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'अमिताभ के सामने बैठकर घबराहट हुई लेकिन...', कॉमेडियन रवि गुप्ता ने बिग बी के शो 'केबीसी' का किस्सा किया साझा
सार
Standup Comedian Ravi Gupta Exclusive Interview: स्टैंडअप कॉमेडियन रवि गुप्ता ने हाल ही में कुछ दिन पहले हुए अमिताभ बच्चन के साथ अपनी पहली मुलाकात और करियर को लेकर अमर उजाला से बातचीत की।
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रवि गुप्ता
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
प्रतापगढ़ के रवि गुप्ता, जो कभी छोटे मंचों पर चुटकुले सुनाया करते थे, आज देशभर की हंसी की पहचान बन चुके हैं। संघर्षों से भरी उनकी यह यात्रा उन्हें उस जगह तक ले गई जहां बैठना करोड़ों लोगों का सपना होता है। 'कौन बनेगा करोड़पति 17' के सेट पर बतौर गेस्ट, अमिताभ बच्चन के सामने बैठना उनके लिए किसी जीवनभर की उपलब्धि से कम नहीं था।
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अमर उजाला से बातचीत में रवि ने पहली कॉल की हैरानी से लेकर ऑफ स्क्रीन तक के वो पल साझा किए हैं जो उनकी जिंदगी के सबसे खास मोड़ बन गए। बातचीत के दौरान रवि ने उसी दर्द और संघर्ष से जुड़ी कुछ किस्से खुलकर साझा किए। पढ़िए बातचीत के प्रमुख अंश:
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KBC से कॉल आने पर क्या थी पहली प्रतिक्रिया?
जब कॉल आया तो मेरे दिमाग ने पहले तो उसे मजाक समझा। सच कहूं तो मैंने कभी जीवन में यह कल्पना भी नहीं की थी कि कोई मुझे ऐसे मंच पर बुलाएगा।
एक पल को लगा कि शायद मैं इस लायक नहीं हूं और शायद किसी और को बुलाना था। लेकिन जब टीम ने विश्वास जताया कि हां, यह जगह आपकी ही है, तब पहली बार लगा कि मेरी मेहनत सच में किसी तक पहुंची है। उस क्षण यकीन और खुशी दोनों एक साथ आए और धीरे धीरे यह बात अंदर तक बैठ गई कि हां, यह मेरा ही पल है।
अमिताभ और रवि
- फोटो : एक्स
अमिताभ बच्चन के सामने बैठने का अनुभव कैसा रहा?
अमिताभ बच्चन के सामने बैठना ऐसा था जैसे किसी कहानी के अंदर खुद को चलते फिरते देखना। हम बचपन से उन्हें देखते आए हैं और उनके संवाद, आवाज और अंदाज हमारी यादों में बसे हुए हैं। जब उनके सामने बैठे तो घबराहट तो हुई, लेकिन उनकी मौजूदगी में एक अनोखी शांति होती है। वो इतने सहज और नम्र हैं कि आपके भीतर की सारी टेंशन गायब हो जाती है।
यह मेरी उनसे पहली मुलाकात थी। लेकिन उन्होंने ऐसा महसूस कराया जैसे हम किसी पुराने परिचय वाले हों। उस पल ने मुझे समझाया कि महानता सिर्फ काम से नहीं बनती, बल्कि व्यवहार भी उतना ही महत्वपूर्ण होता है।
वह कौन सा पल आपके सबसे करीब रहा?
पूरे अनुभव में एक पल ऐसा था जो आज भी याद आते ही दिल को गरमाहट दे जाता है। वह पल था जब अमिताभ बच्चन ने मुझे गले लगाया। यह कोई फिल्मी अंदाज वाला आलिंगन नहीं था। इसमें सम्मान, स्नेह और एक कलाकार के लिए सबसे बड़ी स्वीकृति तीनों मौजूद थे।
ऐसा लगा जैसे कोई कह रहा हो कि तुम ठीक कर रहे हो। यह छोटा सा इशारा मेरे लिए किसी ट्रॉफी से कम नहीं था। उनसे हाथ मिलाना, पैर छूना और उनके दो शब्द सुनना मैंने दिल में हमेशा के लिए दर्ज कर लिया।
ऑफ स्क्रीन उनकी कौन सी बात आपके दिल को छू गई?
ऑफ स्क्रीन उनका व्यवहार मुझे सबसे ज्यादा प्रभावित कर गया। उन्होंने बहुत आराम से कहा कि आज आप लोग आज का शो संभाल लीजिये। उस समय हमारी हालत ऐसी थी कि खुद को संभालना भी मुश्किल था। लेकिन वे इतनी सहजता से यह जिम्मेदारी दे रहे थे।
उनके इन शब्दों में इतना भरोसा था कि वह सीधे दिल तक उतर गया। उस पल ने मुझे समझाया कि किसी इंसान की महानता उसकी पॉपुलैरिटी से नहीं, बल्कि उसके विश्वास, उसके व्यवहार और उसकी सरलता से बनती है।
अमिताभ बच्चन के सामने बैठना ऐसा था जैसे किसी कहानी के अंदर खुद को चलते फिरते देखना। हम बचपन से उन्हें देखते आए हैं और उनके संवाद, आवाज और अंदाज हमारी यादों में बसे हुए हैं। जब उनके सामने बैठे तो घबराहट तो हुई, लेकिन उनकी मौजूदगी में एक अनोखी शांति होती है। वो इतने सहज और नम्र हैं कि आपके भीतर की सारी टेंशन गायब हो जाती है।
यह मेरी उनसे पहली मुलाकात थी। लेकिन उन्होंने ऐसा महसूस कराया जैसे हम किसी पुराने परिचय वाले हों। उस पल ने मुझे समझाया कि महानता सिर्फ काम से नहीं बनती, बल्कि व्यवहार भी उतना ही महत्वपूर्ण होता है।
वह कौन सा पल आपके सबसे करीब रहा?
पूरे अनुभव में एक पल ऐसा था जो आज भी याद आते ही दिल को गरमाहट दे जाता है। वह पल था जब अमिताभ बच्चन ने मुझे गले लगाया। यह कोई फिल्मी अंदाज वाला आलिंगन नहीं था। इसमें सम्मान, स्नेह और एक कलाकार के लिए सबसे बड़ी स्वीकृति तीनों मौजूद थे।
ऐसा लगा जैसे कोई कह रहा हो कि तुम ठीक कर रहे हो। यह छोटा सा इशारा मेरे लिए किसी ट्रॉफी से कम नहीं था। उनसे हाथ मिलाना, पैर छूना और उनके दो शब्द सुनना मैंने दिल में हमेशा के लिए दर्ज कर लिया।
ऑफ स्क्रीन उनकी कौन सी बात आपके दिल को छू गई?
ऑफ स्क्रीन उनका व्यवहार मुझे सबसे ज्यादा प्रभावित कर गया। उन्होंने बहुत आराम से कहा कि आज आप लोग आज का शो संभाल लीजिये। उस समय हमारी हालत ऐसी थी कि खुद को संभालना भी मुश्किल था। लेकिन वे इतनी सहजता से यह जिम्मेदारी दे रहे थे।
उनके इन शब्दों में इतना भरोसा था कि वह सीधे दिल तक उतर गया। उस पल ने मुझे समझाया कि किसी इंसान की महानता उसकी पॉपुलैरिटी से नहीं, बल्कि उसके विश्वास, उसके व्यवहार और उसकी सरलता से बनती है।
अमिताभ और रवि
- फोटो : एक्स
आपकी कॉमेडी जर्नी कैसी रही और कब लगा कि अब चीजें सही डायरेक्शन में जा रही हैं?
मेरी कॉमेडी जर्नी किसी सीधी सड़क की तरह नहीं थी। यह मोड़ों, उबड़ खाबड़ रास्तों और कई बार अंधेरे से भरी रही। जब मैंने शुरुआत की, उस समय यह कला भारत में बहुत नई थी। दिन में नौकरी करता था और शाम में मंच तलाशता था।
कई लोग समझते ही नहीं थे कि स्टैंड अप क्या होता है। लगभग आठ साल तक न जाने कितनी रातें निराशा और कम उम्मीदों में गुजरीं। फिर एक दिन एक वीडियो वायरल हुआ और जीवन का पहिया बदलने लगा। टिकटें बिकने लगीं और जब पहला शो पूरा सोल्ड आउट हुआ तब लगा कि अब रास्ता साफ दिख रहा है। उस पल एहसास हुआ कि मेहनत का फल देर से सही, लेकिन जरूर मिलता है।
स्टैंड अप के अलावा आपकी और कौन सी प्रतिभा है जिसे लोग नहीं जानते?
लोग मुझे कॉमेडी से पहचानते हैं लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि मैं दिल से एक आर्टिस्ट हूं। मैं स्केचिंग करता हूं और खाली समय में कागज पर दुनिया बना लेता हूं। मीडिया में भी मैंने कई साल काम किया है और कुछ समय न्यूज चैनल में नौकरी भी की है। अगर कभी कॉमेडी रुके तो मैं बिना हिचक नौकरी करने के लिए तैयार हूं क्योंकि मेरे लिए काम छोटा या बड़ा नहीं होता। शायद फिर से स्केचिंग करना शुरू कर दूंगा। अगर किसी नए क्षेत्र में जाऊंगा, तो पूरे मन, मेहनत और ईमानदारी के साथ ही कदम रखूंगा।
मेरी कॉमेडी जर्नी किसी सीधी सड़क की तरह नहीं थी। यह मोड़ों, उबड़ खाबड़ रास्तों और कई बार अंधेरे से भरी रही। जब मैंने शुरुआत की, उस समय यह कला भारत में बहुत नई थी। दिन में नौकरी करता था और शाम में मंच तलाशता था।
कई लोग समझते ही नहीं थे कि स्टैंड अप क्या होता है। लगभग आठ साल तक न जाने कितनी रातें निराशा और कम उम्मीदों में गुजरीं। फिर एक दिन एक वीडियो वायरल हुआ और जीवन का पहिया बदलने लगा। टिकटें बिकने लगीं और जब पहला शो पूरा सोल्ड आउट हुआ तब लगा कि अब रास्ता साफ दिख रहा है। उस पल एहसास हुआ कि मेहनत का फल देर से सही, लेकिन जरूर मिलता है।
स्टैंड अप के अलावा आपकी और कौन सी प्रतिभा है जिसे लोग नहीं जानते?
लोग मुझे कॉमेडी से पहचानते हैं लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि मैं दिल से एक आर्टिस्ट हूं। मैं स्केचिंग करता हूं और खाली समय में कागज पर दुनिया बना लेता हूं। मीडिया में भी मैंने कई साल काम किया है और कुछ समय न्यूज चैनल में नौकरी भी की है। अगर कभी कॉमेडी रुके तो मैं बिना हिचक नौकरी करने के लिए तैयार हूं क्योंकि मेरे लिए काम छोटा या बड़ा नहीं होता। शायद फिर से स्केचिंग करना शुरू कर दूंगा। अगर किसी नए क्षेत्र में जाऊंगा, तो पूरे मन, मेहनत और ईमानदारी के साथ ही कदम रखूंगा।
रवि गुप्ता
- फोटो : एक्स
कहते हैं जो लोग दूसरों को हंसाते हैं वो खुद अक्सर गंभीर होते हैं, क्या आप इस बात से सहमत हैं?
हां, मैं इस बात से पूरी तरह सहमत हूं। लोगों को हंसाना तभी संभव है जब आप स्वयं भावनाओं को गहराई से समझते हों। हरिशंकर परसाई कहते थे कि गंभीर आदमी ही अच्छा हास्य लिख सकता है और मैं इसे अपने अनुभव से सच मानता हूं। चाहे मोटापा हो, ब्रेकअप हो या गरीबी, कॉमेडी के पीछे हमेशा कोई दर्द छिपा होता है। मैं इन बातों पर जोक इसलिए करता हूं क्योंकि ये अपने अनुभवों से निकले हुए हैं। एक कॉमेडियन का काम यही होता है कि वह अपने दर्द को ऐसी भाषा में बदले कि लोग हंसते हंसते अपने दुख भूल जांए।
अगर कभी आपको एक्टिंग में मौका मिले तो क्या आप उस क्षेत्र में जाना चाहेंगे?
हां, अगर अभिनय में कोई अच्छा अवसर मिला तो मैं जरूर प्रयास करना चाहूंगा। अब तक जो ऑफर मुझे मिले, उन्हें देखकर लगा कि मैं अभी तैयार नहीं हूँ या वे मेरे लिए सही नहीं हैं। एक्टिंग बहुत बड़ी जिम्मेदारी है, इसलिए मैं बिना तैयारी और बिना संतोष के कुछ नहीं करना चाहता। लेकिन अगर भविष्य में कोई अच्छा मौका मिला जो सही लगे और जिसे मैं ईमानदारी से निभा सकूँ, तो मैं अभिनय के क्षेत्र में कदम जरूर रखूंगा।
क्या कभी सीमाएं कलाकारों के काम पर असर डालती हैं?
हर कलाकार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता चाहता है लेकिन उसके साथ जिम्मेदारी भी आती है। हर व्यक्ति किसी न किसी भावना से जुड़ा होता है, इसलिए बोलना चाहिए लेकिन समझदारी और संवेदनशीलता के साथ। मेरा मानना है कि कलाकार को खुलकर कहने की आजादी तो होनी चाहिए लेकिन ऑडिएंस के सम्मान का ध्यान रखना भी उतना ही जरूरी है। यही संतुलन कला को सुंदर और प्रभावी बनाता है।
हां, मैं इस बात से पूरी तरह सहमत हूं। लोगों को हंसाना तभी संभव है जब आप स्वयं भावनाओं को गहराई से समझते हों। हरिशंकर परसाई कहते थे कि गंभीर आदमी ही अच्छा हास्य लिख सकता है और मैं इसे अपने अनुभव से सच मानता हूं। चाहे मोटापा हो, ब्रेकअप हो या गरीबी, कॉमेडी के पीछे हमेशा कोई दर्द छिपा होता है। मैं इन बातों पर जोक इसलिए करता हूं क्योंकि ये अपने अनुभवों से निकले हुए हैं। एक कॉमेडियन का काम यही होता है कि वह अपने दर्द को ऐसी भाषा में बदले कि लोग हंसते हंसते अपने दुख भूल जांए।
अगर कभी आपको एक्टिंग में मौका मिले तो क्या आप उस क्षेत्र में जाना चाहेंगे?
हां, अगर अभिनय में कोई अच्छा अवसर मिला तो मैं जरूर प्रयास करना चाहूंगा। अब तक जो ऑफर मुझे मिले, उन्हें देखकर लगा कि मैं अभी तैयार नहीं हूँ या वे मेरे लिए सही नहीं हैं। एक्टिंग बहुत बड़ी जिम्मेदारी है, इसलिए मैं बिना तैयारी और बिना संतोष के कुछ नहीं करना चाहता। लेकिन अगर भविष्य में कोई अच्छा मौका मिला जो सही लगे और जिसे मैं ईमानदारी से निभा सकूँ, तो मैं अभिनय के क्षेत्र में कदम जरूर रखूंगा।
क्या कभी सीमाएं कलाकारों के काम पर असर डालती हैं?
हर कलाकार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता चाहता है लेकिन उसके साथ जिम्मेदारी भी आती है। हर व्यक्ति किसी न किसी भावना से जुड़ा होता है, इसलिए बोलना चाहिए लेकिन समझदारी और संवेदनशीलता के साथ। मेरा मानना है कि कलाकार को खुलकर कहने की आजादी तो होनी चाहिए लेकिन ऑडिएंस के सम्मान का ध्यान रखना भी उतना ही जरूरी है। यही संतुलन कला को सुंदर और प्रभावी बनाता है।