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Kurukshetra News: रेन बसेरे में चल रहा प्रशिक्षण स्कूल, ठंड में ठिठुर रहे मुसाफिर
संवाद न्यूज एजेंसी, कुरुक्षेत्र
Updated Thu, 25 Dec 2025 02:01 AM IST
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कडाके की ठंड में अंबाला छावनी बस स्टैंड परिसर में फर्श पर सो रहे यात्री। संवाद
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अंबाला। छावनी बस अड्डे पर सुविधाओं का अभाव यात्रियों के लिए मुसीबत बन गया है। बस अड्डे में विश्राम गृह न होने के कारण यात्रियों को कड़ाके की ठंड में रात काटनी पड़ रही है। आलम यह है कि इस कंपकंपाती ठंड में यात्री बस स्टैंड परिसर के फर्श और सीमेंट की बेंचों पर ठिठुरने को मजबूर हो रहे हैं। वहीं कई यात्री परिसर में ही बने काउंटर में फर्श पर सो रहे हैं। जबकि बस स्टैंड परिसर में बना विश्राम गृह करीब तीन साल से बंद पड़ा है। इस रेन बसेरे में भारी वाहन चालक प्रशिक्षण स्कूल चलाया जा रहा है।
छावनी बस अड्डे से रोजाना करीब 15 हजार यात्री सफर करते हैं। इनमें से कई यात्री ऐसे होते हैं जिन्हें देर रात में बस पकड़नी होती है या फिर अलसुबह अपनी मंजिल के लिए निकलना होता है। इसलिए यह यात्री बस छूटने के डर से रात में ही बस अड्डे पहुंच जाते हैं। लेकिन यहां पहुंचते ही उन्हें कोई सुविधा नहीं मिलती। जबकि विश्राम गृह न होने के चलते यात्रियों को बस अड्डे के खुले परिसर में ही शरण लेनी पड़ रही है।
सीमेंट की बेंच और काउंटर का सहारा
छावनी बस अड्डा परिसर में जैसे-जैसे रात बढ़ती है पारा गिरता है। यात्रियों की मुश्किलें बढ़ती जाती हैं। ठंड से बचने के लिए कोई यात्री सीमेंट की बेंचों पर कंबल लेकर सो रहा है, तो कोई टिकट काउंटर के फर्श पर बिस्तर लगाकर सो रहे हैं। ऐसे में छोटे बच्चों और बुजुर्गों के लिए स्थिति दयनीय हो जाती है।
रात को ठहरने के लिए नहीं व्यवस्था
छावनी बस अड्डा परिसर में रात के समय यात्रियों के ठहरने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। अधिकतर यात्री रात के समय खुले में सोने को मजबूर हैं। कई बार यात्रियों को सामान चोरी का डर लगा रहता है कि कहीं उनका सामान चोरी न जाए। अंबाला छावनी बस स्टैंड स्थित प्रथम तल पर बना रेन बसेरा करीब तीन साल से बंद पड़ा है। इसमें रेन बसेरे की जगह भारी वाहन चालक प्रशिक्षण स्कूल चलाया जा रहा है। इस रेन बसेरे का 22 अगस्त 2005 को सेवादार कृष्णा मदान द्वारा तत्कालीन परिवहन मंत्री रणदीप सिंह सुरजेवाला की अध्यक्षता में लोकार्पण किया गया था।
बस स्टैंड परिसर में प्रथम तल पर बने रेन बसेरे के हाॅल में मरम्मत का काम चल रहा है।
- अश्वनी डोगरा, महाप्रबंधक, अंबाला डिपो
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छावनी बस अड्डे से रोजाना करीब 15 हजार यात्री सफर करते हैं। इनमें से कई यात्री ऐसे होते हैं जिन्हें देर रात में बस पकड़नी होती है या फिर अलसुबह अपनी मंजिल के लिए निकलना होता है। इसलिए यह यात्री बस छूटने के डर से रात में ही बस अड्डे पहुंच जाते हैं। लेकिन यहां पहुंचते ही उन्हें कोई सुविधा नहीं मिलती। जबकि विश्राम गृह न होने के चलते यात्रियों को बस अड्डे के खुले परिसर में ही शरण लेनी पड़ रही है।
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सीमेंट की बेंच और काउंटर का सहारा
छावनी बस अड्डा परिसर में जैसे-जैसे रात बढ़ती है पारा गिरता है। यात्रियों की मुश्किलें बढ़ती जाती हैं। ठंड से बचने के लिए कोई यात्री सीमेंट की बेंचों पर कंबल लेकर सो रहा है, तो कोई टिकट काउंटर के फर्श पर बिस्तर लगाकर सो रहे हैं। ऐसे में छोटे बच्चों और बुजुर्गों के लिए स्थिति दयनीय हो जाती है।
रात को ठहरने के लिए नहीं व्यवस्था
छावनी बस अड्डा परिसर में रात के समय यात्रियों के ठहरने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। अधिकतर यात्री रात के समय खुले में सोने को मजबूर हैं। कई बार यात्रियों को सामान चोरी का डर लगा रहता है कि कहीं उनका सामान चोरी न जाए। अंबाला छावनी बस स्टैंड स्थित प्रथम तल पर बना रेन बसेरा करीब तीन साल से बंद पड़ा है। इसमें रेन बसेरे की जगह भारी वाहन चालक प्रशिक्षण स्कूल चलाया जा रहा है। इस रेन बसेरे का 22 अगस्त 2005 को सेवादार कृष्णा मदान द्वारा तत्कालीन परिवहन मंत्री रणदीप सिंह सुरजेवाला की अध्यक्षता में लोकार्पण किया गया था।
बस स्टैंड परिसर में प्रथम तल पर बने रेन बसेरे के हाॅल में मरम्मत का काम चल रहा है।
- अश्वनी डोगरा, महाप्रबंधक, अंबाला डिपो

कडाके की ठंड में अंबाला छावनी बस स्टैंड परिसर में फर्श पर सो रहे यात्री। संवाद