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सिखों को सधा स्पर्श... मिशन में सैनी सरदार: सीएम के जरिए सिखों के मन जीतने की कोशिश; छवि सुधारने में लगी भाजपा

विजय गुप्ता, अमर उजाला Published by: शाहरुख खान Updated Thu, 25 Dec 2025 01:11 PM IST
सार

भाजपा मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के जरिए हरियाणा की धरती से सिखों के मन को जीतने की कोशिश कर रही है। किसान आंदोन के बाद भाजपा विशेष तौर पर पंजाब में सिख समुदाय में छवि को सुधारने में लगी है।

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BJP Soft Outreach to Sikhs: CM Saini Leads Mission to Win Hearts and Improve Party Image
naib singh saini - फोटो : अमर उजाला ग्राफिक्स
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विस्तार
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कुरुक्षेत्र में दो माह पहले श्री गुरु तेग बहादुर के शहीदी दिवस समागम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अब पंचकूला में बड़े साहिबजादों के सर्वोच्च बलिदान को समर्पित वीर बाल दिवस कार्यक्रम में गृह मंत्री अमित शाह का आगमन...करीब एक साल से मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की पंजाब में बढ़ती सक्रियता। 
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हरियाणा की धरती से भाजपा सिखों के दिलों को लगातार मुलायम स्पर्श कर रही है। पंजाब व पंजाबियों तक हरियाणा से भाजपा की एक नई राह सुगम बनाने के इस अघोषित मिशन में हरियाणा के सैनी सरदार की भूमिका में प्रतीत हो रहे हैं। 
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हरियाणा में भाजपा सरकार कोई ऐसा अवसर या विषय नहीं छोड़ रही जिससे सिखों की भावनाएं जुड़ी हों। कुछ समय पहले सैनी सरकार ने 1984 के दंगों में मारे गए सिखों के परिजनों को सरकारी नौकरी देने का एलान किया। 

किसी भी गुरु या अन्य महान व्यक्ति से जुड़े दिवस पर आयोजन लगातार हो रहे हैं। सैनी का पंजाब में कई बड़े गुरुद्वारों में माथा टेकना, सिख संगठनों से संवाद और सामाजिक आयोजनों में शिरकत करना राजनीतिक हलकों में खासा चर्चा का विषय बना हुआ है। 

बिना किसी सियासी जोर शोर के यह गतिविधियां भाजपा की उस कूटनीति का हिस्सा मानी जा रही हैं जिसके तहत पार्टी उत्तर भारत में सिख समुदाय के साथ अपने रिश्तों को नए सिरे से परिभाषित करना चाहती है। 
 

सिख समुदाय में जो छवि बनी उसे सुधारना पार्टी के लिए बड़ी चुनौती
कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के बाद भाजपा की पंजाब के किसानों, खास तौर पर सिख समुदाय में जो छवि बनी उसे सुधारना पार्टी के लिए बड़ी चुनौती है। सैनी की पंजाब में सक्रियता को इसी संदर्भ में भी देखा जा रहा है। 

 

हरियाणा में किसान परिवार से आने वाले मुख्यमंत्री के रूप में उनकी छवि भाजपा को यह कहने का मौका देती है कि पार्टी जमीनी सरोकारों को समझती है और संवाद के रास्ते खुले रखना चाहती है। सिखों की चिंताओं के अनुरूप फैसले और इस समुदाय को दिया जा रहा सम्मान किसानों के आंदोलन के दौरान बढ़े तनाव को कम करने की कोशिश का संकेत देते हैं। 

 

ननिहाल पंजाब में है नायब सिंह सैनी का ननिहाल
नायब सिंह सैनी का पंजाब से नाता है। उनका ननिहाल पंजाब में हैं। भाजपा के लिए यह अहम राजनीतिक पूंजी है। खासकर ऐसे समय में जब पार्टी पंजाब में मजबूत जनाधार खड़ा करना चाह रही है। 
राजनीतिक पर्यवेक्षक मानते हैं कि लोकसभा और पंजाब के विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए भाजपा सैनी को आगे कर रही है-उन्हें जमीनी, कम बोलने-ज्यादा सुनने व सुलह कराने वाले नेता के तौर पर देखा जाता है। 

 

जाहिर है कि भाजपा सिख समूहों के साथ बातचीत के रास्ते फिर से बनाकर पंजाब में दमदार उपस्थिति दर्ज कराने के लिए राह सुगम करना चाहती है। हालांकि मुख्यमंत्री इसके राजनीतिक निहितार्थों से इनकार करते हुए कहते हैं कि पंजाब व हरियाणा का आपस में गहरा नाता है। 

पंजाब गुरुओं की धरती है और गुरुओं को सम्मान देना हमारी सरकार की भी जिम्मेदारी है।पूर्व सांसद तरलोचन सिंह कहते हैं कि मोदी व सैनी की सरकारें सिखों के लिए जो कर रही हैं वह केवल सिखों के लिए ही नहीं, सभी के लिए स्वागत योग्य है क्योंकि भारत के इतिहास की अनदेखी की गई है। 
 

पंजाब में भाजपा की जड़ें जमाने के प्रयास
पीएम नरेंद्र मोदी ने इसे पुनर्जीवित किया है। हरियाणा सरकार जो कर रही है उसका उदाहरण पंजाब ही नहीं दिल्ली में भी दिया जाने लगा है। यह समझदारी भरी रणनीति राजनीतिक लाभ में बदलेगी या नहीं, इस पर राजनीतिक विश्लेषक डॉक्टर गुरमीत सिंह कहते हैं कि नायब सरकार ने पिछले कुछ समय में जिस तरह से सिखों के मन को जीतने की कोशिश है उसे पंजाब में भाजपा की जड़ें जमाने के प्रयासों से जोड़कर भी देखा जा रहा है। 

विधानसभा सत्र में तो मुख्यमंत्री सैनी बाकायदा पगड़ी पहनकर आए जब उन्होंने श्री गुरु तेग बहादुर की शहादत से जुड़े आयोजनों पर एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया। यह कवायद रोचक इसलिए है कि पंजाब और हरियाणा के बीच कई मुद्दे न सिर्फ विवादित है बल्कि वर्षों से लंबित भी है। 
 

एसवाईएल से लेकर चंडीगढ़ तक के सभी मुद्दों पर हरियाणा और पंजाब आमने-सामने
एसवाईएल से लेकर चंडीगढ़ तक के सभी मुद्दों पर हरियाणा और पंजाब आमने-सामने खड़े रहते हैं, वह भी पार्टी लाइन से हटकर यानी पार्टी कोई भी हो उसकी पंजाब और हरियाणा इकाई अलग-अलग स्वर में ही बोलते दिखाई देते हैं । ऐसे में नायब सैनी सरकार और विशेषकर मुख्यमंत्री द्वारा खुद पंजाब के साथ सद्भाव बढ़ाने के प्रयासों के नतीजे पर सभी की निगाहें रहेंगी।
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