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Chandigarh-Haryana News: चार साल से 41 स्टेडियम बदहाली में, 105 करोड़ खाते में अटके... काम का अता-पता नहीं
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-पीडब्ल्यूडी से प्रगति रिपोर्ट तक नहीं मिली, खेल विभाग ने 24 नवंबर को भेजा रिमाइंडर
कुलदीप शुक्ला
चंडीगढ़। प्रदेश के 41 खेल स्टेडियमों की मरम्मत और निर्माण कार्य चार साल से ठप पड़े हैं जबकि 105.05 करोड़ रुपये सरकारी खातों में घूमकर भी खर्च नहीं हो सके। खिलाड़ियों की सुरक्षा और सुविधाओं पर बढ़ते सवालों के बीच अब ये लापरवाही प्रदेश की खेल व्यवस्था पर गंभीर आरोप खड़े कर रही है। दो बास्केटबॉल खिलाड़ियों की मौत के बाद स्टेडियमों की बदहाल स्थिति का मुद्दा फिर गर्माया है।
खेल विभाग ने यह राशि वर्ष 2022-23 से इंडसइंड बैंक में जमा करनी शुरू की थी जो अक्तूबर 2025 तक 105,05,54,539 रुपये तक पहुंच गई लेकिन काम में लगातार देरी पर मुख्यमंत्री नायब सैनी ने 18 अगस्त को हुई बैठक में पूरा बजट पीडब्ल्यूडी को सौंपने का निर्देश दे दिया। अगले ही दिन खेल विभाग ने पूरी राशि पीडब्ल्यूडी के सरकारी खाते में ट्रांसफर कर दी लेकिन तीन महीने बाद भी नतीजा शून्य है। न काम शुरू, न प्रगति रिपोर्ट।
पहला पत्र अनुत्तरित, अब भेजा रिमाइंडर
खेल विभाग ने 13 अक्तूबर को पीडब्ल्यूडी से विस्तृत प्रगति रिपोर्ट मांगी थी। कोई जवाब नहीं मिला। अब 24 नवंबर को दोबारा रिमाइंडर भेजा गया है। विभागीय स्तर पर माना जा रहा है कि यह देरी खिलाड़ियों की सुरक्षा और प्रशिक्षण व्यवस्था पर सीधा प्रभाव डाल रही है।
18 राजीव गांधी स्टेडियम और ताऊ देवीलाल स्टेडियम भी अधर में
प्रदेश के 41 स्टेडियमों में 17 जिलों के 18 राजीव गांधी खेल स्टेडियम, ताऊ देवीलाल स्टेडियम (गुरुग्राम) सहित कई जिला स्तरीय स्टेडियम शामिल हैं। सबसे हैरानी की बात खेल मुख्यालय ताऊ देवीलाल स्टेडियम में ही 1.04 करोड़ रुपये की मरम्मत और एप्रन निर्माण का काम 22 सितंबर 2023 से लंबित है।
राजीव गांधी खेल स्टेडियम वाले जिले
पलवल, रेवाड़ी, महेंद्रगढ़, फरीदाबाद, पपलोहा (पंचकूला), इशराना (पानीपत), यमुनानगर, कैथल, लेघा हेतवान (भिवानी), दोहर कला (नारनौल), चरखी दादरी, रोहतक, करनाल, कुरुक्षेत्र, जयसिंहपुरा (करनाल), झज्जर, फतेहाबाद और हिसार।
वर्जन-
105,05,54,539 करोड़ रुपये पीडब्ल्यूडी को सौंप दिए गए हैं। अब पीडब्ल्यूडी से पूछा है कि कहां-कहां टेंडर हुए और कहां काम शुरू हुआ। प्रगति रिपोर्ट मांगी गई है।
-गौरव गौतम, खेल मंत्री
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कुलदीप शुक्ला
चंडीगढ़। प्रदेश के 41 खेल स्टेडियमों की मरम्मत और निर्माण कार्य चार साल से ठप पड़े हैं जबकि 105.05 करोड़ रुपये सरकारी खातों में घूमकर भी खर्च नहीं हो सके। खिलाड़ियों की सुरक्षा और सुविधाओं पर बढ़ते सवालों के बीच अब ये लापरवाही प्रदेश की खेल व्यवस्था पर गंभीर आरोप खड़े कर रही है। दो बास्केटबॉल खिलाड़ियों की मौत के बाद स्टेडियमों की बदहाल स्थिति का मुद्दा फिर गर्माया है।
खेल विभाग ने यह राशि वर्ष 2022-23 से इंडसइंड बैंक में जमा करनी शुरू की थी जो अक्तूबर 2025 तक 105,05,54,539 रुपये तक पहुंच गई लेकिन काम में लगातार देरी पर मुख्यमंत्री नायब सैनी ने 18 अगस्त को हुई बैठक में पूरा बजट पीडब्ल्यूडी को सौंपने का निर्देश दे दिया। अगले ही दिन खेल विभाग ने पूरी राशि पीडब्ल्यूडी के सरकारी खाते में ट्रांसफर कर दी लेकिन तीन महीने बाद भी नतीजा शून्य है। न काम शुरू, न प्रगति रिपोर्ट।
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पहला पत्र अनुत्तरित, अब भेजा रिमाइंडर
खेल विभाग ने 13 अक्तूबर को पीडब्ल्यूडी से विस्तृत प्रगति रिपोर्ट मांगी थी। कोई जवाब नहीं मिला। अब 24 नवंबर को दोबारा रिमाइंडर भेजा गया है। विभागीय स्तर पर माना जा रहा है कि यह देरी खिलाड़ियों की सुरक्षा और प्रशिक्षण व्यवस्था पर सीधा प्रभाव डाल रही है।
18 राजीव गांधी स्टेडियम और ताऊ देवीलाल स्टेडियम भी अधर में
प्रदेश के 41 स्टेडियमों में 17 जिलों के 18 राजीव गांधी खेल स्टेडियम, ताऊ देवीलाल स्टेडियम (गुरुग्राम) सहित कई जिला स्तरीय स्टेडियम शामिल हैं। सबसे हैरानी की बात खेल मुख्यालय ताऊ देवीलाल स्टेडियम में ही 1.04 करोड़ रुपये की मरम्मत और एप्रन निर्माण का काम 22 सितंबर 2023 से लंबित है।
राजीव गांधी खेल स्टेडियम वाले जिले
पलवल, रेवाड़ी, महेंद्रगढ़, फरीदाबाद, पपलोहा (पंचकूला), इशराना (पानीपत), यमुनानगर, कैथल, लेघा हेतवान (भिवानी), दोहर कला (नारनौल), चरखी दादरी, रोहतक, करनाल, कुरुक्षेत्र, जयसिंहपुरा (करनाल), झज्जर, फतेहाबाद और हिसार।
वर्जन-
105,05,54,539 करोड़ रुपये पीडब्ल्यूडी को सौंप दिए गए हैं। अब पीडब्ल्यूडी से पूछा है कि कहां-कहां टेंडर हुए और कहां काम शुरू हुआ। प्रगति रिपोर्ट मांगी गई है।
-गौरव गौतम, खेल मंत्री