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Kailash Kher: कैलाश को हाई कोर्ट से बड़ी राहत, गाने के जरिए धार्मिक भावनाओं को आहत करने का था इल्जाम

एंटरटेनमेंट डेस्क, अमर उजाला Published by: सिराजुद्दीन Updated Thu, 13 Mar 2025 03:09 PM IST
सार

Kailash Kher: गायक कैलाश खेर को उस मामले में राहत मिल गई है जिसमें उनके खिलाफ लोगों की भावनाएं आहत करने का इलजाम था। अदालत ने इस केस को खारिज कर दिया है।

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Bombay HC quashes complaint against Kailash Kher for hurting religious feelings
कैलाश खेर। - फोटो : अमर उजाला।
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साल 2007 में गायक कैलाश खेर ने भगवान शिव का एक गाना गाया था। गाने को लेकर कैलाश खैर पर मकदमा दर्ज किया गया कि इस गाने से लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं। इस पर बॉम्बे हाई कोर्ट ने यह कहते हुए केस खारिज कर दिया था कि उनका ऐसा इरादा नहीं था। जज ने कहा कि खेर, जिन्होंने केवल 'बबम बम' गाना गाया था, उनकी तरफ से किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का कोई इरादा नहीं था। 

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कैलाश खेर के खिलाफ दर्ज हुआ था केस
लुधियाना की एक स्थानीय अदालत में नरिंदर मक्कड़ नाम के एक शख्स ने गायक के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायक में इल्जाम था कि जानबूझकर धार्मिक भावनाओं को आहत किया गया। शिकायतकर्ता ने खुद को शिव उपासक बताया और कहा कि भगवान शिव पर आधारित खेर के गाने 'बबम बम' में एक अश्लील वीडियो दिखाया गया है जिसमें कम कपड़े पहने महिलाएं हैं। वह एक दूसरे को चूम रहे हैं। 
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Bombay HC quashes complaint against Kailash Kher for hurting religious feelings
प्रस्तुति देते कैलाश खेर।

अदालत ने सुनाया फैसला
लुधियाना में इलाका न्यायिक मजिस्ट्रेट में दायर शिकायत को खारिज करते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि खेर की तरफ से गाए गए गाने के बोल भगवान शिव की तारीफ के अलावा कुछ नहीं हैं। आदालत ने कहा हर काम जो किसी वर्ग विशेष को नापसंद हो, जरूरी नहीं कि उससे धार्मिक भावनाएं भड़कें। 

याचिकाकर्ता ने की थी बड़ी मांग
याचिकाकर्ता ने अदालत से मांग की थी कि कैलाश के खिलाफ धारा 295ए के तहत मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए। इस पर पीठ ने कहा कि आईपीसी की धारा 295ए के तहत अपराध दर्ज करने के लिए व्यक्ति की तरफ से किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने की जानबूझकर कोशिश की जानी चाहिए।

कैलाश खेर ने किया था हाईकोर्ट का रुख
खेर ने 2014 में पंजाब के लुधियाना कोर्ट में शिकायत दर्ज कराने के बाद हाईकोर्ट का रुख किया था। उस समय हाईकोर्ट ने अंतरिम राहत देते हुए कहा था कि गायक के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए। अपनी याचिका में खेर ने कहा कि वह केवल गाने के गायक हैं और वीडियो को सोनी म्यूजिक एंटरटेनमेंट के माध्यम से एक अन्य कंपनी की तरफ से कोरियोग्राफ किया गया था। खैर ने तर्क दिया था कि गाने का वीडियो केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड की तरफ से मंजूरी दिए जाने के बाद ही जारी किया गया था।

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