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300 गज के प्लाट की लड़ाई ने लील ली चार जिंदगियां:गांव पाई में 2012 से शुरू हुआ था खूनी खेल, हाइकोर्ट में मामला

नरेंद्र राणा, पूंडरी (कैथल) Published by: अमर उजाला ब्यूरो Updated Sat, 20 Dec 2025 10:34 AM IST
सार

राजेंद्र के शरीर पर चार गोलियां लगी। सिर के पीछे से गोली निकल कर आंख के पास फंस गई। खेतों में जब हमलावरों को राजेंद्र की मौत का यकीन हो गया तो वीरभान को तलाशते हुए गांव पाई में पहुंच गए। वहां राजेंद्र के ताऊ गली में डंडे के सहारे अपने घर जा रहे थे।

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dispute over 300 yards of land claimed the lives of an uncle and his nephew in Kaithal
उपासना यादव मौका स्थल का दौरा करते हुए। - फोटो : संवाद
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विस्तार
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300 गज के प्लाट की लड़ाई ने गांव में दोहरा हत्याकांड करवा डाला। जमीन की Iरंजिश ने एक बार फिर खूनी रंग दिखाया है। अबकी गांव पाई निवासी 38 साल के राजेंद्र और उनके 75 साल के ताऊ वीरभान की दिनदहाड़े गोलियों से भून दिया गया। हमलावरों ने पहले भतीजे को चार गोलियां मारकर मौत के घाट उतारा और इसके बाद ताऊ को ढूंढकर उन्हें तीन गोलियां मारीं।

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भतीजा राजेंद्र स्कूटी पर सवार होकर किसी काम से पूंडरी जा रहा था। इसी दौरान आरोपियों ने उन्हें घेर लिया और फायरिंग शुरू कर दी। जान बचाने के लिए राजेंद्र जटेहड़ी गांव के खेतों में भागा। आरोपियों ने पीछा किया और वहां गोलियों से भून दिया। वारदात के बाद हमलावरों ने ताऊ वीरभान उर्फ भाना को ढूंढकर मौत के घाट उतार दिया। घटना के समय वह अमावस्या पर पितरों के स्थान पर पूजा करने रहे थे।
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राजेंद्र के शरीर पर चार गोलियां लगी। सिर के पीछे से गोली निकल कर आंख के पास फंस गई। खेतों में जब हमलावरों को राजेंद्र की मौत का यकीन हो गया तो वीरभान को तलाशते हुए गांव पाई में पहुंच गए। वहां राजेंद्र के ताऊ गली में डंडे के सहारे अपने घर जा रहे थे, तभी हमलावरों ने उन पर भी हमला बोल दिया। उनकी छाती से तीन गोलियां मार दी। इससे मौके पर ही उनकी मौत हो गई। शव पर गुस्सा जताने के बाद हमलावर मौके से भाग निकले। गांव पाई में हुए दोहरे हत्याकाड़ से पूरे गांव में मातम का माहौल है।

300 गज के प्लाट की लड़ाई ने लील ली चार जिंदगियां

मामला जमीन के एक टुकड़े को लेकर वर्ष 2012 में शुरू हुआ और 2012 में ही आरोपी पक्ष के दो लोगों में राजबीर उर्फ राजा व फकीरचंद की तेजधार हथियारों से हत्या कर दी गई थी। माना जा रहा है कि उसी घटना का बदला लेने के लिए यह वारदात की गई।

गांव पाई में तीन दादा की औलादों में 300 गज के प्लाट की लड़ाई इस मुकाम पर पहुंचेंगी ऐसा किसी ने सोचा भी नहीं होगा। वर्ष 2012 में राजा व फकीर चंद की तेजधार हत्यारों से हत्या की गई थी। उस घटना में आज मारे गए पाई निवासी राजेंद्र समेत 14 लोगों को नामजद किया गया और सभी को मामले में सजा भी हो गई। 2019 में राजेंद्र को हाइकोर्ट से जमानत मिल गई और वह गांव में ही परिवार के साथ खेती-बाड़ी व पशुपालन का काम कर रहा था।

नजदीक ही 2012 में मारे गए राजा व फकीरचंद के मकान भी है, लेकिन पिछले 6 वर्षों से सब कुछ ठीकठाक चलता रहा। किसी को अंदाजा भी नहीं था कि राजा व फकीरचंद के परिवार वाले अभी भी रंजिश पाले हुए थे और मौके की ताक में थे। राजेंद्र व उसके परिवार वाले बेफिक्र थे और सजा के बाद सामान्य जीवन जी रहे थे, जबकि आज मारे गए बुजुर्ग वीरभान का 2012 के झगड़े से कोई लेना-देना नहीं था। हत्यारों के सिर पर जनून सवार था कि उन्होंने बुजुर्ग वीरभान जो कि अमावस्या की पूजा करके घर लौट रहा था को भी अपना निशाना बना डाला। कहा जा रहा है कि यदि हमलावरों को परिवार का कोई और सदस्य भी मिल जाता तो वह भी उनका निशाना बन सकता था।

परिवार के सदस्यों का रो-रोकर बुरा हाल

75 वर्षीय वीरभान के तीन लड़कियां हैं, जिनकी शादी हो चुकी है। घर में वीरभान अपनी पत्नी ओमीदेवी के साथ रहता था। दोनों बुजुर्ग खेती-बाड़ी से ही अपना गुजर-बसर कर रहे थे। वीरभान की पत्नी ओमीदेवी ने रोते-रोते बताया कि उनके पति वीरभान सारा दिन खेत में ही रहते थे और शाम को ही घर लौटते थे। उनका कभी किसी से कोई झगड़ा भी नहीं हुआ और न ही वह किसी के विवाद में पड़ते थे। इसके बावजूद उनकी हत्या समझ से परे है। उन्होंने कहा कि पति की मौत के बाद अब वह अकेली रह गई ऐसे में उसका जीवन दुश्वार हो जाएगा।

उधर राजेंद्र अपने पिता का इकलौता लड़का था और उसके दो बच्चे है। बड़े लड़के की उम्र लगभग 13 साल और लड़की की उम्र 6 वर्ष है। शुक्रवार सुबह राजेंद्र घर के काम से पूंडरी किसी काम के लिए गया था, लेकिन परिवार वालों को नहीं पता था कि राजेंद्र की हत्या के लिए हमलावर घात लगाए बैठे हैं।

गांव में हुए दोहरे हत्याकांड के बाद दहशत का माहौल है। महिलाओं की चीत्कार से पूरा गांव सिसर रहा है। घरों में अपना काम कर रही महिलाओं ने बताया कि जब गली के बीच में गोलियां चल रही थी तो उन्हें लगा कि कही आतिशबाजी हो रही है। लेकिन जब शोर-शराबा हुआ तो उन्होंने बाहर आकर देखा।

पुलिस ने की प्राथमिकी दर्ज

पुलिस को दी अपनी शिकायत में मृतक वीरभान के भतीजे तेजेंद्र पुत्र रणधीर सिंह ने कहा है कि वो खेती बाड़ी का काम करता है। उसके पिता के तीन भाई है और उसके पिता उनमें सबसे छोटे है। 2012 में उनका चेलाराम से जमीनी विवाद चला हुआ था और इसी विवाद में हुए झगड़े में फकीरचंद व राजबीर को चोटें लगी थी और चोटों के कारण उनकी मौत हो गई थी।

इस संदर्भ में उसके परिवार के रामचंद्र, नत्थु, चांदीराम, देवा, ओमप्रकाश, जयपाल, बलिंद्र, रणधीर, सुनील, राजेंद्र उर्फ धन्नी, राजबीर व राजेंद्र समेत उसे भी उम्र कैद की सजा हुई थी। 2018 में उन सभी की हाइकोर्ट से जमानत हो गई और वे सामान्य जीवन जी रहे थे। शुक्रवार सुबह करीब साढ़े नौ बजे वह और उनके ताऊ का लड़का सुनील अपनी गली के चौराहे पर खड़े थे। उसी समय ताऊ वीरभान उर्फ भाना अपने खेत से घर लौट रहे थे। तभी अचानक दो मोटरसाइकिलों पर सवार नरेश, राहुल, विजय व सावन अपने हाथों में हथियार लहराते हुए आए। हथियारों समेत उनको आता देख वे लोग घबरा गए और बुग्गी के पीछे छिप गए।

देखते ही देखते हत्यारों ने ताऊ पर गोलियां बरसाना शुरू कर दी। जिससे वह जमीन पर गिर गए और उन्होंने उसको लात मारते हुए कहा कि तुम्हारे परिवार के राजेंद्र को भी जटेहड़ी के पास खत्म कर दिया है और आगे जो भी मिलेगा उसका अंजाम भी यही होगा। पुलिस ने तेजेंद्र की शिकायत पर चारों आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर ली है। सभी आरोपी पुलिस गिरफ्त से बाहर हैं।I

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