Fact Check: एआई से बनी चारमीनार की तस्वीर को 1908 में आई बाढ़ से जोड़कर किया जा रहा शेयर
FACT CHECK :सोशल मीडिया पर हैदाराबाद के चारमीनार का फोटो वायरल है। तस्वीर को शेयर कर दावा किया जा रहा है कि यह तस्वीर हैदाराबाद मूसी बाढ़ 1908 की है। हमारी पड़ताल में यह दावा गलत साबित हुआ है। वायरल तस्वीर एआई जनरेटेड है।

विस्तार
सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हो रहा है। तस्वीर में नजर आ रहा है कि हैदाराबाद का चारमीनार पानी में डूबा हुआ है। इसके साथ ही चारमीनार के आसपास के इलाके भी पानी में डूबे नजर आ रहे हैं। तस्वीर को शेयर कर दावा किया जा रहा है यह तस्वीर 1908 में हैदराबाद की मूसी नदी में आई बाढ़ के समय की है।
अमर उजाला ने अपनी पड़ताल में वायरल दावे को गलत पाया है। हमने पाया है कि वायरल तस्वीर एआई जनरेटेड है। इसके साथ ही हमें 1908 में आई बाढ़ के फोटो के संग्रह में कहीं भी वायरल तस्वीर देखने को नहीं मिली है।
मूसी बाढ़ 28 सितंबर 1908 को हैदाराबाद की मूसी नदी के तट पर आई एक विनाशकारी बाढ़ थी। इस दौरान हैदराबाद राज्य की राजधानी हैदराबाद शहर था। इस विनाशकारी बाढ़ को स्थानीय रूप से ठगयानी सीताम्बर के नाम से जाना जाता है। इस बाढ़ में करीब 50,000 लोग को जान गंवानी पड़ी।
क्या है दावा
सोशल मीडिया पर हैदाराबाद के चारमीनार की तस्वीर शेयर की जा रही है। तस्वीर को शेयर कर दावा किया जा रहा है कि यह 1908 में हैदाराबाद बाढ़ की तस्वीर है।
नाजिमा नाम की इंस्टाग्राम यूजर ने तस्वीर शेयर कर लिखा “ मूसी नदी की विनाशकारी बाढ़ - 28 सितंबर 1908 ** 28 सितंबर 1908 को, हैदराबाद शहर अपने इतिहास की सबसे घातक प्राकृतिक आपदाओं में से एक से त्रस्त हो गया था - मूसी नदी की विनाशकारी बाढ़। मूसलाधार बारिश के कारण, नदी अभूतपूर्व रूप से उफान पर आ गई, जिससे शहर के बड़े हिस्से जलमग्न हो गए। 15,000 से अधिक लोगों की दुखद मृत्यु हो गई, और हज़ारों घर, पुल और सड़कें बह गईं। इस आपदा ने न केवल अपार दुख लाए, बल्कि हैदराबाद की शहरी योजना में एक महत्वपूर्ण मोड़ भी ला दिया। प्रतिक्रिया में, हैदराबाद के निज़ाम ने भविष्य की आपदाओं को रोकने के लिए बाढ़ नियंत्रण प्रणालियों की स्थापना, बेहतर जल निकासी और उस्मान सागर और हिमायत सागर जैसे जलाशयों के निर्माण सहित बड़े आधुनिकीकरण प्रयास शुरू किए। 1908 की बाढ़ शहर के इतिहास में एक गमगीन अध्याय बनी हुई है, जिसे इसकी त्रासदी और इसके परिवर्तनकारी प्रभाव दोनों के लिए याद किया जाता है।” पोस्ट का लिंक आप यहां और आर्काइव लिंक यहां देख सकते हैं।
इसी तरह के कई अन्य दावों के लिंक आप यहां और यहां देख सकते हैं। इनके आर्काइव लिंक आप यहां और यहां देख सकते हैं।
पड़ताल
इस दावे की पड़ताल करने के लिए हमने सबसे पहले तस्वीर को गूगल रिवर्स इमेज पर सर्च किया। इस दौरान हमें हमें मीडियम नाम की वेबसाइट मिली। इसमें बाढ़ के समय की कई पुरानी फोटो देखने को मिली। हालांकि इसमें हमें वायरल तस्वीर कहीं नजर नहीं आई।
इसके बाद फोटो को ध्यान से देखने पर मिला कि फोटो की क्वालिटी काफी हाई थी। इसके साथ ही तस्वीर पर मेटा एआई का लेबल भी देखने को मिला। इसकी तस्वीर आप नीचे देख सकते हैं।
इसके बाद हमने फोटो को एआई इमेज डिटेक्शन टूल से सर्च किया। एआई डिटेक्टर टूल हाइव मॉडरेशन पर इस फोटो के 97.5 फीसदी एआई से बने होने की संभावना जताई गई।
पड़ताल का नतीजा
हमने अपनी पड़ताल में वायरल दावे को गलत पाया है। हमने पाया है कि वायरल तस्वीर एआई से बनी हुई है। इस तस्वीर का 1908 में हैदाबाद में आई बाढ़ से कोई सबंध नहीं है।