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Kaithal News: मंडी में धान की आवक शुरू अधूरे इंतजाम से किसान परेशान

संवाद न्यूज एजेंसी, कैथल Updated Mon, 15 Sep 2025 03:49 AM IST
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Arrival of paddy has started in the market, farmers are worried due to incomplete arrangements
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कैेथल। नई अनाज मंडी में अधूरे इंतजाम के बीच धान की आवक शुरु हो गई है। मंडी के मुख्य गेट से शेड तक सड़क टूटी हुई है। जिससे किसानों को धान से भरी ट्रॉली पलटने का डर रहता है। वहीं किसानों का आरोप है कि सरकार की ओर से इस बार ऑनलाइन गेट पास की सुविधा दी गई है लेकिन इसकी सूचना मंडी प्रशासन व आढ़तियों की ओर से उन्हें नहीं दी गई।
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उन्हें मंडी आकर पता चला की गेट पास ई खरीद पोर्टल से भी तैयार किए जा सकते हैं। किसानों का कहना है कि मोबाइल में ई खरीद एप डाउनलोड कराने और इससे गेट पास तैयार करने के लिए मंडी प्रशासन की ओर से सभी गांवों में अटल सेवा केंद्र संचालकों को दिशा-निर्देश जारी करने चाहिए ताकि किसानों को फसल बेचने में कोई परेशानी न हो।
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जिन किसानों की फसल कट चुकी है वह अपनी फसल को मंडी में लेकर पहुंच रहे है। वहीं पिछले दो दिनों से धान के भाव भी हैं घटे गए जिससे किसानों के चेहरे पर मायूसी है। रविवार को मंडी में 1509 धान 2800 रुपये प्रति क्विंटल ही बिका। किसानों का कहना है कि यही धान दो दिन पहले 3200 रुपये तक बिक रहा था। किसानों का कहना है कि बाढ़ की मार के बाद अब किसानों को उनकी फसल का रेट भी कम मिल रहा है, इस कारण से उन्हें दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। मौसम साफ होते ही अनाज मंडी में धीरे धीरे धान की आवक तेज होने लगी है। मंडी में धान की 1509 किस्म की आवक के बाद अब पीआर धान की अगेती किस्म की आवक भी बढ़ने लगी है। शनिवार को अनाज मंडी में 1000 क्विंटल 1509 किस्म की धान व 800 क्विंटल पीआर किस्म के धान की आवक रही। किसानों से बातचीतमंडी में धान बेचने आए किसान राकेश पाला राम, ईश्वर , रमेश , राजा राम, कृष्ण कुमार ने बताया कि 1509 किस्म की धान व अगेती पीआर किस्म की धान पक कर तैयार है।
मंडी में फसल लेकर आने के बाद पीआर किस्म की धान का कोई खरीदार नहीं होने के कारण उनकी धान की खरीद नहीं हो पाई है। किसानों को मजबूरन अपना धान सुखा कर या तो वापस घर लेकर जाना पड़ रहा है या मंडी में ढेरी में रख कर उसकी रखवाली करनी पड़ रही है। संवाद
किसानों ने कहा कि धान की खरीद शुरू न होने कारण किसानों पर दोहरी मार पड़ रही है। एक तरफ तो धान की निकासी बहुत कम है और ऊपर से धान खरीद न होने के कारण किसानों को अपनी फसल पर सुखा कर वापस घर लेकर जाना पड़ रही है।
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