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जलवायु परिवर्तन से प्रभावित हो रही फसलों की बुवाई और उपज : सैयदी
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एचएयू में आयोजित सम्मेलन में कुलपति प्रो. बी.आर. काम्बोज के साथ सम्मेलन में भाग लेने वाले प्रति
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हिसार। चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (एचएयू) में ‘संसाधन प्रबंधन, सतत् कृषि, खाद्य, पर्यावरण एवं स्वास्थ्य’ (सफर) 2025 विषय पर आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का मंगलवार को समापन हुआ।
सैलकुक यूनिवर्सिटी, टर्की के वैज्ञानिक डॉ. सैयदी अहमत बागची ने कहा कि जलवायु परिवर्तन का मानव जीवन, कृषि और जैव विविधता पर व्यापक प्रभाव पड़ रहा है।
अत्यधिक वर्षा और सूखे जैसी परिस्थितियों के कारण फसलों की बुवाई और उपज प्रभावित हो रही है। हमें फसलों की जलवायु परिवर्तन सहनशील किस्में विकसित करने की आवश्यकता है।
जापान से प्रो. टाकूरो शीनानो ने वैज्ञानिक सिफारिश के अनुसार रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग की आवश्यकता और पराली प्रबंधन पर जोर दिया। एचएयू कुलपति प्रो. बलदेव राज कांबोज ने कहा कि बढ़ती जनसंख्या और बदलते जलवायु परिदृश्य के बीच प्राकृतिक संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग जरूरी है।
उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन से शोधार्थियों को प्रेरणा मिलेगी। सम्मेलन में पर्यावरण संरक्षण, सतत कृषि और नवाचार को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया, ताकि ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटा जा सके।
सम्मेलन में कृषि उद्योग, सतत संसाधन प्रबंधन, पौध प्रजनन, जैव प्रौद्योगिकी, नवाचार, हरित तकनीक, ग्लोबल वार्मिंग, जलवायु परिवर्तन, नैनो फर्टिलाइजर्स, सौर ऊर्जा और महिला सशक्तिकरण जैसे विविध विषयों पर चर्चा हुई। कुल 8 मौखिक और 12 पोस्टर सत्र आयोजित किए गए, जिसमें 43 प्रतिभागियों को उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए सम्मानित किया गया।
सम्मेलन में टर्की, जापान, फ्रांस और डेनमार्क के प्रतिनिधियों के अलावा देशभर के विश्वविद्यालयों, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के वैज्ञानिक और शोधार्थी शामिल हुए। सम्मेलन के आयोजन सचिव डॉ. राजबीर गर्ग और कार्यक्रम संयोजक डॉ. एसके पाहुजा ने कहा कि यह सम्मेलन शोधार्थियों को नए दृष्टिकोण और प्रेरणा प्रदान करेगा। मंच संचालन जयंती टोकस ने किया।
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सैलकुक यूनिवर्सिटी, टर्की के वैज्ञानिक डॉ. सैयदी अहमत बागची ने कहा कि जलवायु परिवर्तन का मानव जीवन, कृषि और जैव विविधता पर व्यापक प्रभाव पड़ रहा है।
अत्यधिक वर्षा और सूखे जैसी परिस्थितियों के कारण फसलों की बुवाई और उपज प्रभावित हो रही है। हमें फसलों की जलवायु परिवर्तन सहनशील किस्में विकसित करने की आवश्यकता है।
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जापान से प्रो. टाकूरो शीनानो ने वैज्ञानिक सिफारिश के अनुसार रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग की आवश्यकता और पराली प्रबंधन पर जोर दिया। एचएयू कुलपति प्रो. बलदेव राज कांबोज ने कहा कि बढ़ती जनसंख्या और बदलते जलवायु परिदृश्य के बीच प्राकृतिक संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग जरूरी है।
उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन से शोधार्थियों को प्रेरणा मिलेगी। सम्मेलन में पर्यावरण संरक्षण, सतत कृषि और नवाचार को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया, ताकि ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटा जा सके।
सम्मेलन में कृषि उद्योग, सतत संसाधन प्रबंधन, पौध प्रजनन, जैव प्रौद्योगिकी, नवाचार, हरित तकनीक, ग्लोबल वार्मिंग, जलवायु परिवर्तन, नैनो फर्टिलाइजर्स, सौर ऊर्जा और महिला सशक्तिकरण जैसे विविध विषयों पर चर्चा हुई। कुल 8 मौखिक और 12 पोस्टर सत्र आयोजित किए गए, जिसमें 43 प्रतिभागियों को उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए सम्मानित किया गया।
सम्मेलन में टर्की, जापान, फ्रांस और डेनमार्क के प्रतिनिधियों के अलावा देशभर के विश्वविद्यालयों, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के वैज्ञानिक और शोधार्थी शामिल हुए। सम्मेलन के आयोजन सचिव डॉ. राजबीर गर्ग और कार्यक्रम संयोजक डॉ. एसके पाहुजा ने कहा कि यह सम्मेलन शोधार्थियों को नए दृष्टिकोण और प्रेरणा प्रदान करेगा। मंच संचालन जयंती टोकस ने किया।