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कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व पर साधा निशाना: अब दलदल में नहीं रहूंगा, हरियाणा के पूर्व मंत्री संपत बोले...

माई सिटी रिपोर्टर, हिसार (हरियाणा) Published by: नवीन दलाल Updated Wed, 05 Nov 2025 10:07 AM IST
सार

हरियाणा के पूर्व मंत्री संपत सिंह ने कहा कि वे चौधरी देवीलाल के चेले हैं और वही उन्हें राजनीति में लेकर आए थे। देवीलाल जनता के बीच सड़कों पर रहते थे और वे खुद भी हमेशा जनता से जुड़े रहे हैं। अब उम्र भले ज्यादा हो गई हो, लेकिन जनता के लिए कुछ करने की भावना आज भी जिंदा है।

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taut at Congress national leadership I will no longer remain in quagmire, says former Haryana minister Sampat
पूर्व मंत्री संपत सिंह (सांकेतिक) - फोटो : संवाद
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विस्तार
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प्रो. संपत सिंह ने मंगलवार को कहा कि अब वे दलदल में नहीं रहेंगे। कांटों भरी राह चुनेंगे। वे अब ऐसा प्लेटफार्म चुनेंगे जहां से जनता के लिए कुछ कर सकें। पूर्व मंत्री प्रो. संपत सिंह ने अपने आवास पर मीडिया से बातचीत करते हुए कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व पर निशाना साधा। कहा कि जब राहुल गांधी हरियाणा चुनाव के बाद आए थे तो उन्होंने खुद कहा था कि हरियाणा के नेतृत्व ने पार्टी के बजाय अपना फायदा देखा। उस समय उम्मीद जगी थी कि पार्टी में सुधार होगा लेकिन अब उन्हीं लोगों को फिर से मौका दे दिया गया है। ऐसे में उन्हें मजबूरी में यह फैसला लेना पड़ा।

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चौधरी देवीलाल का चेला हूं, अब जनता के बीच जाने का वक्त है
मीडिया से बातचीत में संपत सिंह ने कहा कि वे चौधरी देवीलाल के चेले हैं और वही उन्हें राजनीति में लेकर आए थे। देवीलाल जनता के बीच सड़कों पर रहते थे और वे खुद भी हमेशा जनता से जुड़े रहे हैं। अब उम्र भले ज्यादा हो गई हो, लेकिन जनता के लिए कुछ करने की भावना आज भी जिंदा है। अब मैं ऐसा प्लेटफार्म चुनूंगा, जिसमें कांटे हों। कांटों को हटाकर जनता के बीच जाऊंगा। दलदल में रहने का कोई फायदा नहीं, जहां यह तक न पता हो कि दलदल आठ फीट गहरी है या दस फीट। उन्होंने स्पष्ट किया कि अभी उन्होंने यह तय नहीं किया है कि वे किस पार्टी में शामिल होंगे।

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संपत सिंह का पूरा राजनीतिक सफर अवसरवाद और व्यक्तिगत स्वार्थ का प्रतीक रहा: अनिल मान

नलवा विधानसभा से कांग्रेस प्रत्याशी रहे अनिल मान ने कहा कि कुछ लोगों का जमावड़ा कांग्रेस को बदनाम करने का काम कर रहा है। संपत सिंह ने अपने चार पेज के पत्र में उन्होंने यह नहीं बताया कि वह 2019 के चुनाव से पहले कांग्रेस को छोड़कर भाजपा में गए थे। भाजपा ने उनको तवज्जो नहीं दी तो फिर कांग्रेस में लौट कर आए थे। संपत सिंह का पूरा राजनीतिक सफर अवसरवाद और व्यक्तिगत स्वार्थ का प्रतीक रहा है।

हिसार में मीडिया से बातचीत में अनिल मान ने कहा कि 2024 में कांग्रेस प्रत्याशी जयप्रकाश का साथ देने के बजाय संपत सिंह ने प्रचार से दूरी बनाए रखी। विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने कार्यकर्ताओं को घर बुलाकर भाजपा के पक्ष में वोट डालने की बात कही। संपत सिंह ने हरियाणा कांग्रेस की अनुशासन समिति के डर से कांग्रेस पार्टी से त्यागपत्र दिया, ताकि अनुशासनात्मक कार्रवाई से बचा जा सके। उन्होंने कहा कि आज संपत सिंह के पत्र की भाषा देखकर यह लगता है कि वे किसी और की भाषा बोल रहे हैं।



संपत सिंह ने अपने इस्तीफे वाले पत्र में कहा कि 2009में मैंने फतेहाबाद से टिकट मांगी थी। प्रो. संपत सिंह ने यह नहीं बताया वह 2009 में इनेलो छोड़ कर आए थे। इनेलो छोड़ कर आए तो अभय चौटाला, अजय चौटाला पर काफी आरोप लगाए थे। इन्होंने फतेहाबाद से टिकट मांगी थी वहां सर्वे में पता लगा था कि वह हार रहे थे। चौधरी भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने उन्हें नलवा से चुनाव लड़वा कर जिताने का काम किया।

जब कोई नई पार्टी में शामिल होता है तो नई पार्टी में उस दिन से ही उनकी वरिष्ठता मानी जाती है। संपत सिंह ने कुमारी सैलजा का नाम लेकर सीएलपी लीडर भूपेंद्र सिंह हुड्डा को बदनाम करने की कोशिश की। दो बड़े नेताओं के बीच दूरी बनाने की कोशिश की। संपत सिंह ने कांग्रेस छोड़ने वाले कई बड़े नेताओं का जिक्र किया है। काफी लोग कांग्रेस छोड़कर गए तो काफी लोग कांग्रेस में आए भी थे।

2009 से 2014 तक उन पर नौकरियों और भ्रष्टाचार के आरोप लगे। इसके बावजूद इसके भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने उन्हें 2014 में लोकसभा का टिकट दिया। उसके बाद विधानसभा चुनाव में भी मौका मिला, लेकिन वे तीसरे-चौथे स्थान पर रहे और जमानत ज़ब्त हो गई। 2019 में जब टिकट न मिली तो उन्होंने भाजपा जॉइन की, जहां सर्वे में वे सोनाली फोगाट से भी पीछे रहे। भाजपा ने उन्हें टिकट नहीं दिया तो उन्होंने कुलदीप बिश्नोई और उनके परिवार पर तीखे बयान दिए, यहाँ तक कि उनकी माता पर भी असभ्य टिप्पणी की।

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