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Chandigarh-Haryana News: भाजपा को न शिक्षा की चिंता है और न ही अध्यापकों के सम्मान की
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चंडीगढ़। शिक्षकों की ड्यूटी कुत्तों की गिनती और निगरानी में लगाने को लेकर आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अनुराग ढांडा ने मंगलवार को प्रदेश सरकार पर निशाना साधा। ढांडा ने कहा- स्कूलों से लेकर यूनिवर्सिटी तक अध्यापकों पर यह जिम्मेदारी डालना सरकार की शिक्षा विरोधी सोच को उजागर करता है।
ढांडा ने कहा कि ये फैसले दिखाते हैं कि भाजपा को न तो शिक्षा की चिंता है और न ही अध्यापकों के सम्मान की। राज्य में 30 हजार से ज्यादा शिक्षक पद खाली पड़े हैं। लगभग 85 से 90 प्रतिशत स्कूल बिना स्थायी हेडमास्टर के चल रहे हैं। कई स्कूलों में मे 400 से 500 बच्चों पर केवल एक शिक्षक है। इसके बावजूद कैथल जिला शिक्षा अधिकारी के 24 दिसंबर 2025 के आदेश में हर स्कूल में आवारा कुत्तों की निगरानी के लिए नोडल अधिकारी बना दिया गया। यानी शिक्षक अब कुत्तों की गिनती और रिपोर्टिंग करेंगे।
उन्होंने कहा कि मामला केवल स्कूलों तक सीमित नहीं है। रोहतक एमडीयू यूनिवर्सिटी में भी 24 दिसंबर 2025 को आदेश जारी कर प्रोफेसरों को परिसर में आवारा कुत्तों की निगरानी की जिम्मेदारी दे दी गई। साफ है कि भाजपा सरकार ने शिक्षा संस्थानों को पढ़ाई के केंद्र के बजाय प्रशासनिक और निगरानी का अड्डा बना दिया है। यदि सरकार को सच में कुत्तों और जानवरों की समस्या की चिंता है, तो हर स्कूल और कॉलेज में एनिमल कंट्रोल स्टाफ की सरकारी भर्ती क्यों नहीं निकाली जाती। मुख्यमंत्री नायब सैनी को यह तय करना होगा कि हरियाणा में अध्यापक पढ़ाएं या कुत्तों की निगरानी करें।
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ढांडा ने कहा कि ये फैसले दिखाते हैं कि भाजपा को न तो शिक्षा की चिंता है और न ही अध्यापकों के सम्मान की। राज्य में 30 हजार से ज्यादा शिक्षक पद खाली पड़े हैं। लगभग 85 से 90 प्रतिशत स्कूल बिना स्थायी हेडमास्टर के चल रहे हैं। कई स्कूलों में मे 400 से 500 बच्चों पर केवल एक शिक्षक है। इसके बावजूद कैथल जिला शिक्षा अधिकारी के 24 दिसंबर 2025 के आदेश में हर स्कूल में आवारा कुत्तों की निगरानी के लिए नोडल अधिकारी बना दिया गया। यानी शिक्षक अब कुत्तों की गिनती और रिपोर्टिंग करेंगे।
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उन्होंने कहा कि मामला केवल स्कूलों तक सीमित नहीं है। रोहतक एमडीयू यूनिवर्सिटी में भी 24 दिसंबर 2025 को आदेश जारी कर प्रोफेसरों को परिसर में आवारा कुत्तों की निगरानी की जिम्मेदारी दे दी गई। साफ है कि भाजपा सरकार ने शिक्षा संस्थानों को पढ़ाई के केंद्र के बजाय प्रशासनिक और निगरानी का अड्डा बना दिया है। यदि सरकार को सच में कुत्तों और जानवरों की समस्या की चिंता है, तो हर स्कूल और कॉलेज में एनिमल कंट्रोल स्टाफ की सरकारी भर्ती क्यों नहीं निकाली जाती। मुख्यमंत्री नायब सैनी को यह तय करना होगा कि हरियाणा में अध्यापक पढ़ाएं या कुत्तों की निगरानी करें।