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मुफ्त की नहीं दरकार, शिक्षा-चिकित्सा पर जोर दे सरकार

Amar Ujala Bureau अमर उजाला ब्यूरो
Updated Mon, 18 Jul 2022 12:57 AM IST
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No need for free, the government should emphasize on education and medicine
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अंबाला। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुफ्त रेवड़ी बांटने की राजनीतिक परंपराओं को लेकर दिए गए बयान पर रविवार को जब लोगों से संवाद किया गया तो उन्होंने इसका समर्थन किया। उनका कहना है कि चुनावी सीजन में मुफ्त रेवड़ियां बांटने की परंपरा बढ़ती जा रही है। उनका मानना है कि मुफ्त की योजनाएं सिर्फ पब्लिक के लिए ही नहीं, बल्कि राजनेताओं के लिए भी बंद होनी चाहिए, लेकिन कमजोर वर्ग को इस तरह की योजनाओं से वंचित नहीं करना चाहिए। लोगों ने उच्च शिक्षा और चिकित्सा को मुफ्त देने की हिमायत की।
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कमजोर वर्ग को हो मिले मुफ्त की योजनाओं का लाभ
राजकीय कॉलेज अंबाला कैंट के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. देसराज बाजवा के मुताबिक मुफ्त की योजनाएं सिर्फ कमजोर वर्ग लिए होनी चाहिए। केंद्र और राज्य सरकारों को चाहिए कि इन योजनाओं का असली मकसद पात्रों का आर्थिक स्तर ऊंचा करना हो, न की भविष्य में भी वह इसी तरह की योजनाओं पर निर्भर बने रहें।
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मुफ्त की योजनाएं देश की तरक्की में बाधक
एसए जैन कॉलेज अंबाला सिटी के डिपार्टमेंट ऑफ कंप्यूटर साइंस के एचओडी डॉ. अभिषेक तनेजा का कहना है कि अगर हर राजनीतिक दल के प्रमुख नेता इस बात पर ध्यान देंगे तो भविष्य में भारत के लिए तरक्की के रास्ते खुलेंगे, क्योंकि मुफ्त की योजनाएं देश की प्रगति के लिए बाधक हैं।
जनता से प्राप्त होने वाले राजस्व से ही होता सब खर्च
एसडी कॉलेज अंबाला कैंट के प्रोफेसर नितिन सहगल ने कहा कि राजनीतिक दलों को वोट हासिल करने के लिए मुफ्त की घोषणाएं करने में परहेज करना चाहिए, ताकि भविष्य में इस तरह की योजनाओं का असर पूरी व्यवस्था पर न पड़े। उन्होंने कहा कि देश तभी आगे बढ़ेगा जब सभी नागरिक अपना योगदान देंगे।
भारत वर्ष में हर राज्य की आर्थिक स्थिति अलग
राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय बड़ी बस्सी के कार्यवाहक प्राचार्य सतबीर कौशिक ने कहा कि भारत विविधता वाला देश है। यहां अलग-अलग राज्यों में आर्थिक की प्रति व्यक्ति आय और जीवन शैली अलग है। कइयों की आर्थिक स्थिति काफी नाजुक होती है। यदि इस तरह के क्षेत्रों में जनमानस को लाभ पहुंचाने के लिए मुफ्त की योजनाएं दी जाएं तो उन्हें मुख्य धारा से जोड़ने में लाभ ही मिलेगा।
मुफ्त की चीजें देश की प्रगति में बनेगी बाधा
संवाद कार्यक्रम में प्राइवेट जॉब करने वाले युवा ललित नारंग ने कहा कि घोषणाओं में अगर इस बात का ध्यान रखा जाए कि उससे भविष्य में क्या असर पड़ सकता है तो हर घोषणा का लाभ मिलना लाजिमी है। कोई भी सरकार मुफ्त में वस्तुओं का वितरण करेगी तो इसका बोझ महंगाई के रूप में जनता को ही उठाना पड़ेगा। नागरिकों का मकसद देश की प्रगति होना चाहिए।
चुनावी सीजन खत्म होने पर मिलती है निराशा
भारतीय प्रशासनिक सेवा की तैयारी कर रहे युवा अमन जस्सल का कहना है कि चुनावी सीजन में राजनीतिक दल ताबड़तोड़ घोषणाएं करते हैं और इन घोषणाओं में सबसे ज्यादा ध्यान मुफ्त मिलने वाली घोषणाओं पर होता है। चुनावी सीजन खत्म होने के बाद भी लोग इसी आस में रहते हैं कि कब उन्हें चुनाव में की गई घोषणाओं का लाभ मिलेगा। आखिरी में उन्हें निराशा हाथ लगती है।
निजी कारोबारी इंद्रजीत वर्मा का कहना है कि राजनीतिक दलों को मुफ्त की योजनाओं से जनता को लुभाने वाली रणनीति को छोड़ कर अपने नागरिकों के आर्थिक स्तर को ऊंचा उठाने की दिशा में कदम बढ़ाना होगा। यदि राजस्व को इसी तरह से मुफ्त की योजनाओं के नाम पर लुटाने का सिलसिला जारी रहा तो देश कर्ज के जाल में फंसता चला जाएगा।
हर नागरिक को अपने दम पर लेना होगा सुविधाओं का लाभ
राजपूत छात्रावास अंबाला सिटी प्रभारी अछरेश राणा ने कहा कि मुफ्त की योजनाओं से काम करने की प्रवृति पर भी असर पड़ता है। यदि लोगों को हर चीज मुफ्त में मिलती रहेगी तो काम कौन करेगा। प्रधानमंत्री ने जो बात रखी है, उस पर जनता को ध्यान देना होगा। देश के आर्थिक हालात में तभी सुधार होगा, जब हर नागरिक अपने दम पर सुविधाओं को हासिल करेगा।
मुफ्त की योजनाओं का बोझ अन्य पर पड़ सकता है भारी
युवा निजी कारोबारी राहुल खुराना का कहना है कि केंद्र और राज्य सरकार अलग-अलग मद में जनता को सुविधाएं देने के लिए टैक्स लेती हैं। इसी राजस्व को अलग अलग योजनाओं पर खर्च किया जाता है। अगर राजस्व का बड़ा हिस्सा मुफ्त की योजनाओं पर ही खर्च होता रहेगा तो इसका बोझ अन्य पर भारी पड़ सकता है।
जनता ही नहीं राजनेताओं के लिए भी बंद हो मुफ्त की योजनाएं
निजी बैंक कर्मी सतेंद्र पाल सिंह ने संवाद में कहा कि राजनीतिक दलों में मुफ्त की योजनाओं की घोषणा करने की होड़ चुनावी सीजन में होती है, जबकि चुनाव जीतने के बाद सिर्फ लोगों को ज्ञान बांटा जाता है। यदि राजनीतिक दल सबसे पहले जनता के साथ साथ राजनेताओं पर हो रहे मुफ्त के खर्च पर भी गौर करे तो देश पर लगातार बढ़ रहा आर्थिक बोझ कम होगा।
सरकार वह चीजें मुफ्त देती है, जिसकी जरूरत नहीं, बल्कि वह चीजें लगातार महंगी करती जा रही है, जिनकी जरूरत है। मुख्य रूप से अच्छी शिक्षा और अच्छे स्वास्थ्य के लिए सुविधा। अगर यह निशुल्क मिल जाए तो किसी को कुछ भी और मुफ्त लेने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। सभी के लिए हर चीज समान रूप से मिलनी चाहिए।
- करण, युवा
सरकार मुफ्त राशन, मुफ्त बिजली और पता नहीं क्या-क्या मुफ्त देने की घोषणा कर देती है। यह सब छोड़कर सरकार को शिक्षा पूरी तरह से मुफ्त कर देना चाहिए। सरकारी स्कूलों में ऐसी सुविधाएं देनी चाहिए कि सभी बच्चे आसानी से शिक्षा प्राप्त कर सकें, बल्कि इसके उलट शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं ही दिन पर दिन महंगी होती जा रही हैं।
- अभिषेक, युवा।
मुफ्त देना किसी भी समस्या का हल नहीं है और कोई भी मुफ्त लेकर खुश नहीं है। बल्कि सरकार को ऐसी सुविधाएं और व्यवस्थाएं करनी चाहिए कि लोग अपने आप कमा कर खा सकें और पहन सकें। सरकार को मूलभूत सुविधाओं को सस्ता कर देना चाहिए। इससे कि वह सभी की पहुंच में हो, न कि किसी को मुफ्त मिल रहा है तो किसी को बहुत महंगे दाम पर खरीदना पड़े।
- दीपांश, युवा।
प्रधानमंत्री का बयान तो सही है, परंतु सरकार को ऐसी व्यवस्थाएं करनी चाहिए कि लोग इतना कमा सके कि उन्हें मुफ्त में कोई चीज लेने की जरूरत ही न पड़े। अगर सरकार को कुछ निशुल्क देना ही है तो वह स्वास्थ्य और शिक्षा को पूरी तरह से निशुल्क कर दे। वहीं रोजगार के समान अवसर प्रदान करें, इससे कि काबिल प्रत्येक व्यक्ति काम कर अपना पेट पाल सके।
- पुनीत, युवा।
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