Kailash Kher: जन्मदिन पर प्रतिभाओं को ‘नई उड़ान’ देंगे कैलाश खेर, बोले- ‘असली खुशी दूसरों को मौका देने में’
Kailash Kher Interview: मशहूर सिंगर कैलाश खेर नई प्रतिभाओं को मौका देने के लिए एक नया मंच ला रहे हैं। जिसे वो अपने जन्मदिन पर लॉन्च करने वाले हैं।
विस्तार
पद्मश्री कैलाश खेर का मानना है कि असली खुशी दूसरों को मौका देने में है। अमर उजाला से बातचीत में उन्होंने बताया कि ‘नई उड़ान’ एक खास संगीत मंच है, जिसे उन्होंने नए गायक-कलाकारों को मौका देने के लिए शुरू किया है। हर साल होने वाले इस इवेंट में देशभर से नए टैलेंट को चुना जाता है और उन्हें बड़ा मंच दिया जाता है। बातचीत के दौरान उन्होंने ‘नई उड़ान’ मंच और अपने शुरुआती दिनों को लेकर की बात।
‘नई उड़ान’ की शुरुआत का विचार कैसे आया?
भारत की फिल्म इंडस्ट्री में भले ही तमाम कलाकार हों, लेकिन कोई किसी का हाथ नहीं थामता। जब कोई खुद स्थापित हो जाता है, तो दूसरों की चिंता नहीं करता। हमें लगा, यह रवैया बदलना चाहिए। हमने ठाना कि हम हर साल अपने जन्मदिन पर एक नई परंपरा निभाएंगे - केक नहीं काटेंगे, बल्कि हुनर का दीप जलाएंगे। इस मंच का मकसद है नए टैलेंट को ढूंढना, उन्हें तराशना, संवारना और भव्य रूप से लॉन्च करना।
क्या स्पॉन्सर्स मिलना मुश्किल होता है?
हां, खासकर नॉन-फिल्म म्यूजिक के लिए। फिल्मी प्रोजेक्ट्स को ज्यादा स्पॉन्सर मिलते हैं। हम नॉन-फिल्म म्यूजिक को प्रमोट करने के लिए मार्केटिंग कर रहे हैं और नए कलाकारों को प्रोत्साहित कर रहे हैं कि वे ओरिजिनल म्यूजिक बनाएं, ताकि एक समानांतर म्यूजिक इंडस्ट्री खड़ी हो सके।
जब आपने म्यूजिक इंडस्ट्री में कदम रखा, तब क्या चुनौतियां आईं?
हम नॉन-फिल्म म्यूजिक एल्बम बनाना चाहते थे। उस वक्त यूट्यूब नहीं था, सिर्फ रिकॉर्ड कंपनियां थीं। उन्होंने हमें रिजेक्ट किया। बाद में जब 'अल्लाह के बंदे' हिट हुआ, तो वही कंपनियां खुद बुलाने लगीं।
‘नई उड़ान’ के शुरुआती दिनों में क्या कठिनाइयां थीं?
जब आप कुछ अलग करने की सोचते हैं, तो शुरुआत में पैसा भी खुद ही लगाना पड़ता है। लोग झिझकते हैं, स्पॉन्सर नहीं मिलते। पहला शो पूरी तरह अपने दम पर किया और वह हिट हो गया। उस शो में जो टैलेंट लॉन्च हुआ, जैसे प्रभास जोशी, आज वो खुद एक जाना-पहचाना नाम हैं।
क्या अब स्थिति बदल गई है?
बिलकुल। अब लोग खुद आने की इच्छा जताते हैं। टिकट भी खुद बिकते हैं और इवेंट को हमारे नाम से पहचान मिलती है।
इस बार ‘नई उड़ान’ की थीम क्या है?
इस बार की थीम है 'गुरु-शिष्य'। नए कलाकार अपने गुरु के साथ मंच साझा करेंगे, जिससे उनके आत्मविश्वास को बल मिलेगा।
आपके अपने गुरु कौन हैं?
मेरे पहले गुरु मेरे पिता हैं। इसके अलावा, वे संत और महात्मा जिन्होंने मुझे आध्यात्म की राह दिखाई - वे सब मेरे गुरु हैं। जो दुनिया को बेहतर बना रहे हैं, वे भी मेरे लिए प्रेरणा हैं।
आपके गानों में आध्यात्मिक झलक क्यों दिखती है?
क्योंकि मेरा पालन-पोषण आश्रम में हुआ। मेरा पहनावा, भाषा, चाल-ढाल सब उसी संस्कृति से जुड़ा है। हमारे गीतों के बोल आम होते हैं, पर अंदाज असाधारण। जैसे, 'सच्ची बड़ा सच्चा तेरा झूठ बोलना…'
जब आप किसी गायक को जज करते हैं, तो सबसे जरूरी चीज क्या देखते हैं?
उसका स्वभाव। उसकी संवेदनशीलता, विनम्रता और आदर की भावना। गायन तो सीखा जा सकता है, लेकिन स्वभाव जन्मजात होता है। जो विनम्र होता है, वही गहराई से गा सकता है।
आपने अपने जन्मदिन को ‘नई उड़ान’ से क्यों जोड़ा?
क्योंकि हम मानते हैं कि विद्या का दान सबसे बड़ा दान है। जन्मदिन पर केक काटने के बजाय, हम प्रतिभा बांटते हैं। साथ ही हम यह संदेश देना चाहते हैं कि पेड़ लगाओ, जीवन दो -यही सच्चा तोहफा है।
इस बार इवेंट और जन्मदिन को लेकर आप कितने उत्साहित हैं?
हम तो हर पल उत्साहित रहते हैं। हर सांस में एक नई शुरुआत होती है। हर दिन को उत्सव की तरह जीते हैं।
फिलहाल कौन-से प्रोजेक्ट्स पर काम चल रहा है?
अभी कनाडा और अमेरिका के टूर की तैयारियां चल रही हैं, जो अगस्त में होंगे।
आप अपने बॉलीवुड करियर से कितने संतुष्ट हैं?
बहुत संतुष्ट हूं। लगभग हर बड़ी फिल्म में कोई न कोई गाना मेरा हिट होता है। एल्बम्स, कॉन्सर्ट्स और फिल्मों - हर प्लेटफॉर्म पर सफलता मिली है।
जब आप पहली बार मुंबई आए थे, तब कुछ नहीं था। अब उस पल को कैसे देखते हैं?
जब मुंबई आया था, जेब खाली थी लेकिन दिल में उम्मीदें थीं। कोई पहचान नहीं थी, कोई ठिकाना नहीं। लेकिन वो संघर्ष के दिन ही मेरी सबसे बड़ी ताकत बने। आज जब पीछे मुड़कर देखता हूं, तो लगता है कि वही संघर्ष मेरी सबसे कीमती पूंजी है।