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Jind News: सर्जिकल स्ट्राइक में सूबेदार अमरनाथ ने उड़ाए थे आतंकियों के तंबू
संवाद न्यूज एजेंसी, जींद
Updated Fri, 09 May 2025 01:37 AM IST
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08जेएनडी12: सूबेदार अमरनाथ।

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जींद। देश की सेना से सेवानिवृत्त हुए सैनिकों में आज भी जोश ज्यों का त्यों बना हुआ है। उनके हौसलों में लड़ाई को लेकर नया जनून पैदा हुआ है।
कारगिल व सर्जिकल स्ट्राइक में अग्रणी पंक्ति में रहकर दुश्मनों को धूल चटाने वाले सूबेदार अमरनाथ ने सर्जिकल स्ट्राइक से वापस लौटते समय माइन फटने से अपना एक पांव गंवाना पड़ा था, लेकिन आज भी जोश ज्यों का त्यों है। सूबेदार अमरनाथ ने बताया कि उन्होंने कारगिल की लड़ाई लड़ी थी। इस दौरान उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ सेना में रहकर आतंकियों को धूल चटाने का काम किया।
इसके बाद वर्ष 2016 में सर्जिकल स्ट्राइक हुई तो वह पाक में आतंकियों के ठिकानों को ध्वस्त करने के लिए रास्ता बनाकर गए थे। उन्होंने रास्ता तैयार किया और माइन से सेना को बचाया। इसके बाद वह अपने लक्ष्य के तहत आतंकियों के ठिकानों को ध्वस्त करके वापस आने लगे तो वहां पर माइन फट गया। इसके कारण वह जख्मी हो गया। इसमें उन्होंने एक पांव खो दिया। इसके अलावा उन्होंने जवानों को हथियार चलाने का प्रशिक्षण भी दिया।
इसके अलावा उनके साथ इस सर्जिकल स्ट्राइक में हाडवा निवासी सूबेदार सुमेर भी साथ में नेतृत्व कर रहा था। उन्होंने सर्जिकल स्ट्राइक में दुश्मन के रास्तों में माइन लगाना और अपने रास्तों में लगी माइन का पता करने की जिम्मेदारी थी। उन्होंने भी माइन लगाकर दुश्मनों को आगे बढ़ने से रोका। इसके अलावा कारगिल की लड़ाई के दौरान हवलदार सतबीर ने दुश्मनों से लोहा लिया। इस लड़ाई में सतबीर की आंख स्पलेंडर बम फटने से खराब हो गई थी। हालांकि उन्होंने इस युद्ध में दुश्मनों से लोहा लिया।
जिले के राजेंद्र सिंह रेढू ने कारगिल और सीआई ऑपरेशन में पाक के खिलाफ लड़ाई लड़ी। इन सभी सैनिकों में आज भी सेना के साथ बाॅर्डर पर जाकर लड़ने का जोश है। इन्होंने कहा कि अगर देश को जरूरत पड़ी तो वह एक संदेश के इंतजार में बैठे है। आज भी उनमें हथियार चलाने का जनून है।
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कारगिल व सर्जिकल स्ट्राइक में अग्रणी पंक्ति में रहकर दुश्मनों को धूल चटाने वाले सूबेदार अमरनाथ ने सर्जिकल स्ट्राइक से वापस लौटते समय माइन फटने से अपना एक पांव गंवाना पड़ा था, लेकिन आज भी जोश ज्यों का त्यों है। सूबेदार अमरनाथ ने बताया कि उन्होंने कारगिल की लड़ाई लड़ी थी। इस दौरान उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ सेना में रहकर आतंकियों को धूल चटाने का काम किया।
इसके बाद वर्ष 2016 में सर्जिकल स्ट्राइक हुई तो वह पाक में आतंकियों के ठिकानों को ध्वस्त करने के लिए रास्ता बनाकर गए थे। उन्होंने रास्ता तैयार किया और माइन से सेना को बचाया। इसके बाद वह अपने लक्ष्य के तहत आतंकियों के ठिकानों को ध्वस्त करके वापस आने लगे तो वहां पर माइन फट गया। इसके कारण वह जख्मी हो गया। इसमें उन्होंने एक पांव खो दिया। इसके अलावा उन्होंने जवानों को हथियार चलाने का प्रशिक्षण भी दिया।
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इसके अलावा उनके साथ इस सर्जिकल स्ट्राइक में हाडवा निवासी सूबेदार सुमेर भी साथ में नेतृत्व कर रहा था। उन्होंने सर्जिकल स्ट्राइक में दुश्मन के रास्तों में माइन लगाना और अपने रास्तों में लगी माइन का पता करने की जिम्मेदारी थी। उन्होंने भी माइन लगाकर दुश्मनों को आगे बढ़ने से रोका। इसके अलावा कारगिल की लड़ाई के दौरान हवलदार सतबीर ने दुश्मनों से लोहा लिया। इस लड़ाई में सतबीर की आंख स्पलेंडर बम फटने से खराब हो गई थी। हालांकि उन्होंने इस युद्ध में दुश्मनों से लोहा लिया।
जिले के राजेंद्र सिंह रेढू ने कारगिल और सीआई ऑपरेशन में पाक के खिलाफ लड़ाई लड़ी। इन सभी सैनिकों में आज भी सेना के साथ बाॅर्डर पर जाकर लड़ने का जोश है। इन्होंने कहा कि अगर देश को जरूरत पड़ी तो वह एक संदेश के इंतजार में बैठे है। आज भी उनमें हथियार चलाने का जनून है।
08जेएनडी12: सूबेदार अमरनाथ।
08जेएनडी12: सूबेदार अमरनाथ।