मैं तेरा मैं तेरा तू मेरी' फिल्म रिव्यू
- फोटो : यूट्यूब ग्रैब
कहानी
कार्तिक आर्यन फिल्म में रे के किरदार में नजर आते हैं, जबकि अनन्या पांडे रूमी की भूमिका निभाती हैं। रूमी आगरा की रहने वाली है और रे अमेरिका में रहता है। दोनों की मुलाकात क्रोएशिया में होती है, जहां छुट्टियों के दौरान दोस्ती धीरे-धीरे प्यार में बदल जाती है। फिल्म का पहला हिस्सा पूरी तरह रोमांस, घूमने-फिरने और गानों पर आधारित है। कहानी में मोड़ तब आता है जब शादी की बात सामने आती है। रूमी अपने अकेले पिता, जो एक फौजी थे, को छोड़कर अमेरिका जाने से इनकार कर देती है। दूसरी ओर, रे अपनी मां से बेहद जुड़ा है, जिनकी साफ शर्त है कि उन्हें भारतीय बहू ही चाहिए।
माता-पिता की जिम्मेदारी और निजी रिश्ते के बीच फंसा यह टकराव फिल्म की कहानी का आधार बनता है, लेकिन इसे बहुत सीधे और अनुमानित तरीके से पेश किया गया है। कुल मिलाकर फिल्म वही पुराना फार्मूला अपनाती है....मुलाकात, दूरी, प्यार, बिछड़ना और फिर मिल जाना। करीब 2 घंटे 25 मिनट में यही भावनात्मक उठा-पटक बार-बार दोहराई जाती है, जिससे कहानी आगे बढ़ने के बजाय कई जगह ठहरी हुई और बोझिल लगती है।
कार्तिक आर्यन फिल्म में रे के किरदार में नजर आते हैं, जबकि अनन्या पांडे रूमी की भूमिका निभाती हैं। रूमी आगरा की रहने वाली है और रे अमेरिका में रहता है। दोनों की मुलाकात क्रोएशिया में होती है, जहां छुट्टियों के दौरान दोस्ती धीरे-धीरे प्यार में बदल जाती है। फिल्म का पहला हिस्सा पूरी तरह रोमांस, घूमने-फिरने और गानों पर आधारित है। कहानी में मोड़ तब आता है जब शादी की बात सामने आती है। रूमी अपने अकेले पिता, जो एक फौजी थे, को छोड़कर अमेरिका जाने से इनकार कर देती है। दूसरी ओर, रे अपनी मां से बेहद जुड़ा है, जिनकी साफ शर्त है कि उन्हें भारतीय बहू ही चाहिए।
माता-पिता की जिम्मेदारी और निजी रिश्ते के बीच फंसा यह टकराव फिल्म की कहानी का आधार बनता है, लेकिन इसे बहुत सीधे और अनुमानित तरीके से पेश किया गया है। कुल मिलाकर फिल्म वही पुराना फार्मूला अपनाती है....मुलाकात, दूरी, प्यार, बिछड़ना और फिर मिल जाना। करीब 2 घंटे 25 मिनट में यही भावनात्मक उठा-पटक बार-बार दोहराई जाती है, जिससे कहानी आगे बढ़ने के बजाय कई जगह ठहरी हुई और बोझिल लगती है।
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'तू मेरी मैं तेरा मैं तेरा तू मेरी' फिल्म रिव्यू
- फोटो : यूट्यूब ग्रैब
अभिनय
अनन्या पांडे कुछ सीन में ईमानदार कोशिश करती दिखती हैं और यह उनके अब तक के बेहतर गंभीर अभिनय में गिना जा सकता है। लेकिन कई जगह उनका अभिनय जरूरत से ज्यादा लगता है और इमोशनल सीन पूरी तरह ओवरड्रामैटिक हो जाते हैं, जिससे असर नहीं बन पाता।
कार्तिक आर्यन इस किरदार में पूरी तरह सहज नहीं लगते। कई सीन में उनका अभिनय ओवरएक्टिंग जैसा लगता है और उनका परफॉर्मेंस जरूरत से ज्यादा कॉन्फिडेंस भरा हुआ और कई बार खटकने वाला लगता है। दोनों कलाकारों के बीच रोमांटिक कैमिस्ट्री भी कमजोर है, जिस वजह से प्रेम कहानी ऑडियंस को बांध नहीं पाती। जैकी श्रॉफ और नीना गुप्ता अपने जाने-पहचाने अंदाज में ही नजर आते हैं। उनके किरदारों में ऐसा कुछ नया नहीं है, जो कहानी को मजबूती दे सके।
अनन्या पांडे कुछ सीन में ईमानदार कोशिश करती दिखती हैं और यह उनके अब तक के बेहतर गंभीर अभिनय में गिना जा सकता है। लेकिन कई जगह उनका अभिनय जरूरत से ज्यादा लगता है और इमोशनल सीन पूरी तरह ओवरड्रामैटिक हो जाते हैं, जिससे असर नहीं बन पाता।
कार्तिक आर्यन इस किरदार में पूरी तरह सहज नहीं लगते। कई सीन में उनका अभिनय ओवरएक्टिंग जैसा लगता है और उनका परफॉर्मेंस जरूरत से ज्यादा कॉन्फिडेंस भरा हुआ और कई बार खटकने वाला लगता है। दोनों कलाकारों के बीच रोमांटिक कैमिस्ट्री भी कमजोर है, जिस वजह से प्रेम कहानी ऑडियंस को बांध नहीं पाती। जैकी श्रॉफ और नीना गुप्ता अपने जाने-पहचाने अंदाज में ही नजर आते हैं। उनके किरदारों में ऐसा कुछ नया नहीं है, जो कहानी को मजबूती दे सके।
'तू मेरी मैं तेरा मैं तेरा तू मेरी' फिल्म रिव्यू
- फोटो : यूट्यूब ग्रैब
निर्देशन और पटकथा
निर्देशक समीर विद्वांस फिल्म को तकनीकी रूप से साफ-सुथरे ढंग से पेश करते हैं, लेकिन पटकथा कमजोर रह जाती है। पहला हिस्सा हल्का, रंगीन और रोमांटिक है, जबकि दूसरा हिस्सा अचानक गंभीर हो जाता है। दोनों हिस्सों के बीच बैलेंस नहीं बन पाता, जिससे फिल्म बिखरी हुई लगती है।
संगीत
विशाल-शेखर का संगीत फिल्म को कुछ हद तक संभालता है। टाइटल ट्रैक और ‘हम दोनों’ जैसे गाने सुनने में अच्छे लगते हैं। शादी के सीन्स में पुराने हिंदी गानों का इस्तेमाल माहौल तो बनाता है, लेकिन वह भी ज्यादा असर नहीं छोड़ पाता।
निर्देशक समीर विद्वांस फिल्म को तकनीकी रूप से साफ-सुथरे ढंग से पेश करते हैं, लेकिन पटकथा कमजोर रह जाती है। पहला हिस्सा हल्का, रंगीन और रोमांटिक है, जबकि दूसरा हिस्सा अचानक गंभीर हो जाता है। दोनों हिस्सों के बीच बैलेंस नहीं बन पाता, जिससे फिल्म बिखरी हुई लगती है।
संगीत
विशाल-शेखर का संगीत फिल्म को कुछ हद तक संभालता है। टाइटल ट्रैक और ‘हम दोनों’ जैसे गाने सुनने में अच्छे लगते हैं। शादी के सीन्स में पुराने हिंदी गानों का इस्तेमाल माहौल तो बनाता है, लेकिन वह भी ज्यादा असर नहीं छोड़ पाता।
'तू मेरी मैं तेरा मैं तेरा तू मेरी' फिल्म रिव्यू
- फोटो : इंस्टाग्राम@kartikaaryan
मजबूत पक्ष
फिल्म का सबसे मजबूत पहलू इसकी लोकेशन और विजुअल प्रेजेंटेशन है। क्रोएशिया और आगरा जगहों पर फिल्माए गए सीन्स देखने में अच्छे लगते हैं। सिनेमैटोग्राफी साफ है, फ्रेम सुंदर हैं और कलर कॉम्बिनेशन आकर्षक है। यही वजह है कि फिल्म का पहला हिस्सा देखने लायक लगता है।
देखे या नहीं
‘तू मेरी मैं तेरा, मैं तेरा तू मेरी’ दिखने में भले ही अच्छी हो, लेकिन कहानी, किरदार और भावनाओं के स्तर पर कमजोर साबित होती है। यह फिल्म उन ऑडियंस को पसंद आ सकती है, जो बिना ज्यादा उम्मीद के एक साधारण रोमांटिक फिल्म देखना चाहते हैं। मजबूत कहानी और गहरे भावनात्मक जुड़ाव की तलाश करने वालों के लिए यह फिल्म निराशाजनक अनुभव बन सकती है।
फिल्म का सबसे मजबूत पहलू इसकी लोकेशन और विजुअल प्रेजेंटेशन है। क्रोएशिया और आगरा जगहों पर फिल्माए गए सीन्स देखने में अच्छे लगते हैं। सिनेमैटोग्राफी साफ है, फ्रेम सुंदर हैं और कलर कॉम्बिनेशन आकर्षक है। यही वजह है कि फिल्म का पहला हिस्सा देखने लायक लगता है।
देखे या नहीं
‘तू मेरी मैं तेरा, मैं तेरा तू मेरी’ दिखने में भले ही अच्छी हो, लेकिन कहानी, किरदार और भावनाओं के स्तर पर कमजोर साबित होती है। यह फिल्म उन ऑडियंस को पसंद आ सकती है, जो बिना ज्यादा उम्मीद के एक साधारण रोमांटिक फिल्म देखना चाहते हैं। मजबूत कहानी और गहरे भावनात्मक जुड़ाव की तलाश करने वालों के लिए यह फिल्म निराशाजनक अनुभव बन सकती है।