{"_id":"694c4ccfd81a9fc4ef077814","slug":"ngt-seeks-response-from-himachal-pollution-board-and-district-administration-in-kala-amb-pollution-case-kurukshetra-news-c-36-1-amb1002-155202-2025-12-25","type":"story","status":"publish","title_hn":"Kurukshetra News: कालाआंब प्रदूषण मामले में एनजीटी का हिमाचल प्रदूषण बोर्ड और जिला प्रशासन से जवाब तलब","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
Kurukshetra News: कालाआंब प्रदूषण मामले में एनजीटी का हिमाचल प्रदूषण बोर्ड और जिला प्रशासन से जवाब तलब
संवाद न्यूज एजेंसी, कुरुक्षेत्र
Updated Thu, 25 Dec 2025 01:57 AM IST
विज्ञापन
मारकंडा नदी का फाइल फोटो।
- फोटो : udhampur news
विज्ञापन
अंबाला। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने मारकंडा नदी और कालाआंब क्षेत्र में बढ़ रहे औद्योगिक प्रदूषण पर कड़ा रुख अपनाया है। ट्रिब्यूनल ने हिमाचल प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और जिला मजिस्ट्रेट सिरमौर द्वारा पेश की गई रिपोर्टों को अधूरा और त्रुटिपूर्ण मानते हुए उन्हें फटकार लगाई है। न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी और विशेषज्ञ सदस्य डॉ. अफरोज अहमद की पीठ ने सुनवाई के दौरान पाया कि अधिकारियों द्वारा दी गई जानकारी पर्यावरणीय मुद्दों के समाधान के लिए पर्याप्त नहीं है।
ट्रिब्यूनल ने हिमाचल और हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को आदेश दिया है कि वे मारकंडा नदी के सभी डिस्चार्ज पॉइंट से संयुक्त रूप से सैंपलिंग करेंगे। अगर सैंपलिंग में प्रदूषण के मानकों का उल्लंघन पाया जाता है, तो दोनों बोर्डों को इसके कारणों और अब तक की गई कार्रवाई का स्पष्टीकरण देना होगा। मामले में सुनवाई के लिए अगली तारीख 21 जनवरी को दी गई है।
प्रदूषण बोर्ड को देने होंगे 6 सवालों के जवाब
एनजीटी ने हिमाचल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को अतिरिक्त जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है, जिसमें छह बिंदुओं पर स्पष्ट जानकारी तलब की गई है। इसमें मारकंडा नदी में गिरने वाले नालों की कुल संख्या कितनी है, इनमें से कितने नालों को टैप (सफाई के लिए जोड़ना) किया जा चुका है और कितने शेष हैं, क्या नदी में अभी भी बिना उपचार के सीवेज गिर रहा है, काला आंब में कुल कितनी औद्योगिक इकाइयां कार्यरत हैं, कितनी इंडस्ट्रीज कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (सीईटीपी) से जुड़ी हैं और कितनी जीरो लिक्विड डिस्चार्ज (जेडएलडी) श्रेणी में आती हैं। मारकंडा नदी और हरियाणा की ओर बहने वाले जट्टों वाला नाला के संगम बिंदुओं के सैंपलिंग परिणाम क्या हैं। इस रिपोर्ट को हिमाचल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अगली सुनवाई के दौरान पेश करना है।
मारकंडा नदी के बहाव क्षेत्र पर रिपोर्ट तलब
सुनवाई के दौरान जिला मजिस्ट्रेट सिरमौर ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि नदी क्षेत्र में कोई अतिक्रमण नहीं पाया गया है। हालांकि, एनजीटी ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा कि रिपोर्ट के साथ कोई निरीक्षण रिपोर्ट संलग्न नहीं है। कोर्ट ने डीएम को उन सभी खसरा नंबरों और भूमि के विवरण के साथ पूरी रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है, जहां से मारकंडा नदी बहती है, क्योंकि रिकॉर्ड के अनुसार नदी का प्रवाह निजी व्यक्तियों के स्वामित्व वाली भूमि से हो रहा है।
ये है मारकंडा नदी से जुड़ा मामला
वर्ष 2022 में नारायणगढ़ के शिकायतकर्ता धर्मवीर ने वाद दायर किया था कि धार्मिक महत्व रखने वाली मारकंडा नदी में हिमाचल प्रदेश के त्रिलोकपुर स्थित उद्योगों का गंदा पानी नालों के माध्यम से डाला जा रहा है। जिससे यह पवित्र नदी प्रदूषित हो रही है। इसके साथ ही कालाआंब में इससे बीमारियां फैलने का खतरा है। यह मामला हरियाणा और हिमाचल प्रदेश से जुड़ा था। इसलिए इसमें एनजीटी ने जांच के लिए संयुक्त समिति का गठन किया था। समिति ने जल प्रदूषण को लेकर कई कमियां पाईं और सुधार के तरीकों को भी बताया। जांच में 37 ड्रेन इस नदी में गिरती पाईं गईं। मुख्य तौर पर पंचकूला, अंबाला और कुरुक्षेत्र जिलों की यह ड्रेनें थी।
Trending Videos
ट्रिब्यूनल ने हिमाचल और हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को आदेश दिया है कि वे मारकंडा नदी के सभी डिस्चार्ज पॉइंट से संयुक्त रूप से सैंपलिंग करेंगे। अगर सैंपलिंग में प्रदूषण के मानकों का उल्लंघन पाया जाता है, तो दोनों बोर्डों को इसके कारणों और अब तक की गई कार्रवाई का स्पष्टीकरण देना होगा। मामले में सुनवाई के लिए अगली तारीख 21 जनवरी को दी गई है।
विज्ञापन
विज्ञापन
प्रदूषण बोर्ड को देने होंगे 6 सवालों के जवाब
एनजीटी ने हिमाचल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को अतिरिक्त जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है, जिसमें छह बिंदुओं पर स्पष्ट जानकारी तलब की गई है। इसमें मारकंडा नदी में गिरने वाले नालों की कुल संख्या कितनी है, इनमें से कितने नालों को टैप (सफाई के लिए जोड़ना) किया जा चुका है और कितने शेष हैं, क्या नदी में अभी भी बिना उपचार के सीवेज गिर रहा है, काला आंब में कुल कितनी औद्योगिक इकाइयां कार्यरत हैं, कितनी इंडस्ट्रीज कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (सीईटीपी) से जुड़ी हैं और कितनी जीरो लिक्विड डिस्चार्ज (जेडएलडी) श्रेणी में आती हैं। मारकंडा नदी और हरियाणा की ओर बहने वाले जट्टों वाला नाला के संगम बिंदुओं के सैंपलिंग परिणाम क्या हैं। इस रिपोर्ट को हिमाचल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अगली सुनवाई के दौरान पेश करना है।
मारकंडा नदी के बहाव क्षेत्र पर रिपोर्ट तलब
सुनवाई के दौरान जिला मजिस्ट्रेट सिरमौर ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि नदी क्षेत्र में कोई अतिक्रमण नहीं पाया गया है। हालांकि, एनजीटी ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा कि रिपोर्ट के साथ कोई निरीक्षण रिपोर्ट संलग्न नहीं है। कोर्ट ने डीएम को उन सभी खसरा नंबरों और भूमि के विवरण के साथ पूरी रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है, जहां से मारकंडा नदी बहती है, क्योंकि रिकॉर्ड के अनुसार नदी का प्रवाह निजी व्यक्तियों के स्वामित्व वाली भूमि से हो रहा है।
ये है मारकंडा नदी से जुड़ा मामला
वर्ष 2022 में नारायणगढ़ के शिकायतकर्ता धर्मवीर ने वाद दायर किया था कि धार्मिक महत्व रखने वाली मारकंडा नदी में हिमाचल प्रदेश के त्रिलोकपुर स्थित उद्योगों का गंदा पानी नालों के माध्यम से डाला जा रहा है। जिससे यह पवित्र नदी प्रदूषित हो रही है। इसके साथ ही कालाआंब में इससे बीमारियां फैलने का खतरा है। यह मामला हरियाणा और हिमाचल प्रदेश से जुड़ा था। इसलिए इसमें एनजीटी ने जांच के लिए संयुक्त समिति का गठन किया था। समिति ने जल प्रदूषण को लेकर कई कमियां पाईं और सुधार के तरीकों को भी बताया। जांच में 37 ड्रेन इस नदी में गिरती पाईं गईं। मुख्य तौर पर पंचकूला, अंबाला और कुरुक्षेत्र जिलों की यह ड्रेनें थी।