सब्सक्राइब करें
Hindi News ›   Fact Check ›   Fact Check Girl suffers cardiac arrest after being made to do 100 sit-ups at school

Fact Check: स्कूल में 100 उठक बैठक की सजा देने के बाद बच्ची को आया कार्डियक अरेस्ट, जानें पड़ताल में सच

फैक्ट चेक डेस्क, अमर उजाला Published by: संध्या Updated Thu, 27 Nov 2025 11:33 AM IST
सार

Fact Check: सोशल मीडिया पर एक हार्ट अटैक से एक बच्ची की मौत का वीडियो शेयर करके दावा किया जा रहा है कि स्कूल में सजा मिलने के बाद उसकी मौत हो गई।  

विज्ञापन
Fact Check Girl suffers cardiac arrest after being made to do 100 sit-ups at school
फैक्ट चेक - फोटो : अमर उजाला
विज्ञापन

विस्तार
Follow Us

सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर किया जा रहा है। वीडियो में दिख रहा है कि एक स्कूल में छोटी बच्ची की हार्ट अटैक आने के कारण मौत हो जाती है। इस वीडियो के शेयर करके दावा किया जा रहा है कि बच्ची के स्कूल देर से पहुंचने पर टीचर ने उसे 100 उठक बैठक करने की सजा दी थी। इसी के कारण बच्ची की मौत हो गई। 

Trending Videos

अमर उजाला ने अपनी पड़ताल में इस दावे को गलत पाया है। हमारी पड़ताल में सामने आया कि इस वीडियो में आठ साल के बच्ची की कार्डियक अरेस्ट से मरने का दावा सही है, लेकिन इसका शारीरिक सजा से कोई लेना-देना नहीं है। 

विज्ञापन
विज्ञापन

क्या है दावा 

इस वीडियो को शेयर करके दावा किया जा रहा है कि आठ साल की बच्ची की स्कूल में दिल्ली का दौरा पड़ने से उस समय मौत हो गई, जब देरी से आने के कारण उसे टीचर ने शारीरिक सजा दी थी। 

शोनी कपूर (@ShoneeKapoor) नाम के एक एक्स यूजर ने इस वीडियो को शेयर करके लिखा “एक 8 साल की लड़की मर गई क्योंकि एक टीचर को लगा कि देर से आने पर “100 सिट-अप्स” करने की सजा दी। हाँ 100 सिट-अप्स। अपने भारी स्कूल बैग के साथ। एनीमिया से परेशान एक बच्ची, जो मेडिकली कमज़ोर थी, उसे ऐसी सजा देने के लिए मजबूर किया गया। जिसे ट्रेंड एथलीट भी पूरा करने में मुश्किल महसूस करेंगे। वह गिर गई। वह दर्द से रोई। उसे हॉस्पिटल ले जाया गया। और वह कभी घर वापस नहीं आई। यह डिसिप्लिन नहीं है। यह स्कूल यूनिफॉर्म पहनकर बेरहमी है। यह उस तरह का “एजुकेशन सिस्टम” है जो बच्चों को बनाने के बजाय उन्हें बर्बाद कर देता है। स्कूलों का काम सुरक्षा देना है। मौत की सजा नहीं। टीचरों का काम पालना-पोसना है। टॉर्चर नहीं। अगर कोई बच्ची सिर्फ़ इसलिए मर जाती है क्योंकि वह देर से आई थी, तो सिस्टम बीमार है, ट्रेनिंग नहीं है, और अकाउंटेबिलिटी जीरो है। एक बच्ची इसलिए नहीं मरी क्योंकि उसमें डिसिप्लिन की कमी थी। वह इसलिए मरी क्योंकि बड़े लोग भूल गए कि वह एक बच्ची है। इस केस में FIR, अरेस्ट, सस्पेंशन, इन्वेस्टिगेशन की ज़रूरत है। बहाने नहीं, लीपापोती नहीं, बेकार की माफ़ी नहीं।” पोस्ट का लिंक और आर्काइव लिंक आप यहां और यहां देख सकते हैं। 


 

इस तरह के कई और दावों का लिंक आप यहां और यहां देख सकते हैं। इसके आर्काइव लिंक आप यहां और यहां देख सकते हैं। 

पड़ताल 

इस दावे की पड़ताल करने के लिए हमने वीडियो के कीफ्रेम्स को गूगल रिवर्स इमेज पर सर्च किया। यहां हमें सागर पटोलिया के एक एक्स यूजर के अकाउंट पर यह वीडियो 10 जनवरी को पोस्ट किया गया था। इसके वीडियो में गुजराती भाषा में एक कैप्शन लिखा गया था। जिसका हिंदी अनुवाद है तीसरी क्लास में पढ़ने वाली 8 साल की बच्ची की मौत! थलतेज के ज़ेबर स्कूल में गार्गी रानपारा नाम की 8 साल की बच्ची की मौत हो गई है। सुबह 8 बजे सीढ़ियां चढ़ने के बाद उसे सीने में दर्द हुआ और वह लॉबी में एक कुर्सी पर बैठ गई। उसके बाद, वह तुरंत गिर गई। गार्गी को तुरंत हॉस्पिटल ले जाया गया और डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया, अब बच्ची की बॉडी को पोस्टमॉर्टम के लिए असरवा सिविल हॉस्पिटल ले जाया गया है। मौत का पहला कारण कार्डियक अरेस्ट बताया गया है। बेटी के माता-पिता अभी मुंबई में हैं। 

 




 

आग हमने कीवर्ड के माध्यम से इस वीडियो से जुड़ी मीडिया रिपोर्ट के सर्च करने की कोशिश की। यहां हमें एबीपी न्यूज की मीडिया रिपोर्ट मिली। इस रिपोर्ट में वायरल वीडियो से जुड़े कीफ्रेम्सम मौजूद थे। इस रिपोर्ट को 10 जनवरी को प्रकाशित किया गया थ। रिपोर्ट में बताया गया था कि गुजरात के अहमदाबाद में कार्डियक अरेस्ट से एक बच्चे की मौत हो गई, क्लास 3 में पढ़ने वाली आठ साल की एक लड़की अपने स्कूल में गिर गई और उसकी मौत हो गई। यह घटना अहमदाबाद के थलतेज इलाके में ज़ेबर स्कूल फॉर चिल्ड्रन में हुई। स्कूल की प्रिंसिपल शर्मिष्ठा सिन्हा ने कहा, "लड़की, गार्गी रानपारा, सुबह अपनी क्लासरूम की ओर जाते समय लॉबी में एक कुर्सी पर बैठने के तुरंत बाद बेहोश हो गई।" आगे इस रिपोर्ट में बताया गया कि “स्कूल मैनेजमेंट के शेयर किए गए CCTV वीडियो में, आठ साल की बच्ची को स्कूल लॉबी में टहलते हुए देखा जा सकता है। लेकिन, क्लासरूम जाते समय उसे बेचैनी महसूस होती है और वह लॉबी में एक कुर्सी पर बैठ जाती है। फिर बेहोश होने के बाद उसे कुर्सी से फिसलते हुए देखा जा सकता है। जब वह गिरी तो लॉबी में टीचर और दूसरे स्टूडेंट मौजूद थे।”
 

 

मीडिया रिपोर्ट में कहीं भी यह बात सामने नहीं आई कि बच्ची को सजा देने के कारण उसकी मौच हुई है। 

पड़ताल का नतीजा 

हमारी पड़ताल में यह साफ है कि बच्ची को कार्डियक अरेस्ट स्कूल में शारीरिक सजा देने के कारण नहीं आया था। 





 
विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

Election
एप में पढ़ें

Followed