Fact Check: आरएसएस कार्यकर्ताओं के दस साल पुराने वीडियो को 1942 का बताकर किया जा रहा शेयर
Fact Check: सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर कर दावा किया जा रहा है कि यह वीडियो 1942 का है। हमने अपनी पड़ताल में वायरल दावे को गलत पाया है।
विस्तार
सोशल मीडिया पर इन दिनों एक वीडियो वायरल हो रहा है। वीडियो में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के कार्यकर्ता नाचते हुए नजर आ रहे हैं। वीडियो को शेयर कर दावा किया जा रहा है कि यह वीडियो 1942 का है, जब भारत के लोग वंदे मातरम और इंकलाब जिंदाबाद गा रहे थे। वहीं, कुछ लोग कोई अजीब सा गाना गाते और नाचते नजर आ रहे हैं।
अमर उजाला ने अपनी पड़ताल में वायरल दावे को गलत पाया है। हमने पाया कि वायरल वीडियो 2015 का है। जिसे 1942 का बताकर शेयर किया जा रहा है।
क्या है दावा
सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर कर दावा किया जा रहा है कि 1942 में जब भारत के लोग वंदे मातरम और इंकलाब जिंदाबाद गा रहे थे। तब आरएसएस के कार्यकार्ता अजीब सा गाना में नाचते नजर आ रहे हैं।
अधीश टी (@Ad_Tel_210168) नाम के एक्स यूजर ने लिखा, “ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन का आर्काइव फुटेज। तारीख? शायद 1942? या शायद बाद की। कुछ लोग कोई अजीब सा गाना गाते और नाचते हैं, जबकि अन्य भारतीय वंदे मातरम और इंकलाब जिंदाबाद गा रहे थे। पोस्ट का लिंक आप यहां और आर्काइव लिंक यहां देख सकते हैं।
इसी तरह के अन्य दावों के लिंक आप यहां और यहां देख सकते हैं। इनके आर्काइव लिंक आप यहां और यहां देख सकते हैं।
पड़ताल
इस दावे की पड़ताल करने के लिए हमने सबसे पहले वीडियो के कीफ्रेम को गूगल रिवर्स इमेज पर सर्च किया। इस दौरान हमें जी 24 तास की रिपोर्ट मिली। यहां हमें वायरल वीडियो की क्लिप 6 सकेंड से लेकर 43 सकेंड तक देखने को मिली। यह रिपोर्ट 17 दिसंबर 2015 को प्रकाशित की गई है। इसके साथ ही यहां लिखा है कि नागपुर आरएसएस कार्यकर्ताओं का डांस।
आगे की पड़ताल में हमें आज तक की रिपोर्ट मिली। यह रिपोर्ट 17 दिसंबर 2015 को प्रकाशित की गई है। यहां हमें वायरल वीडियो के क्लिप 3 सकेंड से लेकर 33 सकेंड तक देखने को मिली। रिपोर्ट में बताया गया है कि नागपुर में बैठक से पहले आरएसएस कार्यकर्ताओं को नाचते हुए देखा गया। वह संघ के शिक्षा वर्ग की तीसरी सालगिरह का जश्न माना रहे थे।
हमने वायरल वीडियो और मीडिया रिपोर्टस् के क्लिप की तुलना की। आप नीचे दिए गए तस्वीर में देख सकते हैं।
पड़ताल का नतीजा
हमने अपनी पड़ताल में वायरल वीडियो को 2015 का पाया है।