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जीवन में पर्व का महत्व है : डॉ. विक्रांत
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फोटो संख्या:61- आर्य समाज मंदिरमें हवन करते समाज के लोग--स्रोत- आयोजक
- फोटो : chineni news
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महेंद्रगढ़। आर्य समाज मंदिर में आर्य समाज के प्रधान पंडित भूपेंद्र सिंह आर्य की अध्यक्षता में हवन एवं वैदिक सत्संग का आयोजन किया गया। हवन में महेंद्र दीवान मुख्य यजमान रहे।
डॉ. विक्रांत डागर ने बताया की जीवन में पर्व का महत्व है। यह पर्व यांत्रिक जीवन से ऊपर उठाकर मनुष्य में नई ऊर्जा, आनंद और उत्साह भर देता है। पर्व सामाजिक, धार्मिक, ऐतिहासिक और विज्ञान के साथ जुड़ा हुआ होता है। मानव में प्रसन्नता, प्रेरणा तथा पूर्णता प्रदान करता है। वह आत्मचिंतन की ओर ले जाता है।
वीर सिंह मेघवनवास ने बताया कि दीपावली संदेश देता है कि घर के साथ काम, क्रोध, राग द्वेष आदि आवेग तथा रोग, कुटिलता, दुर्गुण, दुर्व्यसन आदि को बाहर निकाल फेंकना है। पंडित भूपेंद्र सिंह आर्य ने बताया कि प्रेम, स्नेह, उत्साह भाव बढ़ाकर परस्पर सहयोगी उपयोगी होकर हम दीपावली पर्व मनाएं। अंधकार, अज्ञान से पृथक होकर प्रकाश और ज्ञान की ओर बढ़ने का संदेश यह पर्व हमें देता है।
दीपक यज्ञ का छोटा प्रतीक है। वह भी अपने सामर्थ्य से वातावरण को शुद्ध एवं प्रकाशित करता है। पटाखे फोड़कर वातावरण दूषित करना हमारी संस्कृति नहीं है। प्रकृति को शुद्ध करके उत्तम स्वास्थ्य प्रदान करना हमारी संस्कृति है। कृषि हमारी अर्थव्यवस्था का आधार है और उसी से जीवन संभव है।
गाय माता के वर्धन के लिए गोवर्धन पूजा और उत्तम फसलों के लिए दीपोत्सव मानते हैं। दीपावली के दिन हमारे महान ऋषि दयानंद सरस्वती का बलिदान हुआ था। उन्होंने अजमेर में ईश्वर तेरी इच्छा पूर्ण हुई कहकर अपनी अंतिम सांस ली। ऋषि का नश्वर शरीर समाप्त हुआ किंतु आज भी अपने ज्ञान और उत्तम उपदेशों के प्रकाश के रूप में हमारे हृदयों में वास करते हैं। इस अवसर पर महर्षि दयानंद सरस्वती को शत-शत नमन किया।।

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वीर सिंह मेघवनवास ने बताया कि दीपावली संदेश देता है कि घर के साथ काम, क्रोध, राग द्वेष आदि आवेग तथा रोग, कुटिलता, दुर्गुण, दुर्व्यसन आदि को बाहर निकाल फेंकना है। पंडित भूपेंद्र सिंह आर्य ने बताया कि प्रेम, स्नेह, उत्साह भाव बढ़ाकर परस्पर सहयोगी उपयोगी होकर हम दीपावली पर्व मनाएं। अंधकार, अज्ञान से पृथक होकर प्रकाश और ज्ञान की ओर बढ़ने का संदेश यह पर्व हमें देता है।
दीपक यज्ञ का छोटा प्रतीक है। वह भी अपने सामर्थ्य से वातावरण को शुद्ध एवं प्रकाशित करता है। पटाखे फोड़कर वातावरण दूषित करना हमारी संस्कृति नहीं है। प्रकृति को शुद्ध करके उत्तम स्वास्थ्य प्रदान करना हमारी संस्कृति है। कृषि हमारी अर्थव्यवस्था का आधार है और उसी से जीवन संभव है।
गाय माता के वर्धन के लिए गोवर्धन पूजा और उत्तम फसलों के लिए दीपोत्सव मानते हैं। दीपावली के दिन हमारे महान ऋषि दयानंद सरस्वती का बलिदान हुआ था। उन्होंने अजमेर में ईश्वर तेरी इच्छा पूर्ण हुई कहकर अपनी अंतिम सांस ली। ऋषि का नश्वर शरीर समाप्त हुआ किंतु आज भी अपने ज्ञान और उत्तम उपदेशों के प्रकाश के रूप में हमारे हृदयों में वास करते हैं। इस अवसर पर महर्षि दयानंद सरस्वती को शत-शत नमन किया।।