Alok Pandey: 'मैं गांव में था और मुकेश छाबड़ा कास्टिंग कंपनी से कॉल आया', आलोक पांडे को ऐसे मिला बब्बल का रोल
Alok Pandey Exclusive Interview: वेब सीरीज 'बिंदिया के बाहुबली' को दर्शकों के बीच खूब प्यार मिला है। इसमें आलोक पांडे ने अहम भूमिका अदा की। इस किरदार से जुड़े किस्से और अपनी स्ट्रगल स्टोरी हाल ही में उन्होंने साझा की। पढ़िए इस रिपोर्ट में

विस्तार
वेब सीरीज 'बिंदिया के बाहुबली' ने ऑडियंस के बीच अपनी अनोखी कहानी और दमदार किरदारों के चलते खास जगह बनाई है। इस प्रोजेक्ट में बब्बल का किरदार निभाने वाले अभिनेता आलोक पांडे ने अपने किरदार बब्बल के लिए कड़ी मेहनत की। हाल ही में उन्होंने अमर उजाला के साथ बातचीत में इस किरदार की तैयारी और सेट पर अपने को-एक्टर्स और सीनियर एक्टर्स के साथ काम करने का अनुभव साझा किया।

यह प्रोजेक्ट आपके पास कैसे आया?
यह बात 2021 की है। लॉकडाउन का समय चल रहा था और मैं गांव में ही था। तभी मुझे कॉल आया मुकेश छाबड़ा कास्टिंग कंपनी से, हैरी परमार जी का। उन्होंने बताया कि लखनऊ में ऑडिशन चल रहा है और मुझे डायरेक्टर से मिलना है। मैंने सोचा, डायरेक्टर से सीधी मुलाकात हो रही है, यह तो अच्छा है। फिर वहीं मेरी मुलाकात हुई डायरेक्टर राज अमित कुमार जी से। पहली ही मुलाकात में उन्होंने मेरा ऑडिशन लिया और उसी वक्त कहा कि वह मुझे दो किरदारों के लिए सोच रहे हैं। करीब 15 से 20 दिन बाद मुझे कॉल आया कि मुझे बब्बल का किरदार मिला है।

बब्बल की भूमिका के लिए आपकी तैयारी कैसी रही?
कोई बड़ी वर्कशॉप नहीं हुई थी। हमें स्क्रिप्ट मिली और सीधे शूट पर पहुंचे। हम लोगों की लगभग 12 बार जूम पर मीटिंग्स हुईं और बाकी रीडिंग हमने खुद की। बब्बल का अपना एक स्वैग है। थोड़ा सनकी, थोड़ा हटकर। वह अपने आगे किसी को कुछ समझता नहीं। जैसे गांव में कहते हैं, 'बैल बुद्धि', वो उसी टाइप का इंसान है। मुझे ऐसे किरदार बहुत पसंद आते हैं जो सामान्य से हटकर हों, उनमें मजा और आनंद आता है।

इस प्रोजेक्ट में आपके साथ कई दिग्गज कलाकार भी थे। उनके साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा?
जब मुझे यह किरदार मिला था, तब मुझे अंदाजा भी नहीं था कि इतने बड़े सीनियर एक्टर्स मेरे आसपास होंगे। मुझे लगा था कि बस कास्टिंग होगी और पता लग जाएगा कि कौन-कौन है। लेकिन जब लिस्ट सामने आई, गोविंद नामदेव जी, सौरभ शुक्ला सर, रणबीर शौरी, सीमा बिस्वास, तनिष्ठा चटर्जी, तो सच कहूं तो लगा जैसे शेरों के पिंजरे में किसी मेमने को डाल दिया हो। उनके साथ काम करना अपने आप में एक मास्टर क्लास थी। मैंने तो फिल्मों में इन्हें देखकर सीखा है और अब सेट पर इनके सामने सीन देना था। सीन ऐसे थे कि मुझे सौरभ शुक्ला सर को जवाब देना पड़ता था या रणबीर शौरी का गला पकड़ना पड़ता था। यह सब करना आसान नहीं था, लेकिन मुझे लगता है कि यह डायरेक्टर और टीम का मुझ पर भरोसा था, जिसने मुझे इतनी बड़ी जिम्मेदारी दी।
सेट पर कोई खास सरप्राइजिंग मोमेंट?
हां, एक बहुत खास पल था। हमारा क्लाइमेक्स सीन शूट होना था। मुझे पता ही नहीं था कि मेरे सामने कौन-सा एक्टर खड़ा होगा। मैं पूरी तैयारी में पहुंच गया। बंदूक हाथ में थी, क्योंकि सीन एक्शन से भरा हुआ था। तभी देखा, दिबेंदु भट्टाचार्य सामने से आ रहे हैं। मैंने सोचा...मतलब ये हैं मेरे साथ इस सीन में? और क्लाइमेक्स का इंटेंस एक्शन हम दोनों को साथ करना था। वो पल मेरे लिए सरप्राइज भी था और बहुत बड़ी सीख देने वाला पल भी। बिना सोचे, बिना उम्मीद किए जब सीन सामने आता है, तो आपका असली रिएक्शन और एनर्जी निकलकर आती है। वही यहां हुआ।