'कोपाला से आदित्य धर तक...' राम गोपाल वर्मा ने फिर की 'धुरंधर' की तारीफ, दो निर्देशकों की आपस में की तुलना
Ram Gopal Post Coppola to Aditya Dhar Dhurandhar: राम गोपाल वर्मा ने एक बार फिर से निर्देशक आदित्य धर और उनकी इस साल की ब्लॉकबस्टर फिल्म 'धुरंधर' की तारीफों के पुल बांधे। अपनी 10वीं पोस्ट में वर्मा ने आदित्य की तुलना दिग्गज अमेरिकी फिल्म निर्माता फ्रांसिस फोर्ड कोपोला के काम से की।
विस्तार
राम गोपाल वर्मा ने एक्स हैंडल पर एक लंबा नोट शेयर किया, जिसमें उन्होंने अमेरिकी फिल्म निर्माता फ्रांसिस फोर्ड कोपोला की तुलना 'धुरंधर' के निर्देशक आदित्य धर से की है। उन्होंने एक्स पर लिखा, 'कोपोला से आदित्य धर तक- एक निर्देशक का विकास सिर्फ पहले आए निर्देशकों से सीखकर नहीं होता, बल्कि बाद में आने वाले निर्देशकों से भी होता है। इसी तरह, आदित्य धर की फिल्म 'धुरंधर' से मुझे कुछ नई बातें सीखने को मिलीं।'
From COPPOLA to ADITYA DHAR
— Ram Gopal Varma (@RGVzoomin) December 26, 2025
A directors growth not only from what he learnt from previous directors who came before him , but also from directors who came after him ..In that context here are my new learnings from Aditya Dhar’s DURANDHAR
From Coppola I learnt intense closeted…
राम गोपाल वर्मा ने आगे कोपाला की तारीफ में लिखा, 'कोपोला से मैंने गहरा और रहस्यमय ड्रामा सीखा, जिसे मैंने 'सत्या', 'कंपनी', 'सरकार' जैसी अपनी फिल्मों में इस्तेमाल करने की कोशिश की। लेकिन 'धुरंधर' दिखाता है कि यह तरीका बड़े स्तर पर और ज्यादा प्रभावी हो सकता है। ऐसे सीन लिखना, जहां दर्शक समझने से पहले ही सब कुछ महसूस कर लें, यह एक नया तरीका है।'
राम गोपाल वर्मा ने आगे लिखा, 'मैं मुख्यधारा के भारतीय निर्देशकों में से पहला था, जिसने हीरो को ज्यादा बढ़ा चढ़ाकर दिखाने से मना किया। भीकू म्हात्रे ( फिल्म सत्या से मनोज बायपेजी का निभाया गया किरदार) मशहूर न होने के बावजूद शानदार थे। वहीं अमिताभ बच्चन ने 'सरकार' में बिना स्लो-मोशन के कमाल किया। लेकिन 'धुरंधर' ने लक्ष्य तक पहुंचने वाले हीरो को एक अनोखे तरीके से बढ़ा चढ़ाकर दिखाया गया। यह नया प्रयोग है।'
राम गोपाल वर्मा ने भातीय फिल्ममेकर्स को सलाह देते हुए लिखा, 'एक और सीख यह है कि हिंसा सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि दर्शकों को झकझोर भी देनी चाहिए। इसलिए एक्शन को शोर मचाने वाली और बेतुकी कोरियोग्राफी की बजाय स्वाभाविक और भावनात्मक तरीके से दिखाना जरूरी है। यह नया तरीका है, जो पूरे भारत के फिल्ममेकर्स को सीखना चाहिए।'
राम गोपाल वर्मा ने 'धुरंधर' की तारीफ में लिखा, 'मैं कभी तीन हिस्सों वाली कहानी संरचना पर यकीन नहीं करता था, लेकिन 'धुरंधर' ने मुझे दिखाया कि असमान और टुकड़ों में बंटी कहानियां भी दर्शकों को बांधे रख सकती हैं। 'धुरंधर' के तत्व कहानी को अचानक, अनसुलझी और कभी-कभी अन्यायपूर्ण भी बना सकते हैं।'
राम गोपाल वर्मा ने आगे लिखा, 'मेरी आखिरी सीख यह है कि मुझे खुद से आगे निकलने की जरूरत नहीं, बल्कि दूसरों की सफलताओं के साथ कदम मिलाकर चलना चाहिए। मेरे जीवन की new Ayn Rand (आदित्य धर) बनने के लिए शुक्रिया। 'कला वह नहीं है जो वह है... कला वह है जो वह हो सकती है।'
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