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हरियाणा मानव अधिकार आयोग सख्त: आरोपियों का मेडिकल खानापूर्ति नहीं, छोटी चोटों का उल्लेख जरूरी; निर्देश जारी

अमर उजाला ब्यूरो, चंडीगढ़ Published by: नवीन दलाल Updated Thu, 25 Dec 2025 09:44 PM IST
सार

आयोग के सदस्य दीप भाटिया ने चिंता जताई कि वर्तमान में कई मामलों में गिरफ्तार व्यक्तियों का मेडिकल केवल खानापूर्ति बनकर रह गया है, जो कानून और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की भावना के सर्वथा विपरीत है।

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Haryana Commission takes strict stance Medical examination of accused not a mere formality
हरियाणा मानव अधिकार आयोग - फोटो : सांकेतिक तस्वीर
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हरियाणा मानव अधिकार आयोग ने हरियाणा पुलिस के महानिदेशक को राज्य के सभी पुलिस अधिकारियों को गिरफ्तार आरोपियों का मेडिकल परीक्षण के लिए सख्त निर्देश जारी करने को कहा है। आयोग के सदस्य दीप भाटिया की ओर लिखे पत्र के मुताबिक गिरफ्तारी के आरोपी का मेडिकल परीक्षण कानून और सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के अनुरूप व पारदर्शिता के साथ किया जाना चाहिए।

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गिरफ्तार आरोपी के शरीर पर मौजूद प्रत्येक चोट व दर्द का ब्यौरा मेडिकल रिकार्ड में दर्ज होना अनिवार्य है। उन्होंने चेताया कि अधूरा या लापरवाही पूर्ण मेडिकल न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि यह व्यक्ति के मौलिक अधिकारों और मानवाधिकारों पर सीधा आघात भी है। इससे पहले आयोग ने स्वास्थ्य विभाग के महानिदेशक को आदेश दिए गए थे कि राज्य भर में फील्ड में तैनात सभी चिकित्सकों के लिए स्पष्ट गाइडलाइन जारी की जाएं।
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इन निर्देशों में स्पष्ट कहा गया है कि मेडिकल के लिए प्रस्तुत किसी भी अभियुक्त का संपूर्ण मेडिकल परीक्षण किया जाए, उसकी हर चोट, दर्द या शिकायत को रिकार्ड में दर्ज किया जाए और मेडिकल रिकार्ड को विधिवत सुरक्षित रखा जाए। मानवाधिकार आयोग के मुताबिक इन सभी निर्देशों की जानकारी पुलिस अधिकारियों तक भी समान रूप से पहुंचे, ताकि गिरफ्तारी के बाद मेडिकल की प्रक्रिया में किसी स्तर पर कोई चूक न रह जाए।

आयोग के सदस्य दीप भाटिया ने चिंता जताई कि वर्तमान में कई मामलों में गिरफ्तार व्यक्तियों का मेडिकल केवल खानापूर्ति बनकर रह गया है, जो कानून और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की भावना के सर्वथा विपरीत है। आयोग का स्पष्ट मत है कि यह पहल आम नागरिकों के मानवाधिकारों की रक्षा के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।

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