‘रिव्यू के नाम पर अपमान नहीं कर सकते’, वाशु भगनानी की चार साल पुरानी याचिका पर कोर्ट ने केआरके को लगाई फटकार
KRK Vs Vashu Bhagnani: अपने अनोखे फिल्म रिव्यू के लिए जाने जाने वाले केआरके यानी कमाल राशिद खान पर अब कोर्ट ने कुछ प्रतिबंध लगाए हैं। ये प्रतिबंध निर्माता वाशु भगनानी की एक याचिका से जुड़े हैं। जानिए क्या है पूरा मामला…
विस्तार
अभिनेता और खुद को फिल्म समीक्षक कहने वाले कमाल राशिद खान यानी केआरके अक्सर अपने बयानों को लेकर चर्चा में रहते हैं। अब केआरके एक बार फिर चर्चाओं में हैं। वजह है कि कोर्ट ने उन्हें फिल्म निर्माता वाशु भगनानी के खिलाफ मानहानि करने वाली सामग्री प्रकाशित करने या वैसा बोलने से अस्थायी रूप से रोक दिया है। यह फैसला वाशु भगनानी की 2021 में की गई शिकायत पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने दिया है।
रिव्यू की आड़ में किसी का अपमान नहीं होना चाहिए
मुंबई की एक अदालत ने केआरके पर टिप्पणी करते हुए कहा कि केआरके को सार्वजनिक रूप से फिल्म समीक्षा की आड़ में वाशु भगनानी की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने का कोई पूर्ण अधिकार नहीं है। न्यायाधीश ने इस बात पर जोर दिया कि किसी व्यक्ति के बोलने के अधिकार से दूसरे व्यक्ति के निजता के अधिकार और सार्वजनिक छवि का उल्लंघन नहीं होना चाहिए। अदालत ने कहा कि कुछ स्व-प्रतिबंध हैं और केआरके को उनका पूरी तरह से पालन करना चाहिए था। हालांकि, अदालत ने बिना शर्त माफी मांगने की याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि इस तरह के आदेश के लिए काफी सबूतों की आवश्यकता होती है, जिन पर आमतौर पर मुकदमे के अंतिम चरण में विचार किया जाता है।
वाशु भगनानी ने 2021 में दायर की थी याचिका
निर्माता वाशु भगनानी ने साल 2021 में केआरके के खिलाफ अदालत में एक याचिका दायर की थी। इसमें उन्होंने दावा किया था कि केआरके मानहानिकारक, अपमानजनक और गलक ट्वीट व वीडियो पोस्ट करके उनके खिलाफ सुनियोजित बदनामी अभियान चला रहे हैं। फिल्म निर्माता ने मांग की थी कि जब तक उनके मानहानि के मुकदमे का निपटारा नहीं हो जाता, तब तक केआरके को उनके खिलाफ आगे कोई भी अपमानजनक सामग्री पोस्ट करने से रोका जाए। सिविल जज अमित ए. लौलकर की अदालत ने केआरके को कानूनी याचिका में बताए गए इस आपत्तिजनक आरोपों को हटाने या वापस लेने का आदेश दिया।
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केआरके ने अपने बचाव में कही थी ये बात
याचिका में वाशु भगनानी ने ये भी दावा किया कि केआरके बिना किसी उचित कारण के उनके खिलाफ सुनियोजित बदनामी अभियान चला रहे। वहीं अपने बचाव में केआरके ने कहा था कि याचिका तुच्छ और गलत तथ्यों पर आधारित है। एक फिल्म समीक्षक के रूप में फिल्मों की समीक्षा करना और फिल्म उद्योग से जुड़े मामलों पर चर्चा करना उनका काम है। केआरके ने किसी भी प्रकार की व्यक्तिगत टिप्पणी करने से इनकार किया।
अदालत ने माना वाशु भगनानी की निजिता का हुआ उल्लंधन
दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने पाया कि केआरके के ट्वीट और बयान किसी न किसी तरह वाशु भगनानी की प्राइवेसी का उल्लंघन कर रहे हैं। अदालत ने माना कि वाशु भगनानी की साख और प्रतिष्ठा दांव पर है। केआरके को समीक्षा की आड़ में सार्वजनिक रूप से अपनी निजी राय व्यक्त करके इसे नुकसान पहुंचाने का कोई अधिकार नहीं है। इसलिए मुकदमे के फैसले तक इस तरह के काम पर रोक लगाने के कारण हैं।