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Mahesh Bhatt: 'मुझे भांजे मोहित पर गर्व है', 'सैयारा' की सफलता पर बोले महेश भट्ट; महंगे एक्टर्स पर भी दी राय
सार
Mahesh Bhatt Interview: फिल्ममेकर महेश भट्ट ने अपकमिंग फिल्म 'तू मेरी पूरी कहानी' और इंडस्ट्री के कई पहलुओं को लेकर अमर उजाला से खास बातचीत की।
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महेश भट्ट
- फोटो : एक्स
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विस्तार
बॉलीवुड के अनुभवी फिल्म निर्माता और लेखक महेश भट्ट इंडस्ट्री में 50 साल से अधिक समय से हैं। इतने वर्षों के अनुभव के बावजूद हर नई फिल्म के पहले उन्हें वही बेचैनी महसूस होती है। हाल ही में अमर उजाला से बातचीत में फिल्ममेकर ने अपनी आने वाली फिल्म 'तू मेरी पूरी कहानी', अनू मलिक की मीटू के बाद वापसी, नए कलाकारों की महत्वता और कम बजट में फिल्म बनाने की चुनौतियों पर बेबाक विचार साझा किए। इंटरव्यू में महेश भट्ट ने अपने भांजे मोहित सूरी की सफल फिल्म ‘सैयारा’ का जिक्र करते हुए खुद को मुफासा और मोहित को सिंबा बताया। पढ़िए बातचीत के कुछ प्रमुख अंश।
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महेश भट्ट
- फोटो : इंस्टाग्राम @maheshfilm
इतने वर्षों बाद भी फिल्म रिलीज से पहले आपको बेचैनी या डर लगता है?
बिल्कुल होती है। जो फिल्म निर्माता रिलीज से पहले यह रोमांच महसूस करना छोड़ दे, वह सच में फिल्म निर्माण छोड़ चुका है। यह डर नहीं, बल्कि भीतर की बेचैनी है। क्या दर्शक मेरी कहानी समझेंगे, इसे पसंद करेंगे, इसे अपनाएंगे। आप अपनी मेहनत, अपने जज्बात, अपने जीवन का एक हिस्सा स्क्रीन पर रख रहे हैं। बॉक्स ऑफिस या सोशल मीडिया की चर्चाएं मुख्य चीज नहीं हैं, असली मायने दर्शकों के प्यार और प्रतिक्रिया में हैं। यही वह पल है जब आपका फिल्म निर्माण का असली परीक्षण होता है।
प्री-रिलीज की घबराहट आती है तो आप इसे कैसे संभालते हैं?
इसका कोई जादू या आसान तरीका नहीं है। इसे झेलना पड़ता है। थोड़ी राहत तब मिलती है जब ट्रेलर पसंद किया जाए, संगीत अच्छा लगे या शुरुआती रिस्पांस पॉजिटिव हो। लेकिन असली परीक्षा तब होती है जब लोग सिनेमाघरों में बैठते हैं। अनुभव से आत्मविश्वास आता है, लेकिन यह बेचैनी हमेशा बनी रहती है। डर हमेशा रहता है। क्या मेरी मेहनत रंग लाएगी या नहीं?
बदलते दौर में आपकी फिल्म बनाने की रणनीति क्या होती है?
आज का दर्शक पहले जैसा नहीं रहा। लोग समय की कमी और कंटेंट की भरमार के बीच जी रहे हैं। अगर आप महंगे सेट और बड़े सितारों पर भरोसा करेंगे, तो फिल्म फिसल सकती है। हमारी रणनीति है बड़ी सोच, कम खर्च और बेहतरीन संगीत।नई स्टार कास्ट के लिए दर्शकों का जुड़ाव और माउथ पब्लिसिटी बहुत जरूरी है। कहानी और भावनाएं ऐसी होनी चाहिए कि दर्शक इसे अपने जीवन से जोड़ सके। अगर जुड़ाव नहीं है, तो बड़े नाम भी मदद नहीं करेंगे।
बिल्कुल होती है। जो फिल्म निर्माता रिलीज से पहले यह रोमांच महसूस करना छोड़ दे, वह सच में फिल्म निर्माण छोड़ चुका है। यह डर नहीं, बल्कि भीतर की बेचैनी है। क्या दर्शक मेरी कहानी समझेंगे, इसे पसंद करेंगे, इसे अपनाएंगे। आप अपनी मेहनत, अपने जज्बात, अपने जीवन का एक हिस्सा स्क्रीन पर रख रहे हैं। बॉक्स ऑफिस या सोशल मीडिया की चर्चाएं मुख्य चीज नहीं हैं, असली मायने दर्शकों के प्यार और प्रतिक्रिया में हैं। यही वह पल है जब आपका फिल्म निर्माण का असली परीक्षण होता है।
प्री-रिलीज की घबराहट आती है तो आप इसे कैसे संभालते हैं?
इसका कोई जादू या आसान तरीका नहीं है। इसे झेलना पड़ता है। थोड़ी राहत तब मिलती है जब ट्रेलर पसंद किया जाए, संगीत अच्छा लगे या शुरुआती रिस्पांस पॉजिटिव हो। लेकिन असली परीक्षा तब होती है जब लोग सिनेमाघरों में बैठते हैं। अनुभव से आत्मविश्वास आता है, लेकिन यह बेचैनी हमेशा बनी रहती है। डर हमेशा रहता है। क्या मेरी मेहनत रंग लाएगी या नहीं?
बदलते दौर में आपकी फिल्म बनाने की रणनीति क्या होती है?
आज का दर्शक पहले जैसा नहीं रहा। लोग समय की कमी और कंटेंट की भरमार के बीच जी रहे हैं। अगर आप महंगे सेट और बड़े सितारों पर भरोसा करेंगे, तो फिल्म फिसल सकती है। हमारी रणनीति है बड़ी सोच, कम खर्च और बेहतरीन संगीत।नई स्टार कास्ट के लिए दर्शकों का जुड़ाव और माउथ पब्लिसिटी बहुत जरूरी है। कहानी और भावनाएं ऐसी होनी चाहिए कि दर्शक इसे अपने जीवन से जोड़ सके। अगर जुड़ाव नहीं है, तो बड़े नाम भी मदद नहीं करेंगे।
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महेश भट्ट
- फोटो : सोशल मीडिया
कम बजट में फिल्म सफल और दिलचस्प बनाना कितना मुश्किल है?
बहुत मुश्किल है। ज्यादातर फिल्में इसलिए असफल होती हैं क्योंकि उनका खर्च उनकी ताकत से ज्यादा होता है। महंगे बजट वाली फिल्मों में पुराने तरीके और फॉर्मूला पर फंस जाते हैं, फिल्में नीरस हो जाती हैं। आज के दर्शक सेकंडों में तय कर लेते हैं कि फिल्म देखने लायक है या नहीं। इसलिए कम खर्च में भी दिल से जुड़ी, इमोशनल और सच्चाई वाली फिल्में ज्यादा असर करती हैं। कम खर्च से कुछ नया, अलग और क्रिएटिव करने के रास्ते खुलते हैं और फिल्म असली महसूस होती है।
अभिनेता पर ज्यादा फीस होने पर आपकी राय?
अभिनेता इतनी फीस इसलिए मांगते हैं क्योंकि निर्माता खुद डर के मारे जोखिम लेने से कतराते हैं। यह वैसा है जैसे हीरे जड़े सहारे पर चलना... महंगा, दिखने में शानदार, लेकिन असल में बस सहारा ही है। असली फिल्म निर्माता को अपने पैरों पर खड़ा होना पड़ता है। डर से नहीं, प्यार से फिल्म बनानी चाहिए। दर्शक हमेशा अनुमानित नहीं होते। पुराने हिट्स या पुराने तरीके थोड़ी देर के लिए काम करते हैं। असली सफलता सिर्फ जोखिम और नए प्रयोग में है। नए फिल्मकारों का साहस ही दर्शकों को बांधता है।
बहुत मुश्किल है। ज्यादातर फिल्में इसलिए असफल होती हैं क्योंकि उनका खर्च उनकी ताकत से ज्यादा होता है। महंगे बजट वाली फिल्मों में पुराने तरीके और फॉर्मूला पर फंस जाते हैं, फिल्में नीरस हो जाती हैं। आज के दर्शक सेकंडों में तय कर लेते हैं कि फिल्म देखने लायक है या नहीं। इसलिए कम खर्च में भी दिल से जुड़ी, इमोशनल और सच्चाई वाली फिल्में ज्यादा असर करती हैं। कम खर्च से कुछ नया, अलग और क्रिएटिव करने के रास्ते खुलते हैं और फिल्म असली महसूस होती है।
अभिनेता पर ज्यादा फीस होने पर आपकी राय?
अभिनेता इतनी फीस इसलिए मांगते हैं क्योंकि निर्माता खुद डर के मारे जोखिम लेने से कतराते हैं। यह वैसा है जैसे हीरे जड़े सहारे पर चलना... महंगा, दिखने में शानदार, लेकिन असल में बस सहारा ही है। असली फिल्म निर्माता को अपने पैरों पर खड़ा होना पड़ता है। डर से नहीं, प्यार से फिल्म बनानी चाहिए। दर्शक हमेशा अनुमानित नहीं होते। पुराने हिट्स या पुराने तरीके थोड़ी देर के लिए काम करते हैं। असली सफलता सिर्फ जोखिम और नए प्रयोग में है। नए फिल्मकारों का साहस ही दर्शकों को बांधता है।
महेश भट्ट
- फोटो : इंस्टाग्राम@maheshfilm
नए कलाकारों में आप सबसे ज्यादा क्या देखते हैं और उनकी सफलता का रहस्य क्या है?
नए कलाकारों में समझ, भूख और बुझ न सकने वाली प्यास होती है। यही चीजें फिल्मों को जीवित रखती हैं। आज के युवा, चाहे नई पीढ़ी हों या युवा वर्ग, दुनिया चाहते हैं और तुरंत चाहते हैं। अगर आपकी फिल्म उनकी इच्छा और संघर्ष से जुड़ती है, तभी यह हिट बनती है। पुराने फिल्मकार अक्सर पुराने हिट की नकल करने लगते हैं। सिर्फ पैसा या तारीफ के लिए काम करने से नहीं, बल्कि अपने अंदर की प्यास और अपने हुनर को दिखाने की चाह से असली क्रिएटिविटी निकलती है। नए कलाकारों की प्यास को स्क्रीन पर उतारना ही असली फिल्म निर्माण है।
अगर मौका मिले तो कौन सा विषय है जिसे आपने अभी तक नहीं छुआ, लेकिन करना चाहते हैं?
अब मेरी प्यास फिल्मों से नहीं, बल्कि लोगों को विकसित करने से जुड़ी है। मैं खुद को बागवान मानता हूं। प्रतिभाशाली लोगों को संवारना, उनका विकास देखना और उन्हें अपनी पूरी क्षमता तक पहुंचते देखना। फिल्मों से ज्यादा संतोष इसी में है। फेम सिर्फ नाम और शोहरत है, जैसे अमिताभ बच्चन। लोग आपकी तारीफ़ या आलोचना करते हैं, लेकिन प्रभाव अक्सर आपके आस-पास तक ही सीमित रहता है। असली सफलता वही है, जैसे महात्मा गांधी ने दिखाया। ऐसा काम जिसका असर पीढ़ियों तक महसूस हो।
जिस तरह, दिवंगत रॉबर्ट रेडफोर्ड ने अपनी मशहूरी का इस्तेमाल नए कहानीकारों को मौका देने में किया। सनडांस फिल्म महोत्सव ने उन्हें वैश्विक मंच दिया। यह सिर्फ उनका गौरव नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए स्थायी प्रभाव था। मैं उनसे प्रेरित हूं, क्योंकि असली गौरव तब है जब आपकी मेहनत सिर्फ आपके लिए नहीं, बल्कि दूसरों की जिंदगी में रोशनी जला सके।
नए कलाकारों में समझ, भूख और बुझ न सकने वाली प्यास होती है। यही चीजें फिल्मों को जीवित रखती हैं। आज के युवा, चाहे नई पीढ़ी हों या युवा वर्ग, दुनिया चाहते हैं और तुरंत चाहते हैं। अगर आपकी फिल्म उनकी इच्छा और संघर्ष से जुड़ती है, तभी यह हिट बनती है। पुराने फिल्मकार अक्सर पुराने हिट की नकल करने लगते हैं। सिर्फ पैसा या तारीफ के लिए काम करने से नहीं, बल्कि अपने अंदर की प्यास और अपने हुनर को दिखाने की चाह से असली क्रिएटिविटी निकलती है। नए कलाकारों की प्यास को स्क्रीन पर उतारना ही असली फिल्म निर्माण है।
अगर मौका मिले तो कौन सा विषय है जिसे आपने अभी तक नहीं छुआ, लेकिन करना चाहते हैं?
अब मेरी प्यास फिल्मों से नहीं, बल्कि लोगों को विकसित करने से जुड़ी है। मैं खुद को बागवान मानता हूं। प्रतिभाशाली लोगों को संवारना, उनका विकास देखना और उन्हें अपनी पूरी क्षमता तक पहुंचते देखना। फिल्मों से ज्यादा संतोष इसी में है। फेम सिर्फ नाम और शोहरत है, जैसे अमिताभ बच्चन। लोग आपकी तारीफ़ या आलोचना करते हैं, लेकिन प्रभाव अक्सर आपके आस-पास तक ही सीमित रहता है। असली सफलता वही है, जैसे महात्मा गांधी ने दिखाया। ऐसा काम जिसका असर पीढ़ियों तक महसूस हो।
जिस तरह, दिवंगत रॉबर्ट रेडफोर्ड ने अपनी मशहूरी का इस्तेमाल नए कहानीकारों को मौका देने में किया। सनडांस फिल्म महोत्सव ने उन्हें वैश्विक मंच दिया। यह सिर्फ उनका गौरव नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए स्थायी प्रभाव था। मैं उनसे प्रेरित हूं, क्योंकि असली गौरव तब है जब आपकी मेहनत सिर्फ आपके लिए नहीं, बल्कि दूसरों की जिंदगी में रोशनी जला सके।
अनु मलिक
- फोटो : ANI
अनू मलिक की मीटू के बाद वापसी और फिल्म के संगीत पर आपका विचार?
हमने सोचा, नए कलाकार तो मिल जाएंगे, लेकिन संगीत कहां से आएगा। आजकल संगीत अलग-अलग स्रोतों से आता है। हमें चाहिए था एक सच्ची और एकल आवाज, जैसे नदी अपने स्रोत से बहती है। अनू मलिक ने बिना झिझक हां कहा। अपने करियर के कठिन दौर के बाद, उन्होंने नवोदित की तरह भूख, जोश और एनर्जी दिखाई। उनका संगीत पहले ही हफ्ते में दर्शकों के दिलों में गूंजने लगा। मैं इसे फिल्म का ओपनिंग बल्लेबाज मानता हूं। जैसे क्रिकेट में पहला बल्लेबाज मैच का टोन सेट करता है और बड़ा स्कोर बनाता है, वैसे ही अनू मलिक का संगीत फिल्म को मजबूती और आत्मा देता है।
हमने सोचा, नए कलाकार तो मिल जाएंगे, लेकिन संगीत कहां से आएगा। आजकल संगीत अलग-अलग स्रोतों से आता है। हमें चाहिए था एक सच्ची और एकल आवाज, जैसे नदी अपने स्रोत से बहती है। अनू मलिक ने बिना झिझक हां कहा। अपने करियर के कठिन दौर के बाद, उन्होंने नवोदित की तरह भूख, जोश और एनर्जी दिखाई। उनका संगीत पहले ही हफ्ते में दर्शकों के दिलों में गूंजने लगा। मैं इसे फिल्म का ओपनिंग बल्लेबाज मानता हूं। जैसे क्रिकेट में पहला बल्लेबाज मैच का टोन सेट करता है और बड़ा स्कोर बनाता है, वैसे ही अनू मलिक का संगीत फिल्म को मजबूती और आत्मा देता है।
मोहित सूरी
- फोटो : एक्स
मोहित सूरी की हाल की सफलता ‘सैयारा’ पर आपकी राय और उनका भविष्य कैसा दिखता है?
मैं अपने भांजे मोहित पर गर्व महसूस करता हूं। मैंने हमेशा नए कलाकारों के साथ काम करने की सलाह दी और मोहित ने वही किया। जब आप नए कलाकारों पर भरोसा करते हैं, तो आप सिर्फ अपनी कहानी और कला के जादू पर निर्भर रहते हैं। उन्हें पूरा समर्थन मिला। मैं 'द लायन किंग' के मुझफासा का हूं और मोहित सिम्बा। सिम्बा का गर्जन मुझफासा से भी बड़ा हो। यही मेरी असली सफलता और गौरव है। मुझे मोहित पर गर्व है।
कब रिलीज होगी फिल्म?
फिल्म ‘तू मेरी पूरी कहानी’ जल्द ही रिलीज होगी। ट्रेलर के साथ फिल्म की रिलीज डेट भी शेयर की गई। यह फिल्म 26 सितंबर 2025 को रिलीज होगी। इस फिल्म के साथ बतौर प्रोड्यूसर विक्रम भट्ट, अजय मुर्डिया जुड़े हैं। फिल्म का म्यूजिक अनु मलिक ने तैयार किया है।
मैं अपने भांजे मोहित पर गर्व महसूस करता हूं। मैंने हमेशा नए कलाकारों के साथ काम करने की सलाह दी और मोहित ने वही किया। जब आप नए कलाकारों पर भरोसा करते हैं, तो आप सिर्फ अपनी कहानी और कला के जादू पर निर्भर रहते हैं। उन्हें पूरा समर्थन मिला। मैं 'द लायन किंग' के मुझफासा का हूं और मोहित सिम्बा। सिम्बा का गर्जन मुझफासा से भी बड़ा हो। यही मेरी असली सफलता और गौरव है। मुझे मोहित पर गर्व है।
कब रिलीज होगी फिल्म?
फिल्म ‘तू मेरी पूरी कहानी’ जल्द ही रिलीज होगी। ट्रेलर के साथ फिल्म की रिलीज डेट भी शेयर की गई। यह फिल्म 26 सितंबर 2025 को रिलीज होगी। इस फिल्म के साथ बतौर प्रोड्यूसर विक्रम भट्ट, अजय मुर्डिया जुड़े हैं। फिल्म का म्यूजिक अनु मलिक ने तैयार किया है।