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Hisar News: हिंदी हमारा अभिमान, बढ़ रहा है मान
संवाद न्यूज एजेंसी, हिसार
Updated Sun, 14 Sep 2025 12:03 AM IST
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डॉ. राजपाल, हिंदी-विभाग
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हिसार। वर्तमान समय में हिंदी सिर्फ संवाद की भाषा नहीं रही, बल्कि शिक्षा, साहित्य, सोशल मीडिया और तकनीक में भी अपनी मजबूत पहचान बना रही है। कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में हिंदी की स्थिति पहले से काफी सशक्त हुई है जहां पहले इसे सिर्फ साहित्यिक भाषा के तौर पर देखा जाता था, वहीं अब शोध, पत्रकारिता, प्रशासनिक परीक्षाओं और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर हिंदी की मांग तेजी से बढ़ रही है। उच्च शिक्षा संस्थानों में छात्र-छात्राएं न केवल हिंदी साहित्य पढ़ रहे हैं, बल्कि हिंदी माध्यम से अन्य विषयों की पढ़ाई और शोध कार्य भी कर रहे हैं। विश्वविद्यालयों में हिंदी को एक आधुनिक और वैश्विक भाषा के रूप में महत्व दिया जा रहा है। हिंदी दिवस हमें याद दिलाता है कि अपनी भाषा को सम्मान देना हमारी सांस्कृतिक जिम्मेदारी है, लेकिन हिंदी के समक्ष चुनौतियां भी हैं। आज भी इसे युवा वर्ग रोजगार की दृष्टि से अंग्रेजी की तुलना में कमतर आंकता है।
हिंदी बोलने-समझने वालों की संख्या बढ़ रही
वर्तमान में हिंदी विरोधाभासी दौर से गुजर रही है। एक ओर डिजिटल युग में इसका प्रसार पहले से कहीं अधिक हुआ है, सोशल मीडिया, ओटीटी प्लेटफॉर्म्स और ऑनलाइन शिक्षा ने इसे नई पहुंच दी है। हिंदी बोलने-समझने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। वहीं दूसरी ओर शहरी क्षेत्रों और उच्च शिक्षा में अंग्रेजी के वर्चस्व के कारण हिंदी को अक्सर प्रतिष्ठा का मुद्दा बना दिया जाता है। हिंग्लिश का चलन बढ़ा है, जो एक तरह से भाषा के लचीलेपन को दिखाता है पर शुद्धता के साथ समझौता भी करवाता है। सबसे बड़ी चुनौती हिंदी को रोजगार और ज्ञान की भाषा बनाने की है, न कि केवल बोलचाल तक सीमित रखने की।
-डॉ. राजपाल, हिंदी विभाग, गुरु गोरखनाथ राजकीय महाविद्यालय हिसार।
वैश्विक भाषा के रूप में पहचान बना रही है हिंदी
हिंदी दिवस के अवसर पर कहा जा सकता है कि आज हिंदी केवल भारत तक सीमित नहीं है, बल्कि एक वैश्विक भाषा के रूप में अपनी पहचान बना रही है। इसका सबसे बड़ा कारण है हिंदी भाषी लोगों का देश के अलग-अलग राज्यों और विदेशों में रहना। वे जहां भी जाते हैं, अपनी संस्कृति और भाषा को साथ लेकर जाते हैं। यही कारण है कि हिंदी और उससे जुड़ीं बोलियां आज विश्वभर में लोकप्रिय हो रही हैं। जैसे भारत ने अपनी संस्कृति से कनाडा को प्रभावित किया है, वैसे ही हिंदी ने भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मान और पहचान हासिल की है। - प्रोफेसर राकेश बहमनी, विभागाध्यक्ष, हिंदी, जीजेयू।
युवाओं में हिंदी के प्रति बढ़ रहा है रुझान
हिंदी भाषा का महत्व लगातार बढ़ रहा है। पहले जहां विद्यार्थी अंग्रेजी माध्यम पर अधिक निर्भर रहते थे, वहीं अब धीरे-धीरे उनका रुझान हिंदी की ओर बढ़ रहा है। प्रतियोगी परीक्षाओं में भी बच्चे हिंदी माध्यम से तैयारी कर सफलता प्राप्त कर रहे हैं। नई शिक्षा नीति में विद्यार्थियों ने हिंदी विषय को प्राथमिकता से लेना शुरू किया है। इससे हिंदी भाषा के विकास और भविष्य दोनों को मजबूती मिल रही है। - सुनीता, असिस्टेंट प्रोफेसर, महिला कॉलेज।
इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया में बनाई मजबूत पहचान
हिंदी ने साहित्य और पत्रकारिता दोनों क्षेत्रों में निरंतर प्रगति की है। कविता, कहानी, उपन्यास व आलोचना में नए प्रयोग हुए हैं, वहीं प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया में हिंदी ने अपनी मजबूत पहचान बनाई है। गूगल, यूट्यूब, व्हाट्सएप और सोशल मीडिया प्लेटफार्म ने हिंदी को वैश्विक स्तर पर पहुंचा दिया है। अमेरिका, यूरोप और एशिया के कई देशों में हिंदी पढ़ाई और सिखाई जा रही है। डिजिटल युग में कृत्रिम बुद्धिमत्ता, मशीन अनुवाद और वॉइस रिकग्निशन ने इसके नए आयाम खोले हैं। विज्ञापन, मनोरंजन और फिल्म उद्योग में भी हिंदी की महत्ता बढ़ी है। हालांकि अंग्रेजी का वर्चस्व, हिंग्लिश और मानक हिंदी की उपेक्षा इसके सामने चुनौतियां हैं।
- नविता, पीएचडी शोधार्थी, हिंदी विभाग, जीजेयू।
डिजिटल युग ने हिंदी को दी नई शक्ति
वर्तमान में हिंदी भाषा मीडिया, सिनेमा, गीत-संगीत और सोशल मीडिया के माध्यम से जनमानस तक गहराई से पहुंच चुकी है। समाचार पत्र, टीवी और डिजिटल प्लेटफार्म पर इसकी उपस्थिति तेजी से बढ़ रही है। साहित्यिक क्षेत्र में भी हिंदी ने नए आयाम प्राप्त किए हैं, जहां स्त्री विमर्श, प्रवासी अनुभव और डिजिटल लेखन प्रमुख धारा बन चुके हैं। हालांकि उच्च शिक्षा, विज्ञान और तकनीक में हिंदी के प्रयोग की चुनौतियां अभी भी बनी हुई हैं, विशेषकर वैज्ञानिक पारिभाषिक शब्दावली और शोध कार्यों की कमी। इसके बावजूद डिजिटल युग ने हिंदी को नई शक्ति दी है। अब हिंदी ब्लॉगिंग, व्लॉगिंग और तकनीकी मंचों पर स्थापित हो रही है।
- सचिन गौतम, पीएचडी शोधार्थी, हिंदी विभाग, जीजेयू।

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हिंदी बोलने-समझने वालों की संख्या बढ़ रही
वर्तमान में हिंदी विरोधाभासी दौर से गुजर रही है। एक ओर डिजिटल युग में इसका प्रसार पहले से कहीं अधिक हुआ है, सोशल मीडिया, ओटीटी प्लेटफॉर्म्स और ऑनलाइन शिक्षा ने इसे नई पहुंच दी है। हिंदी बोलने-समझने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। वहीं दूसरी ओर शहरी क्षेत्रों और उच्च शिक्षा में अंग्रेजी के वर्चस्व के कारण हिंदी को अक्सर प्रतिष्ठा का मुद्दा बना दिया जाता है। हिंग्लिश का चलन बढ़ा है, जो एक तरह से भाषा के लचीलेपन को दिखाता है पर शुद्धता के साथ समझौता भी करवाता है। सबसे बड़ी चुनौती हिंदी को रोजगार और ज्ञान की भाषा बनाने की है, न कि केवल बोलचाल तक सीमित रखने की।
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-डॉ. राजपाल, हिंदी विभाग, गुरु गोरखनाथ राजकीय महाविद्यालय हिसार।
वैश्विक भाषा के रूप में पहचान बना रही है हिंदी
हिंदी दिवस के अवसर पर कहा जा सकता है कि आज हिंदी केवल भारत तक सीमित नहीं है, बल्कि एक वैश्विक भाषा के रूप में अपनी पहचान बना रही है। इसका सबसे बड़ा कारण है हिंदी भाषी लोगों का देश के अलग-अलग राज्यों और विदेशों में रहना। वे जहां भी जाते हैं, अपनी संस्कृति और भाषा को साथ लेकर जाते हैं। यही कारण है कि हिंदी और उससे जुड़ीं बोलियां आज विश्वभर में लोकप्रिय हो रही हैं। जैसे भारत ने अपनी संस्कृति से कनाडा को प्रभावित किया है, वैसे ही हिंदी ने भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मान और पहचान हासिल की है। - प्रोफेसर राकेश बहमनी, विभागाध्यक्ष, हिंदी, जीजेयू।
युवाओं में हिंदी के प्रति बढ़ रहा है रुझान
हिंदी भाषा का महत्व लगातार बढ़ रहा है। पहले जहां विद्यार्थी अंग्रेजी माध्यम पर अधिक निर्भर रहते थे, वहीं अब धीरे-धीरे उनका रुझान हिंदी की ओर बढ़ रहा है। प्रतियोगी परीक्षाओं में भी बच्चे हिंदी माध्यम से तैयारी कर सफलता प्राप्त कर रहे हैं। नई शिक्षा नीति में विद्यार्थियों ने हिंदी विषय को प्राथमिकता से लेना शुरू किया है। इससे हिंदी भाषा के विकास और भविष्य दोनों को मजबूती मिल रही है। - सुनीता, असिस्टेंट प्रोफेसर, महिला कॉलेज।
इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया में बनाई मजबूत पहचान
हिंदी ने साहित्य और पत्रकारिता दोनों क्षेत्रों में निरंतर प्रगति की है। कविता, कहानी, उपन्यास व आलोचना में नए प्रयोग हुए हैं, वहीं प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया में हिंदी ने अपनी मजबूत पहचान बनाई है। गूगल, यूट्यूब, व्हाट्सएप और सोशल मीडिया प्लेटफार्म ने हिंदी को वैश्विक स्तर पर पहुंचा दिया है। अमेरिका, यूरोप और एशिया के कई देशों में हिंदी पढ़ाई और सिखाई जा रही है। डिजिटल युग में कृत्रिम बुद्धिमत्ता, मशीन अनुवाद और वॉइस रिकग्निशन ने इसके नए आयाम खोले हैं। विज्ञापन, मनोरंजन और फिल्म उद्योग में भी हिंदी की महत्ता बढ़ी है। हालांकि अंग्रेजी का वर्चस्व, हिंग्लिश और मानक हिंदी की उपेक्षा इसके सामने चुनौतियां हैं।
- नविता, पीएचडी शोधार्थी, हिंदी विभाग, जीजेयू।
डिजिटल युग ने हिंदी को दी नई शक्ति
वर्तमान में हिंदी भाषा मीडिया, सिनेमा, गीत-संगीत और सोशल मीडिया के माध्यम से जनमानस तक गहराई से पहुंच चुकी है। समाचार पत्र, टीवी और डिजिटल प्लेटफार्म पर इसकी उपस्थिति तेजी से बढ़ रही है। साहित्यिक क्षेत्र में भी हिंदी ने नए आयाम प्राप्त किए हैं, जहां स्त्री विमर्श, प्रवासी अनुभव और डिजिटल लेखन प्रमुख धारा बन चुके हैं। हालांकि उच्च शिक्षा, विज्ञान और तकनीक में हिंदी के प्रयोग की चुनौतियां अभी भी बनी हुई हैं, विशेषकर वैज्ञानिक पारिभाषिक शब्दावली और शोध कार्यों की कमी। इसके बावजूद डिजिटल युग ने हिंदी को नई शक्ति दी है। अब हिंदी ब्लॉगिंग, व्लॉगिंग और तकनीकी मंचों पर स्थापित हो रही है।
- सचिन गौतम, पीएचडी शोधार्थी, हिंदी विभाग, जीजेयू।